Dear Readers,
क्या आप जानते हैं कि एक रुपये का नोट करीब 100 साल पूरा कर चुका है और इसकी शुरुआत का इतिहास भी बड़ा दिलचस्प है। "रुपया" शब्द का प्रयोग सबसे पहले शेरशाह सूरी ने भारत में अपने शासन (1540-1545) के दौरान किया था। शेरशाह सूरी ने अपने शासन काल में चांदी का सिक्का चलाया, जिसका वजन 11.534 ग्राम के लगभग था।
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- प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान एक रुपये का सिक्का चलन में हुआ करता था जो मुख्यतः चांदी का हुआ करता था लेकिन युद्ध के चलते सरकार सिक्का ढालने में असमर्थ हो गई और इस प्रकार 1917 में पहली बार एक रुपये का नोट लोगों के सामने आया।
- एक रुपये का नोट पहली बार 30 नवंबर, 1917 को सामने आया जिस पर ब्रिटेन के राजा जॉर्ज पंचम की तस्वीर छपी थी।
- भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट के अनुसार, इसकी छपाई पहली बार 1926 में बंद किया गया क्योंकि इसकी लागत अधिक थी।
- 1940 से लेकर 1994 तक अनवरत इसकी छपाई जारी रखा गया।
- छपाई की ऊंची लागत की वजह से एक रपये के नोट की छपाई 1994 में बंद कर दी गई थी। इसी तरह दो रपये और पांच रपये के नोट की भी छपाई बंद की गई।
- इस नोट की छपाई एक बार फिर 6 मार्च, 2015 में शुरु की गई।
- आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष चंद्र अग्रवाल को दिए जवाब में एसपीएमपीसीआईएल ने कहा कि रुपये की छपाई की अस्थाई या अनांकेक्षित लागत 1.14 रुपये है।
- इस नोट की सबसे खास बात यह है कि इसकी छपाई स्वयं भारत सरकार करती है। और इस पर हस्ताक्षर वित्त सचिव का होता है।
- कानूनी आधार पर यह एक मात्र वास्तविक ‘मुद्रा’ नोट (करेंसी नोट) है बाकी सब नोट धारीय नोट (प्रॉमिसरी नोट) होते हैं जिस पर धारक को उतनी राशि अदा करने का वचन दिया गया होता है।
- ब्रिटिश सरकार के तीन वित्त सचिव एमएमएस गुब्बे, एसी मैकवाटर्स और एच. डेनिंग के हस्ताक्षर थे।
- आजादी से अब तक 18 वित्त सचिवों के हस्ताक्षर वाले एक रुपये के नोट जारी किए गए हैं।
- आपको बता दे कि पहले रुपए (11.66 ग्राम) को 16 आने या 64 पैसे या 192 पाई में बांटा जाता था।
- रुपये का दशमलवीकरण 1869 में सीलोन (श्रीलंका) में, 1957 में भारत मे और 1961 में पाकिस्तान में हुआ।
- 1955 में संसद ने सिक्का ढलाई संशोधन कानून पारित कर रुपये को सौ भागों में विभाजित करके इसकी न्यूनतम इकाई एक पैसा बना दी, 1957 में भारत सरकार ने ‘नए पैसे’ या ‘नया पैसा’ लिखे नए सिक्के जारी कर दिए।
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