Ticker

6/recent/ticker-posts

Ad Code

Responsive Advertisement

Audit of Rejuvenation of River Ganga (Namami Gange) - CAG Report 2017

Dear Aspirants,
सवालों के घेरे में ‘नमामी गंगे’ परियोजना
लोकसभा चुनावों में भाजपा का वादा और प्रधानमंत्री मोदी की महत्वाकांक्षी योजना का मकसद गंगा को स्वच्छ कर उसकी जलधारा को अविरल बनाना था। खासकर 2,525 किमी लम्बी जीवनदायिनी गंगा नदी के कायाकल्प के लिए शुरू हुई ‘नमामी गंगे परियोजना' की कार्यप्रणाली और गंगा की सफाई को लेकर तो पीएम समेत कई प्रमुख नेताओं ने सरकार का प्रमुख एजेंडा बताया था। लेकिन तीन साल बीत जाने के बाद भी धरातल पर कोई काम होता दिखाई नहीं दे रहा है।

  • ‘नमामी गंगे’ परियोजना की कार्यप्रणाली कैग ने पूरा बजट प्रयोग न होने के पीछे नमामि गंगे परियोजना के खराब क्रियान्वयन को जिम्मेदार माना है।      
  • ‘नमामी गंगे’ केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना की शुरुआत जून, 2014 में की थी। इस परियोजना में जल-मल प्रबंधन, नदी तट विकास, नदी सतह की सफाई, वानिकी कार्यक्रम आदि शामिल थे।     
  • दरअसल गंगोत्री से गंगासागर का सफर तय करने के बीच में गंगा जल को प्रदूषित करने में चमड़ा, चीनी, रसायन, शराब और जल विद्युत परियोजनाएं सहभागी बन रही हैं।
  • हाल ही में संसद में पेश हुई नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट यह बताती है कि योजना जहां से शुरू हुई थी, आज साढ़े तीन साल के बाद भी वहीं खड़ी है।      
  • ‘स्वच्छ गंगा मिशन’ के लिए आवंटित 2,600 करोड़ रुपये से अधिक की रकम का इस्तेमाल ही नहीं किया गया।     
  • केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2014-15 में बड़े जोर-शोर से ‘नमामि गंगे’ के लिए 2,137 करोड़ रुपये आवंटित करने का एलान किया था, लेकिन उस साल गंगा की सफाई पर महज 170 करोड़ रुपये ही खर्च हुए।      
  • वित्त वर्ष 2015-16 में इसके लिए 2,750 करोड़ रुपये आवंटित किए गए पर सरकार सिर्फ 602 करोड़ रुपये ही खर्च कर पाई।       
  • वित्त वर्ष 2016-17 में इसके लिए 2,500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए पर सरकार सिर्फ 1,062 करोड़ रुपये ही खर्च कर पाई।     
  • ‘नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा’ यानी एनएमसीजी के अधिकारी गंगा की सफाई को लेकर कितने चिंचित हैं, इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि सरकार ने जनवरी, 2015 में जो ‘क्लीन गंगा फंड’ बनाया था, "क्लीन गंगा फण्ड" में जमा 198.14 करोड़ रुपयों का इस्तेमाल का तरीका भी नहीं तलाश सके हैं।     
  • ‘नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा’ यानी एनएमसीजी ही वह संस्था है, जिसके जिम्मे ‘नमामि गंगे’ का क्रियान्वयन है। यह संस्था केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के अधीन आती है।     
  • सीएजी के मुताबिक, आइआइटी कंसोर्टियम के साथ करार होने के साढ़े छह साल बाद भी सरकार, गंगा नदी के लिए ‘रिवर बेसिन मैनेजमेंट प्लान’ को अंतिम रूप नहीं दे सकी है।     
  • सीएजी की रिपोर्ट में इसका भी खुलासा हुआ कि उत्तराखंड को छोड़कर, गंगा के किनारे बसे गांवों के हर घर में शौचालय का लक्ष्य पूरा नहीं हुआ है। जबकि इसे पूरा करने का लक्ष्य मार्च, 2017 रखा गया था।     
  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के दस बड़े शहरों से जुटाए गए आंकड़ों का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि ऋषिकेश और हरिद्वार को छोड़कर किसी भी जगह गंगा का पानी पीने योग्य नहीं है। हरिद्वार के बाद कहीं भी गंगा में स्नान करना सेहत के लिए हानिकारक है।     
  • गंगा नदी देश के 29 बड़े शहरों, 23 छोटे शहरों और 48 कस्बों से होकर गुजरती है। तकरीबन चालीस करोड़ लोग गंगा के पानी पर निर्भर हैं।
  • गौरतलब है कि पूर्व में यह मंत्रालय उमा भारती के पास था। इसके बाद यह मंत्रालय नितिन गडकरी को सौंपा गया था। 
विशेष नोट:-
  1. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने पहली दफा गंगा सफाई की पहल की थी। तब शुरू हुए गंगा स्वच्छता कार्यक्रम पर हजारों करोड़ रुपये पानी में बहा दिए गए, लेकिन गंगा नाममात्र भी शुद्ध नहीं हुई।
  2. गंगा को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए यूपीए सरकार ने इसे राष्ट्रीय नदी घोषित करते हुए गंगा बेसिन प्राधिकरण का गठन किया, लेकिन हालत जस के तस बने रहे।
  3. मोदी सरकार में एक नया मंत्रलय बनाकर उमा भारती को गंगा के जीर्णोद्वार का दायित्व सौंपा गया। जापान के विशेषज्ञों का भी सहयोग लिया गया।
  4. ‘नमामि गंगे‘ की शुरुआत गंगा किनारे पांच राज्यों में 231 परियोजनाओं की आधारशिला, सरकार ने 1,500 करोड़ के बजट प्रावधान के साथ 104 स्थानों पर 2016 में रखी थी। इनमें उत्तराखंड में 47, उत्तर-प्रदेश में 112, बिहार में 26, झारखंड में 19 और पश्चिम बंगाल में 20 परियोजनाएं क्रियान्वित होनी थीं। 
  5. हरियाणा व दिल्ली में भी सात योजनाएं गंगा की सहायक नदियों पर लागू होनी थीं। 
  6. गंगा के किनारे बसे 400 गांवों में गंगा-ग्राम नाम से उत्तम प्रबंधन योजनाएं शुरू होनी थीं। इन सभी गांवों में गड्ढे युक्त शौचालय बनाए जाने थे।
  7. नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा प्रोग्राम के तहत अप्रैल 2015 से लेकर मार्च 2017 तक खर्च के लिए 6,700 रुपए आवंटित किए थे। लेकिन इस दौरान सिर्फ 1,660 करोड़ ही खर्च हो पाए।

Post a Comment

0 Comments