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GS Notes : भारत की प्रमुख नदियाँ ( India's Major Rivers ) ~ भाग-2

Dear Readers,
भारत की नदियों का देश के आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास में प्राचीनकाल से ही महत्वपूर्ण योगदान रहा है। सिन्धु तथा गंगा नदियों की घाटियों में ही विश्व की सर्वाधिक प्राचीन सभ्यताओं- सिन्धु घाटी तथा आर्य सभ्यता का विकास हुआ। प्राचीन काल में व्यापारिक एवं यातायात की सुविधा के कारण देश के अधिकांश नगर नदियों के किनारे ही विकसित हुए थे। भारत में प्रवाहित होने वाली नदियों को दो भागों में वर्गीकृत किया गया हैं।    
उत्तर भारत में प्रवाहित होने वाली अधिकांश नदियाँ हिमालय से निकली हैं जिनमे वर्ष भर जल उपलब्ध रहता हैं, इन नदियों को संवाहिनी नदियाँ (Perenial River) कहते हैं।     
प्रायद्वीपीय पठार में प्रवाहित होने वाली अधिकांश नदियाँ पश्चिमी घाट पहाड़ियों से निकली हैं जिनमे ग्रीष्म ऋतु में जल का अभाव हो जाता हैं। इन्हें गैर-संवाहिनी नदी (Non-Perenial River) कहते हैं।

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21. माही नदी (Mahi River):-

  • मध्य प्रदेश के झाबुआ (विंध्य पहाड़ियों के दक्षिण में) के निकट से निकलने उपरान्त मध्य प्रदेश से गुजरात राज्य चली जाती हैं तथा यह गुजरात में खंबात की खाड़ी में गिरती है।
  • माही नदी कर्क रेखा को दो बार कटती हैं।
  • माही नदी की प्रमुख सहायक नदियों में निम्नलिखित नदियाँ हैं- सोम, जाखम, बनास, चाप, मोरन माही नदी पर बांसवाड़ा ज़िले में 'माही बजाज सागर बाँध' बनाया गया है।

नोट:-

  1. विषुवत् रेखा को दो बार काटने वाली नदी अफ्रीका में प्रवाहित होती हैं जिसे कांगो देश में कांगो नदी तथा जायरे देश में जायरे नदी के नाम से जाना जाता हैं।
  2. मकर रेखा को दो बार काटने वाली नदी भी अफ्रीका में होती हैं जिसे लिम्पोपो नदीके नाम से जाना जाता हैं।

22. ब्रह्मपुत्र नदी (Brahmaputra river):-

  • ब्रह्मपुत्र नदी का उद्गम तिब्बत के मानसरोवर झील के निकट स्थित चेमयुंगडुग नामक स्थान से निकलकर तिब्बत में सान्ग पो (Tsang Po) नाम से प्रवाहित होती हैं इसे तिब्बत में यारलुंग जेगबो के नाम से भी जाना जाता हैं जिसे दक्षिणी चीन के क्षेत्रों में दिहांग नदी कहा जाता हैं।
  • भारत के अरुणाचल प्रदेश में ये दिहांग के नाम से प्रवेश करती हैं।
  • असम में इसे ब्रह्मपुत्र नाम से जाना जाता है।
  • असम से ये बांग्लादेश चली जाती हैं जहाँ इसे जमुना नदी के नाम से जाना जाता हैं।
  • बांग्लादेश में गंगा एवं ब्रह्मपुत्र के संगम के बाद इन दोनों की सम्मिलित धारा को मेघना नदी कहा जाता है।
  • ब्रह्मपुत्र, दक्षिण एशिया की दूसरी सबसे बड़ी नदी हैं जिसकी कुल लंबाई 2,900 किमी तथा भारत में यह 916 किमी लम्बी है। 
  • असम राज्य में ब्रह्मपुत्र नदी में विश्व का सबसे बड़ा नदी द्वीप (River island) हैं जिसे मजूली द्वीप के नाम से जाना जाता हैं।

23. ताप्ती/तापी नदी Tapti/Tapi River):-

  • मध्य प्रदेश के बेतुल जिले के मुलताई तालाब नामक स्थान से निकलकर सतपुड़ा के दक्षिण में स्थित भ्रंश घाटी में पश्चिम दिशा में प्रवाहित होती हैं।
  • गुजरात राज्य पहुंचकर सूरत में प्रवाहित होकर भारत की दूसरी सबसे बड़ी एस्चुरी (Estuary) का निर्माण करके खंभात की खाड़ी में गिरती है।
  • इस नदी की लंबाई 724 किमी है और यह मध्य प्रदेश-महाराष्ट्र की सीमा का निर्धारण करती हैं।

