Dear Readers,
''जर्मनी के महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने महात्मा गाँधी के बारे में कहा था कि आने वाली पीढ़ियों को यकीन ही नहीं होगा कि हाड़-माँस का ये व्यक्ति कभी पृथ्वी पर चला भी होगा।''
- मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या 30 जनवरी, 1948 की शाम 5:15 बजे नई दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में गोली मारकर की गयी थी।
- जब गाँधी लगभग भागते हुए बिरला हाउस के प्रार्थना स्थल की तरफ़ बढ़ रहे थे, तो उनके स्टाफ़ के एक सदस्य गुरबचन सिंह ने अपनी घड़ी की तरफ़ देखते हुए कहा था, "बापू आज आपको थोड़ी देर हो गई।" गाँधी ने चलते-चलते ही हंसते हुए जवाब दिया था, "जो लोग देर करते हैं उन्हें सज़ा मिलती है"
- नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने पहले उनके पैर छुए और फिर सामने से अपनी बेरेटा पिस्टल की तीन गोलियाँ महात्मा गाँधी के शरीर में उतार दी थीं।
- मोहनदास करमचंद गाँधी की मौत की ख़बर मिलते ही उस ज़माने में 'अंजाम' अख़बार के लिए काम करने वाले पत्रकार कुलदीप नैयर मोटर साइकिल से बिरला हाउस पहुंचे थे।
- इस मुकदमे में नाथूराम गोडसे सहित आठ लोगों को हत्या की साजिश में आरोपी बनाया गया था। इन आठ लोगों में से तीन आरोपियों शंकर किस्तैया, दिगम्बर बड़गे, वीर सावरकर, में से दिगम्बर बड़गे को सरकारी गवाह बनने के कारण बरी कर दिया गया। शंकर किस्तैया को उच्च न्यायालय में अपील करने पर माफ कर दिया गया। वीर सावरकर के खिलाफ़ कोई सबूत नहीं मिलने की वजह से अदालत ने जुर्म से मुक्त कर दिया।
- बचे पाँच अभियुक्तों में से तीन - गोपाल गोडसे, मदनलाल पाहवा और विष्णु रामकृष्ण करकरे को आजीवन कारावास हुआ तथा दो- नाथूराम गोडसे व नारायण आप्टे को फाँसी दे दी गयी।
- पत्रकार कुलदीप नैयर कहते हैं, "बापू हमारे ग़मों का प्रतिनिधित्व करते थे, हमारी ख़ुशियों का और हमारी आकांक्षाओं का भी. हमें ये ज़रूर लगा कि हमारे ग़म ने हमें इकट्ठा कर दिया है. इतने में मैंने देखा कि नेहरू छलांग लगाकर दीवार पर चढ़ गए और उन्होंने घोषणा की कि गांधी अब इस दुनिया में नहीं हैं।"
- नाथूराम के भाई गोपाल गोडसे ने अपनी किताब 'गांधी वध और मैं' में लिखा है- "जब गोडसे संसद मार्ग थाने में बंद थे तो सीखचों के पीछे खड़े गोडसे को देखने कई लोग आया करते थे. एक बार सीखचों के बाहर खड़े एक व्यक्ति से नथूराम की आखें मिलीं।
- 15 नवंबर 1949 को जब नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को फाँसी के लिए ले जाया गया तो उनके एक हाथ में गीता और अखंड भारत का नक्शा था और दूसरे हाथ में भगवा ध्वज।
- बिड़ला भवन में प्रार्थना सभा के दौरान गांधी पर 10 दिन पहले भी हमला हुआ था। मदनलाल पाहवा नाम के एक पंजाबी शरणार्थी ने गान्धी को निशाना बनाकर बम फेंका था लेकिन उस वक्त गांधीजी बच गये।
- नाथूराम इससे पहले भी बापू के हत्या की (मई 1934 और सितम्बर 1944 में) कोशिश कर चुका था, लेकिन असफल होने पर वह अपने दोस्त नारायण आप्टे के साथ वापस बम्बई चला गया।
- इन दोनों ने दत्तात्रय परचुरे और गंगाधर दंडवते के साथ मिलकर इतालवी कम्पनी की बैरेटा (Beretta) नामक पिस्टल खरीदी।
- नाथूराम विनायक गोडसे (जन्म- 19 मई 1910 - मृत्यु- 15 नवम्बर 1949) एक पत्रकार, हिन्दू राष्ट्रवादी थे।
- नाथूराम गोडसे का जन्म 19 मई 1910 को महाराष्ट्र राज्य में पुणे के निकट बारामती नमक स्थान पर चित्तपावन मराठी परिवार में हुआ था। इनके पिता विनायक वामनराव गोडसे पोस्ट आफिस में काम करते थे और माता लक्ष्मी गोडसे सिर्फ एक गृहणी थीं।
- नाथूराम के जन्म का नाम रामचन्द्र था।
- 1940 में हैदराबाद के तत्कालीन शासक निजाम ने उसके राज्य में रहने वाले हिन्दुओं पर जजिया कर लगाने का निर्णय लिया जिसका हिन्दू महासभा ने विरोध करने का निर्णय लिया।
- हिन्दू महासभा के तत्कालीन अध्यक्ष विनायक दामोदर सावरकर के आदेश पर हिन्दू महासभा के कार्यकर्ताओं का पहला जत्था नाथूराम गोडसे के नेतृत्व में हैदराबाद गया।
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