Dear Readers,
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच जम्मू कश्मीर में लागू आर्टिकल 35a को हटाने के संबंध में दायर की गई एक याचिका पर सुनवाई करगी। इसे साल 2014 में 'वी द सिटिजन' नामक एक एनजीओ ने दायर किया है।
- आर्टिकल 35a और आर्टिकल 370 से जम्मू कश्मीर को जो विशेष दर्जा मिलता है।
- विभाजन के बाद जम्मू कश्मीर में बसे लाखों लोग वहां के स्थायी नागरिक नहीं माना जाता है।
- आर्टिकल 35a जम्मू और कश्मीर के संविधान में शामिल है, जिसके मुताबिक राज्य में रहने वाले नागरिकों को कई विशेषाधिकार दिए गए हैं।
- अनुच्छेद 35a में, जम्मू कश्मीर विधान सभा को यह अधिकार दिया गया है कि वह राज्य के स्थायी नागरिकता की परिभाषा तय कर सकता है।
- इन्हीं नागरिकों को राज्य में संपत्ति रखने, सरकारी नौकरी पाने या विधानसभा चुनाव में वोट देने का हक मिलता है।
- आर्टिकल के अनुसार राज्य से बाहर रहने वाले लोग वहां जमीन नहीं खरीद सकते, न ही हमेशा के लिए बस सकते हैं। इतना ही नहीं बाहर के लोग राज्य सरकार की स्कीमों का लाभ नहीं उठा सकते और ना ही सरकार के लिए नौकरी कर सकते हैं।
- अनुच्छेद 35a के मुताबिक अगर जम्मू-कश्मीर की कोई लड़की किसी बाहर के लड़के से शादी कर लेती है तो उसके सारे अधिकार खत्म हो जाते हैं. साथ ही उसके बच्चों के अधिकार भी खत्म हो जाते हैं।
- दरअसल, अनुच्छेद 35a भारतीय संविधान में एक ‘प्रेंसीडेशियल आर्डर’ के जरिए 14 मई, 1954 को राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद की ओर से लागू किया गया था। अगर इसमें कोई बदलाव होता है तो वह जम्मू कश्मीर विधानसभा में दो-तिहाई बहुमत के बाद ही वह संभव है।
- जम्मू कश्मीर के संविधान के मुताबिक, स्थायी नागरिक वह व्यक्ति है जो 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक रहा हो या फिर उससे पहले के 10 सालों से राज्य में रह रहा हो और उसने वहां संपत्ति हासिल की हो।
अन्य हाईलाइट...........
- "आपको जानकर हैरानी होगी कि संविधान की किताबों में न मिलने वाला अनुच्छेद 35a जम्मू-कश्मीर की विधान सभा को यह अधिकार देता है कि वह 'स्थायी नागरिक' की परिभाषा तय कर सके।"
- जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र के निदेशक आशुतोष भटनागर के मुताबिक, अनुच्छेद 35A (कैपिटल ए) का जिक्र करते हैं, वह संविधान की किसी भी किताब में नहीं मिलता। हालांकि संविधान में अनुच्छेद 35a (स्मॉल ए) जरूर है, लेकिन इसका जम्मू-कश्मीर से कोई सीधा संबंध नहीं है।
- भारतीय संविधान की बहुचर्चित धारा 370 जम्मू-कश्मीर को कुछ विशेष अधिकार देती है. 1954 के जिस आदेश से अनुच्छेद 35A को संविधान में जोड़ा गया था, वह आदेश भी अनुच्छेद 370 की उपधारा (1) के अंतर्गत ही राष्ट्रपति द्वारा पारित किया गया था। लेकिन आशुतोष कहते हैं, 'भारतीय संविधान में एक नया अनुच्छेद जोड़ देना सीधे-सीधे संविधान को संशोधित करना है। यह अधिकार सिर्फ भारतीय संसद को है। इसलिए 1954 का राष्ट्रपति का आदेश पूरी तरह से असंवैधानिक है।'
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