टी.एन. शेषन का जीवन परिचय (Biography of TN Seshan)

Dear Aspirants,

मुख्य चुनाव आयुक्त रहते हुए उसने चुनावों जारी धनबल, बाहुबल और मंत्रीपद के दुरुपयोग पर ऐसी नकेल कसी कि मुहावरा बना- एक तरफ नेशन, दूसरी तरफ शेषन।

नाम : टी.एन. शेषन (तिरुनेलै नारायण अइयर शेषन)
जन्म : 15 दिसंबर, 1932
जन्मस्थान : तिरुनेल्लई, जिला पलक्कड़, (केरल)
उपलब्धियां : मैग्सेसे पुरस्कार (1996)

भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के रास्ते सरकारी सेवा में आए टी.एन. शेषन (तिरुनेलै नारायण अइयर शेषन) ने दिसम्बर 1990 को देश के दसवें मुख्य चुनाव आयुक्त का पद सम्भाला था और वह इस पद पर 1996 तक बने रहे थे। इस दौरान शेषन ने चुनाव प्रक्रिया में बहुत सुधार किए और ऐसे नियम लागू किए जिनसे स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष चुनाव सम्पन्न हो सकें।
  • टी एन शेषन का जन्म केरल के पलक्कड़ जिले के तिरुनेलै नामक स्थान में हुआ था। उन्होने मद्रास के क्रिश्चियन कॉलेज से स्नातक परीक्षा उतीर्ण की।
  • 50 के दशक में मदुरै (डिंडिगुल) के सब कलेक्टर के पद से शुरुआत कर देश के कैबिनेट सचिव और फिर मुख्य चुनाव आयुक्त का पद संभालने वाले टी.एन. शेषन का जवाब था, "ढाई वर्ष का वह कार्यकाल जब चेन्नई मैं डायरेक्टर ऑफ ट्रांसपोर्ट हुआ करता था। मैं बस का इंजन अब भी खोल सकता हूं और उसे दोबारा बस में लगा सकता हूं।"
  • 1954 में टी.एन. शेषन ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की प्रतियोगी परीक्षा दी और सफल हुए, इस तरह 1955 से उनकी राजकीय सेवा की शुरुआत हुई।
  • 60 के दशक में एक दिन चेन्नई की सड़कों पर बस चलाकर नौकरशाहों के लिए नजीर कायम करने वाला वाला यही डायरेक्टर ऑफ ट्रांसपोर्ट आगे चलकर (दिसंबर,1990) देश का मुख्य चुनाव आयुक्त बना। 
  • वीपी सिंह की सरकार के गिरने के बाद केंद्र में चंद्रशेखर की सरकार (10 नवंबर 1990-21 जून 1991) बस बनी ही थी। 
  • चंद्रशेखर की सरकार ने राजीव गांधी के कहने पर कैबिनेट सचिव टी.एन. शेषन को मुख्य चुनाव आयुक्त बनाया था।
  • शेषन का यह वाक्य 1991 के मार्च महीने तक अखबारों में छप चुका था - 'भूल जाइए कि संसद में गलत तौर-तरीकों का इस्तेमाल करके पहुंच सकेंगे आप, किसी को ऐसा करने की इजाजत नहीं दी जाएगी।'
  • मुख्य चुनाव आयुक्त रहते हुए उसने चुनावों जारी धनबल, बाहुबल और मंत्रीपद के दुरुपयोग पर ऐसी नकेल कसी कि मुहावरा बना- एक तरफ नेशन, दूसरी तरफ शेषन।
  • शेषन की इस लगन और जिम्मेदारी भरी राजकीय सेवा के लिए उन्हें 1996 का मैग्सेसे पुरस्कार प्रदान किया गया ।
  • वर्ष 1997 में उन्होंने राष्ट्रपति का चुनाव लड़ा, लेकिन के आर नारायणन से हार गए। उसके दो वर्ष बाद कांग्रेस के टिकट पर उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी के खिलाफ चुनाव लड़ा, लेकिन उसमें भी पराजित हुए।
"शेषन के आने से पहले मुख्य चुनाव आयुक्त एक आज्ञाकारी नौकरशाह होता था जो वही करता था जो उस समय की सरकार चाहती थी।" 
  • चुनाव आयोग में उनका कार्यकाल समाप्त होने के बाद मसूरी की लाल बहादुर शास्त्री अकादमी ने उन्हें आईएएस अधिकारियों को भाषण देने के लिए बुलाया। शेषन का पहला वाक्य था, "आपसे ज़्यादा तो एक पान वाला कमाता है।"
  • शेषन ने चुनाव में पहचान पत्र का इस्तेमाल आवश्यक कर दिया। नेताओं ने उसका ये कह कर विरोध किया कि ये भारत जैसे देश के लिए बहुत ख़र्चीली चीज़ है। शेषन का जवाब था कि अगर मतदाता पहचान पत्र नहीं बनाए गए तो 1 जनवरी 1995 के बाद भारत में कोई चुनाव नहीं कराए जाएंगे।

स्रोत: www.bbc.com, www.thequint.com

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