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ग्लूकोमा यानी कांच बिंदु रोग या काला मोतिया नेत्र का रोग है। ग्लूकोमा से होने वाला अंधापन लाइलाज है। इसे अदृश्य रोग भी कहा जाता है। ग्लूकोमा से हमारे देश में बहुत से लोग पीड़ित हैं।
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- दुनियाभर में आंखों की रोशनी जाने और अंधेपन का दूसरा सबसे बड़ा कारण ग्लूकोमा है।
- ग्लूकोमा का एकमात्र इलाज सर्जरी है, जो कि बहुत ही आसान हो चुकी है।
- विश्व भर में दुनियाभर में 68 मिलियन लोग इस बीमारी से ग्रस्त हैं। भारत में लगभग 1.5 करोड़ लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं।
- आंखों से दिखने वाले चित्रों को मस्तिष्क तक पहुंचाने वाली नस यानी आप्टिक नर्व आंखों में द्रव के अधिक मात्रा में बनने के कारण क्षतिग्रस्त हो जाती है।
- विश्व ग्लूकोमा सप्ताह इस बार 11 से 17 मार्च तक मनाया जा रहा है।
- ग्लूकोमा आंखों के क्रिस्टेलाइन लेंस का धुंधलापन है। यह लेंस के पार प्रकाश के रास्ते को रोक देता है और रेटिना पर फोकस करता है, जिससे दृष्टि धुंधली हो जाती है।
- इस बिमारी में दृष्टि को दिमाग तक ले जाने वाली नस की कोशिकाएं धीरे-धीरे नष्ट होने लगती हैं। जिस तरह हमारा ब्लड प्रेशर होता है, उसी प्रकार से आंखों का भी प्रेशर होता है। इसे "इंट्राओक्युलर प्रेशर" कहा जाता है।
- जब इंट्राओक्युलर प्रेशर आंखों की नस की सहन की क्षमता से अधिक हो जाता है, तो उसके तंतुओं को नुकसान होने लगता है, इसे ग्लूकोमा कहा जाता है।
- ग्लूकोमा में आंख के पर्दे की मुख्य नस (ऑप्टिक नर्व) धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त हो जाती है।
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