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देश के शहरों को हाईटेक बनाने वाली मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी स्मार्ट सिटी योजना का काम धीमी रफ्तार से चल रहा है। शहरी विकास मंत्रालय के डेटा के मुताबिक, इसके लिए जारी किए गए फंड में से सिर्फ 7 प्रतिशत ही इस्तेमाल हो पाया है।
देश के शहरों को हाईटेक बनाने वाली मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी स्मार्ट सिटी योजना का काम धीमी रफ्तार से चल रहा है। शहरी विकास मंत्रालय के डेटा के मुताबिक, इसके लिए जारी किए गए फंड में से सिर्फ 7 प्रतिशत ही इस्तेमाल हो पाया है।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जून 2015 में स्मार्ट सिटी परियोजना को लॉन्च किया, 2022 तक 100 स्मार्ट सिटी बनाने का लक्ष्य रखा था।
- गौरतलब है कि शहरी विकास मंत्रालय के डेटा से पता चला है कि स्मार्ट सिटी मिशन के तहत 60 शहरों के लिए जारी किए गए 9,860 करोड़ रुपये में से केवल 645 करोड़ रुपये अब तक खर्च हो पाए हैं।
- शहरी विकास मंत्रालय के डेटा के अनुसार, करीब 40 शहरों में से प्रत्येक को 196 करोड़ रुपये जारी किये गए थे, जिसमें से सबसे ज्यादा 80.15 करोड़ रुपये अहमदाबाद ने खर्च किए हैं। इसके बाद इंदौर 70.69 करोड़ रुपये, सूरत ने 43.41 करोड़ रुपये और भोपाल ने 42.86 करोड़ रुपये का इस्तेमाल इस मिशन के तहत खर्च किये।
- आंकड़ों से खुलासा हुआ कि स्वीकृत धन में अंडमान एवं निकोबार ने महज 54 लाख रुपये, रांची ने 35 लाख रुपये और औरंगाबाद ने 85 लाख रुपये ही खर्च किये।
- ज्ञात हो कि अब तक सरकार द्वारा स्मार्ट सिटी मिशन के अंतर्गत 90 शहर चुने गये हैं, जिनमें से विभिन्न योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए उन्हें केंद्र की ओर से सहायता के तौर पर हर एक को 500 करोड़ रुपये दिए जाएंगे।
- गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा 90 शहरों को स्मार्ट सिटी परियोजना के लिए चुना गया है।
- हाल ही में शहरी विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हरदीप पुरी ने कहा था कि इस परियोजना का प्रभाव 2018 के मध्य से दिखना शुरू हो जाएगा, लेकिन आंकड़े इससे अलग दिख रहे हैं।
- सभी शहरों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ाने और योजनाओं के जल्दी क्रियान्वयन के लिए सरकार अगले साल जून 2018 में ‘स्मार्ट सिटी अवॉर्ड’ भी देगी।
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