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विश्व बैंक (19 अप्रैल, 2018 को) द्वारा जारी ‘वैश्विक फाइंडेक्स रिपोर्ट’ के मुताबिक, भारत के करीब 19 करोड़ लोगों के पास कोई बैंक खाता नहीं है, जबकि यह चीन के बाद दूसरी सबसे बड़ी आबादी है।
विश्व बैंक (19 अप्रैल, 2018 को) द्वारा जारी ‘वैश्विक फाइंडेक्स रिपोर्ट’ के मुताबिक, भारत के करीब 19 करोड़ लोगों के पास कोई बैंक खाता नहीं है, जबकि यह चीन के बाद दूसरी सबसे बड़ी आबादी है।
- हालांकि देश में खाताधारकों की संख्या वर्ष 2011 में 35 फीसदी से बढक़र 2017 में 80 फीसदी हो चुकी है।
- ‘वैश्विक फाइंडेक्स रिपोर्ट’ के मुताबिक, ‘‘हालांकि भारत में वित्तीय समावेशन में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है और खाताधारकों की संख्या जो 2011 में 35 फीसदी थी वह 2014 में बढक़र 53 फीसदी हो गई और अब 2017 में बढक़र 80 फीसदी हो गई है।"
- विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, चीन में करीब 22.5 करोड़ वयस्क बैंकिंग सेवाओं से वंचित है, जबकि भारत में यह आंकड़ा 19 करोड़ का है। इसके बाद पाकिस्तान में 10 करोड़ और इंडोनेशिया में 9.5 करोड़ वंचित आबादी है। इन चार देशों के साथ तीन अन्य देश नाइजीरिया, मैक्सिको और बांग्लादेश को मिलाने पर बैंकिंग सेवाओं से वंचित दुनिया की आधी आबादी बनती है।
- विश्व बैंक के मुताबिक, दुनिया में कुल 1.7 अरब वयस्क बैंकिंग सेवाओं से वंचित हैं और उनका किसी बैंक या वित्तीय संस्था में कोई खाता नहीं है। बैंकिंग सेवाओं से विहीन आबादी ज्यादातर विकासशील देशों- चीन, भारत, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, मैक्सिको, नाइजीरिया और पाकिस्तान में पाई जाती है।
- वैश्विक स्तर पर 72 फीसदी पुरुषों और 65 फीसदी महिलाओं के पास बैंक खाते हैं। वहीं, भारत में 83 फीसदी पुरुषों व 77 फीसदी महिलाओं के पास बैंक खाते हैं।
- भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, जन धन खाताधारकों की संख्या साल 2017 के मार्च में 28.17 करोड़ थी, जो 2018 के मार्च में बढक़र 31.44 करोड़ हो गई। देश में 2015 के मार्च में कुल चालू और बचत खातों की संख्या 122.3 करोड़ थी, जो 2017 के मार्च में बढक़र 157.1 करोड़ हो गई।
- पूरी दुनिया में वर्ष 2014 से 2016 के बीच 51.4 करोड़ खातें खोलें गए। जिसमे 55% खातें भारत में खोलें गए।
- वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, जनधन खाते में कुल जमा राशि 11 अप्रैल 2018 को बढ़कर 80,545.70 करोड़ रुप हो गयी थी।
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