24. नर्मदा नदी (Narmada River):-

  • मैकाल पठार के अमरकंटक की पहाड़ियों से निकलकर सतपुड़ा के उत्तर एवं विंध्य के दक्षिण में स्थित भ्रंश घाटी में पश्चिम दिशा प्रवाहित होती है।
  • भारत की सबसे बड़ी एस्चुरी (Estuary) का निर्माण करती है।
  • यह अपने उद्गम स्थान से पश्चिम की ओर 1312 किमी की दूरी तय करती हुई गुजरात में भड़ौच के निकट खंबात की खाड़ी में गिरती है। 
  • नर्मदा नदी पर डेल्टा का निर्माण नही करती हैं।
  • इस नदी पर इंदिरा सागर परियोजना, ओंकारेश्वर परियोजना एवं सरदार सरोवर परियोजना निर्मित है।
25. घाघरा नदी (Ghaghara River):-
  • इस नदी का उद्गम हिमालय के मापचाचुंग ग्लेशियर से हुआ है जो तिब्बत के पठार मे स्थित हैं।
  • हिमालय तथा शिवालिक श्रेणियों को पार करते समय यह राशिपानी नामक स्थान पर गहरी संक्रीर्ण घाटी का निर्माण करती है। 
  • घाघरा नदी बिहार मे छपारा के पास गंगा नदी मे मिल जाती है। 
  • इस नदी की लंबाई लगभग 1200 किमी है।
  • गोरखपुर में प्रवाहित होने वाली राप्ती नदी तथा फैजाबाद में प्रवाहित होने वाली सरयू नदी इसकी प्रमुख सहायक नदी हैं।

26. शारदा नदी (Sharda river):-

  • हिमालय से निकलने वाली और दक्षिण-दक्षिणपूर्व दिशा में भारत व नेपाल सीमा की ओर 480 किमी का मार्ग तय करके घाघरा नदी से मिलने वाली नदी है। 
  • ये नदी परमदेव मंडी में गंगा के मैदान में प्रवेश करती है और इसी के ऊपर सारदा बांध (बैराज) है।
  • इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ धौलीगंगा, गोरीगंगा और सरयू हैं। 
  • बनवासा के नजदीक सारदा बैराज उत्तरी भारत की सबसे लंबी सिंचाई प्रणालियों में से एक 'सारदा नहर' (1930 में पूर्ण) का जलस्त्रोत है|

27. क्षिप्रा नदी (Kshipra River):-

  • क्षिप्रा नदी, उज्जयिनी के निकट बहने वाली नदी है।
  • यह चम्बल नदी की सहायक नदी है।  
  • क्षिप्रा नदी मध्यप्रदेश के इंदौर जिले में स्थित काकरी बरडी पहाड़ी से निकलती है। 
  • इस नदी के किनारे उज्जैन का विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर स्थित है जहाँ प्रत्येक 12 वर्षों में कुम्भ का मेला लगता है। 

28. ऋषिगंगा नदी (Rishiganga River):-

  • यह नदी गढ़वाल की पहाड़ियों में बहती है। 
  • ऋषिगंगा, गंगा की सहायक नदी है। जो संभवत: महाभारत में उल्लिखित ऋषिकुल्या है।

29. क्षीरगंगा नदी (Kshirganga River):- 

  • क्षीरगंगा नदी केदारनाथ के निकट बहने वाली एक नदी। 

30. अलकनंदा नदी (Alaknanda river):- 

  • चार धामों में गंगा के कई रूप और नाम हैं। गंगोत्री में गंगा को भागीरथी के नाम से जाना जाता है, केदारनाथ में मंदाकिनी और बद्रीनाथ में अलकनन्दा के नाम से जाना जाता है। 
  • यह उत्तराखंड में 'शतपथ' और 'भगीरथ खड़क' नामक हिमनदों से निकलती है। यह स्थान गंगोत्री कहलाता है।

