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पूर्वोत्तर भारत का मुख्य प्रवेश द्वार गुवाहाटी असम का सबसे बड़ा शहर है। ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे पर स्थित यह शहर प्राकृतिक सुंदरता से ओत-प्रोत है। संस्कृति, व्यवसाय और धार्मिक गतिविधियों का केन्द्र होने के कारण आप यहां विभिन्न नस्लों, धर्म और क्षेत्र के लोगों को एक साथ रहते देख सकते हैं।
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पूर्वोत्तर भारत का मुख्य प्रवेश द्वार गुवाहाटी असम का सबसे बड़ा शहर है। ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे पर स्थित यह शहर प्राकृतिक सुंदरता से ओत-प्रोत है। संस्कृति, व्यवसाय और धार्मिक गतिविधियों का केन्द्र होने के कारण आप यहां विभिन्न नस्लों, धर्म और क्षेत्र के लोगों को एक साथ रहते देख सकते हैं।
- कामाख्या मंदिर गुवाहाटी का मुख्य धार्मिक आकर्षण है। ये मंदिर गुवाहाटी के अंतर्गत आने वाली नीलांचल अथवा नीलशैल पर्वतमालाओं पर स्थित मां भगवती कामाख्या का सिद्ध शक्तिपीठ सती के इक्यावन शक्तिपीठों में सर्वोच्च स्थान रखता है। यहीं भगवती की महामुद्रा (योनि-कुण्ड) स्थित है। यह मंदिर शक्ति की देवी सती का मंदिर है। यह मंदिर एक पहाड़ी पर बना है व इसका महत् तांत्रिक महत्व है।
- विश्व के सभी तांत्रिकों, मांत्रिकों एवं सिद्ध-पुरुषों के लिये वर्ष में एक बार पड़ने वाला अम्बूवाची योग पर्व वस्तुत एक वरदान है। यह अम्बूवाची पर्वत भगवती (सती) का रजस्वला पर्व होता है।
- माता सती के प्रति भगवान शिव का मोह भंग करने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के मृत शरीर के 51 भाग किए थे।
- पौराणिक शास्त्रों के अनुसार सतयुग में यह पर्व 16 वर्ष में एक बार, द्वापर में 12 वर्ष में एक बार, त्रेता युग में 7 वर्ष में एक बार तथा कलिकाल में प्रत्येक वर्ष जून माह में तिथि के अनुसार मनाया जाता है।
- प्राचीन काल से सतयुगीन तीर्थ कामाख्या वर्तमान में तंत्र सिद्धि का सर्वोच्च स्थल है।
- इस मंदिर को सोलहवीं शताब्दी में नष्ट कर दिया गया था लेकिन बाद में कूच बिहार के राजा नर नारायण ने 1665 ईस्वी में इसका पुन: निर्माण करवाया था।
- इस मंदिर में सात अण्डाकार एस्क्वायर हैं। इनमें से प्रत्येक पर तीन सोने के मटके लगे हुए हैं। इसका प्रवेश द्वारा सर्पिलाकार है जो एक घुमावदार रास्ते से थोड़ी दूर पर खुलता है। यह विशेष रूप से मुख्य सड़क को मंदिर से जोड़ता है।
- इस मन्दिर में आपको मुख्य देवी कामाख्या के अलावा देवी काली के अन्य 10 रूप जैसे धूमावती, मतंगी, बगोला, तारा,कमला,भैरवी,चिनमासा,भुवनेश्वरी और त्रिपुरा सुंदरी भी देखने को मिलेंगे।
- बताया जाता है कि देवी सती की गर्भ और योनि यहां आकर गिरे है और जिससे इस शक्ति पीठ का निर्माण हुआ है।
- एक बार एक श्राप के चलते काम के देव काम देव ने अपना पौरुष खो दिया जिन्हें बाद में देवी शक्ति के जननांगों और गर्भ से ही इस श्राप से मुक्ति मिली। अतः इस मंदिर का नाम कामाख्या देवी रखा गया।
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