Girija Devi To Get Posthumous Lifetime Achievement Award

डिअर पाठक,

गिरिजा देवी को ‘क्वीन ऑफ ठुमरी’ के नाम से जाना जाता है।

प्रख्यात शास्त्रीय गायिका दिवंगत ‘ठुमरी साम्राज्ञी’ गिरिजा देवी को संगीत में उनके योगदान के लिए मरणोपरांत प्रतिष्ठित 'सुमित्रा चरत राम पुरस्कार' से सम्मानित किया जाएगा। यह पुरस्कार 17 नवंबर को कमानी सभागार में आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय में राज्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी इस प्रसिद्ध ठुमरी गायिका की पुत्री सुधा दत्ता को प्रदान करेंगे।

  • श्रीराम भारतीय कला केंद्र (एसबीकेके) की निदेशक शोभा दीपक सिंह ने कहा, ‘बेहद भारी मन से यह कहना पड़ रहा है कि उन्हें यह सम्मान मरणोपरांत दिया जा रहा है। उन्होंने इस साल मार्च में केंद्र के श्रीराम शंकरलाल संगीत समारोह में गायन किया था और तब लोग इस बात से अनजान थे कि यह उनका लगभग अंतिम कार्यक्रम होगा।’ 
  • मार्च में एसबीकेके में अपनी प्रस्तुति के दौरान उन्होंने कहा था, ‘मैं नहीं जानती कि मैं कब तक गाऊंगी, लेकिन यहां गाना मेरे लिए हमेशा घर वापसी के समान है।’ 
  • यह पुरस्कार दिल्ली की जानी मानी कला संरक्षक सुमित्रा चरत राम की बेटी शोभा दीपक सिंह ने उनकी याद में शुरू किया था। 
  • इससे पहले यह सम्मान पंडित बिरजू महाराज, पंडिज जसराज, किशोरी अमोनकर, पंडित हरिप्रसाद चौरसिया एवं अन्य संगीतकारों को दिया जा चुका है।  
  • पद्म विभूषण से सम्मानित गिरिजा देवी सेनिया और बनारस घराने की शास्त्रीय गायिका थीं।
  • 24 अक्टूबर, 2017 को कोलकाता के बिड़ला अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। 
जानिए गिरिजा देवी से जुड़ी कुछ खास बातें:-  
  • गिरिजा देवी का जन्म 8 मई, 1929 को बनारस में हुआ था और वे बनारस घरानों की एक प्रसिद्ध भारतीय शास्त्रीय गायिका रहीं। 
  • संगीत की शुरूआती शिक्षा उन्होंने अपने पिता से ही ली थी।
  • गिरिजा देवी ने गायन की सार्वजनिक शुरुआत 1949 में ऑल इंडिया रेडियो इलाहाबाद से की थी। उसके बाद 1946 में एक व्यापारी मधुसूदन जैन से उनका विवाह कर दिया गया। वह भी संगीत और कविता के प्रेमी थे।
  • उन्होंने ध्रुपद, ख्याल, टप्पा, तराना, सदरा, ठुमरी, होरी, चैती, कजरी, झूला, दादरा और ठुमरी के साहित्य का अध्ययन कर अनुसंधान भी किया।  
  • पहली बार कलकत्ता में कॉन्सर्ट किया  1952 में ही पहली बार कलकत्ता में कॉन्सर्ट किया।
  • 1978 में कलकत्ता में आईटीसी की संगीत रिसर्च एकेडमी में उन्हें फेकल्टी के तौर पर बुलाया गया।
  • ‘क्वीन ऑफ ठुमरी’ गिरिजा देवी को 1972 में पद्मश्री, 1989 में पद्मभूषण और 2016 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया था। 
  • इसके अलावा उन्हें संगीत नाटक अकादमी अवार्ड, संगीत नाटक अकादमी फैलोशिप, महा संगीत सम्मान अवॉर्ड आदि से भी सम्मानित किया गया है।
  • 24 अक्टूबर, 2017 को कोलकाता के बिड़ला अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।
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