31. स्वर्ण रेखा नदी (Swarna Rekha River):-

  • झारखण्ड के पठार से निकलने के उपरान्त बंगाल की खाड़ी में गिर जाती हैं।
  • इस नदी के तटों पर बालू के कण प्राप्त होते हैं जो सोने की भांति चमकते हैं। इसी कारणवश इसे स्वर्ण रेखा कहा जाता हैं।
  • इस नदी के किनारे जमशेदपुर स्थित हैं।

32. चित्तर नदी (Chittar River):-

  • चित्तर नदी, इलायची पहाड़ियों के दक्षिण से निकलकर तमिलनाडु के तिरुनेलवेली नामक स्थान से होकर जाती हैं  तथा मन्नार की खाड़ी में गिर जाती हैं।
  • इस नदी के उत्तर में छोटी आम्रपाली नदी बहती हैं।

33. वैयपार नदी (Vaippar River):-

  • इलायची पहाड़ियों से निकलकर तमिलनाडु में प्रवाहित होकर जाती हैं  तथा मन्नार की खाड़ी में गिर जाती हैं।

34. वेगई नदी (Vagai River):-

  • इलायची पहाड़ियों से निकलने के उपरान्त केरल से तमिलनाडु राज्य चली जाती हैं तथा मदुरई में प्रवाहित होकर मन्नार की खाड़ी में गिर जाती हैं। 

35. शरावती नदी (Sharawati River):-

  • पश्चिमी घाट की पहाड़ियों से निकलकर कर्नाटक के तटीय क्षेत्रो में प्रवाहित होते हुए अरब सागर में गिर जाती हैं।इसे कालिंदी नदी के नाम से भी जाना जाता हैं।
  • शरावती नदी पर कर्नाटक राज्य में भारत का सबसे ऊँचा जलप्रपात स्थित हैं जिसे गैरसोप्पा (Gairsoppa) या महात्मा गाँधी जल प्रापात या जॉग फॉल के नामों से जाना जाता हैं।

36. पोन्नेयर नदी (Ponnaiyar River):-

  • बंगलौर के निकट स्थित कोलार पहाड़ियों से निकलकर पूर्व दिशा में बहकर बंगाल की खाड़ी में गिर जाती हैं।

37. हुगली नदी (Hugly River):-

  • राजमहल पहाड़ी के दक्षिण से निकलकर पश्चिम बंगाल के कोलकाता में प्रवाहित होकर बंगाल की खाड़ी में गिर जाती हैं।

38. लूनी नदी (Luni River):-

  • अरावली पर्वत से निकलकर अजमेर क्षेत्र में प्रवाहित होते हुए कच्छ की खाड़ी में गिर जाती हैं।
  • जल के आभाव के कारण अपनी घाटियों में ही सुख जाती हैं।

39. केन नदी (Ken River):-

  • विंध्य पर्वतों के उत्तर में स्थित देओरी नामक स्थान से निकलकर उत्तर दिशा में प्रवाहित होती हैं तथा यमुना में मिल जाती हैं।

40. राम गंगा नदी (Ram Ganga River):-

  • हिमालय से निकलने के उपरान्त उत्तराखंड से उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में गंगा नदी में मिल जाती हैं।

41. कोसी नदी (Kosi River):-

  • महान हिमालय से निकलने के बाद नेपाल से बिहार के भागलपुर में गंगा नदी में मिल जाती हैं।
  • कोसी नदी के कारण बिहार में सर्वाधिक बाढ़ आती थी इसीकारण इसे बिहार का शोक कहा जाता हैं।
  • ये अपने मार्ग में सर्वाधिक विचलित होने वाली नदी हैं।

42. तीस्ता नदी (Tista River):-

  • नेपाल-सिक्किम सीमा (कंचनजंघा के निकट से) डोंकिया दर्रे के उत्तर में त्सो ल्हामो झील से निकलकर सिक्किम, पश्चिम बंगाल से होती हुई बांग्लादेश में ब्रह्मपुत्र नदी में मिल जाती हैं।
  • पहले यह गंगा की किन्तु वर्तमान में यह ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी हैं।

43. फेनी नदी (Feni River):-

  • दक्षिण त्रिपुरा  से निकलकर और 108 किमी लम्बाई में बहकर सबरुम शहर से होकर बांग्लादेश चली जाती हैं।

