लोक गायिका सुरुज बाई खांडे (Suraj Bai Khande) का बिलासपुर में निधन

Dear Readers,
छत्तीसगढ़ की मशहूर लोक गायिका सुरुजबाई खांडे का दिल का दौरा पड़ने से शनिवार यानी 10 मार्च, 2018 को निधन हो गया।

  1. सुरुजबाई के निधन से छत्तीसगढ़ के लोक संगीत की समृद्ध और गौरवशाली परंपरा को गहरा धक्का लगा है। सुरुजबाई ने छत्तीसगढ़ी लोक संगीत की इस अनोखी विधा को अपनी कला प्रतिभा के जरिए देश-विदेश में पहुंचाकर राज्य का नाम रौशन करने में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी थी।
  2. सोवियत रूस सहित लगभग 18 देशों और भारत के अधिकांश राज्यों में 80-90 के दशक में भरथरी लोक कथा को गाने वाली लोक गायिका सुरुजबाई खांडे ने मृत्यु के कुछ दिन पहले ही एक कार्यक्रम में भरथरी गायन पेश किया था।
  3. बिलासपुर जिले के ग्रामीण और सामान्य परिवार में पैदा हुईं सुरुजबाई खांडे ने महज सात साल की उम्र में अपने नाना रामसाय धृतलहरे से भरथरी, ढोला-मारू, चंदैनी जैसी लोक कथाओं को सीखना शुरू किया था।
  4. ज्ञातव्य है कि श्रीमती सुरुजबाई खांडे का आज राज्य के संभागीय मुख्यालय बिलासपुर के एक प्रायवेट अस्पताल में निधन हो गया। 
लोक संगीत भरथरी के बारें में...
भरथरी एक छत्तीसगढ़ की लोक गाथा है। भरथरी की सतक एवं उनकी कथा ने लोक में पहुंच कर एक नई ऊर्जा और जीवन जीवंता प्राप्त की है।
  1. छत्तीसगढ़ में भरथरी की सांगितिक का त्यात्मक प्रतिष्टा है। 
  2. श्रीमती सुरुज बाई खाण्डे भरथरी गायन के लिए प्रसिद्ध है।  
  3. भरथरी राजा विक्रमादित्य के भाई, उज्जैन के राजा थे। यह दुखों की कथा है।
  4. भरथरी गायन में हारमोनियम, बांसुरी, तबला, मंजीरा का संगत होता है। 
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