44. तुंगभद्रा नदी (Tungabhadra river):-

  • यह पश्चिम घाट से निकलती है और रायपुर के निकट कृष्णा नदी में मिलती है। 
  • कर्नाटक राज्य में स्थित तुंग और भद्र नामक दो पर्वतों से निस्सृत दो श्रोतों से मिलकर तुंगभद्रा नदी की धारा बनती है। उद्गम का स्थान गंगामूल कहलाता है। 
  • रामायण में तुंगभद्रा को पंपा के नाम जाना जाता था। 
  • आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित शृंगेरी मठ तुंगा नदी के बांई तट पर बना है और इनमें सबसे अधिक प्रसिद्ध है।
  • चौदहवीं सदी में स्थापित दक्कनी विजयनगर साम्राज्य की राजधानी रही हंपी भी इसी के किनारे स्थित है। 

45.सरस्वती नदी (Saraswati River):-

  • वेद पुराणों में गंगा और सिंधु से ज्यादा महत्त्व सरस्वती नदी को दिया गया है। इसका उद्गम बाला ज़िला के सीमावर्ती क्षेत्र सिरपुर की शिवालिक पहाड़ियों में माना जाता है।
  • सरस्वती नदी हरियाणा, पंजाब व राजस्थान से होकर बहती थी और कच्छ के रण में जाकर अरब सागर में मिलती थी।
  • के.एस.वल्दिया की पुस्तक 'सरस्वती, द रिवर दैट डिसेपीयर्ड' और बी.पी. राधाकृष्णा व एस एस मेढ़ा की पुस्तक 'वैदिक सरस्वती' में कहा गया है कि मानसरोवर से निकलने वाली सरस्वती हिमालय को पार करते हुए हरियाणा, राजस्थान के रास्ते कच्छ पहुंचती थी।

46. इन्द्रावती नदी (Indravati River):-

  • इन्द्रावती नदी उड़ीसा के कालाहांडी ज़िले के धरमगढ़ तहसील में स्थित मुंगेर पहाड़ी से निकलकर भूपालपटनम के पास गोदावरी में गिरती है।
  • इस नदी द्वारा निर्मित चित्रकूट नाम का 94 फुट ऊँचा जलप्रपात जगदलपुर के पास स्थित है।
  • नदी की प्रदेश में कुल लम्बाई 264 किलोमीटर है। 
  • इन्द्रावती की प्रमुख सहायक नदियों में कोटरी, निबरा, बोराडिग, नारंगी, नन्दीराज, चिन्तावागु, डंकनी और शंखनी इन्द्रावती नदी में मिलती हैं।
  • इस नदी का मैदान चावल की उपज के लिए प्रसिद्ध है।

47. किशनगंगा नदी (Kishanganga river):-

  • किशनगंगा नदी कश्मीर क्षेत्र में बहने वाली नदी है। 
  • पाकिस्तान में इस नदी का नाम बदलकर 'नीलम नदी' कर दिया गया है।      
  • यह नदी जम्मू-कश्मीर के सोनमर्ग शहर के पास स्थित किशनसर झील से शुरू होती है।
  • यह नदी गुरेज़ के पास पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र में प्रवेश कर जाती है।

48. वैरागिनी नदी (Vairagini river):-

  • गढ़वाल, उत्तराखण्ड की नदी है। 
  • गोपेश्वर के नीचे कुछ ही दूरी पर 'वैरागिनी' नामक नदी प्रवाहित होती है, जिसे प्राचीन काल से तीर्थ के रूप में मान्यता प्राप्त है।

49. तुलसी नदी (Tulsi River):-

  • पश्चिमी घाट की पर्वत श्रेणी से निकलने वाली महाराष्ट्र सबसे छोटी नदी है।      
  • कांसारी नदी, कुंभी नदी, तुलसी नदी, भोगवती नदी और सरस्वती नदी की संयुक्त धारा का नाम ही पंचगंगा है।     
  • पंचगंगा और कृष्णा के संगम पर प्राचीन स्थान अमरपुर बसा हुआ है।

50. घग्घर नदी (Ghagghar River):-

  • हिमाचल प्रदेश राज्य की शिवालिक पर्वतश्रेणी से निकलती है और हरियाणा से होती हुई दक्षिण-पश्चिम दिशा में लगभग 320 किमी तक बहती है, जहाँ इससे सरस्वती नदी मिलती है।      
  • घग्घर नदी का मौसमी बहाव मानसूनी बरसात पर निर्भर करता है। 

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