उत्तर प्रदेश के जेलों सें सम्बंधित कई महत्वपूर्ण तथ्य (Importants Fact Of Related To U.P jails)

उत्तर प्रदेश के जेलों सें सम्बंधित कई महत्वपूर्ण तथ्य

केन्द्रीय कारागार  नैनी, इलाहबाद

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03-06-2017 को कारागार विभाग द्वारा आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ. नूतन ठाकुर को दी गयी सूचना से उत्तर प्रदेश के जेलों के सम्बन्ध में कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने आये हैं।  
डॉ. अख्तर रियाज़, अपर महानिरीक्षक (प्रशासन) द्वारा दी गयी सूचना दिनांक 30 अप्रैल 2017 के अनुसार प्रदेश में कुल 70 कारागार हैं।जिसमे नैनी (इलाहाबाद), वाराणसी, फतेहाबाद, बरेली तथा आगरा में 5 केंद्रीय कारागार और लखनऊ और बरेली में 03 विशेष कारागार हैं।इन सभी कारागारों की कुल क्षमता 58,111 है जिसमे 51,839 पुरुष, 2,956 महिला और 3,316 अल्प-व्यस्क हेतु व्यवस्था शामिल है। 
इतनी संख्या में बंद हैं कैदी  30 अप्रैल को यूपी में कुल 27,207 दोषसिद्ध कैदी थे जिसमे 25,975 पुरुष, 1,079 महिला, 83 अल्पव्यस्क तथा 137 विदेशी कैदी थे। साथ ही महिला कैदियों के साथ 33 बालक और 34 बालिकाएं भी थीं।

उस तिथि को समस्त कारागारों में कुल 65,152 विचाराधीन कैदी थे जिसमे 59,507 पुरुष, 2,706 महिला, 3,001 अल्पव्यस्क, 227 विदेशी तथा 115 अन्य कैदी शामिल थे।इसके अतिरिक्त महिला कैदियों के साथ 239 बालक और 165 बालिकाएं थीं।
इस तरह 30 अप्रैल को यूपी के कारागारों में कुल 92,830 लोग थे जिसमे 11,470 केंदीय कारागारों तथा 699 विशेष कारागारों में थे।इनमे 364 विदेशी कैदी शामिल थे। यह इन कारागारों की वास्तविक क्षमता से 60% अधिक थासाथ ही विचाराधीन कैदियों की संख्या दोष सिद्ध कैदियों से 2.4 गुणा थी|
 नूतन के अनुसार इस प्रकार केंद्रीय कारागारों में क्षमता से बहुत अधिक कैदियों का होना तथा इनमे काफी संख्या में विचाराधीन कैदी होना चिंता का विषय है और इस सम्बन्ध में शीघ्र कार्यवाही की आवश्यकता है। 


कारागार संस्थाओं का संक्षिप्त परिचय......

1. आदर्श कारागार, लखनऊ (Ideal Jails, Lucknow )

  • आदर्श कारागार लखनऊ देश में अपनी किस्म की एक मात्र संस्था है। इसे  वर्ष 1949 में प्रतिस्थापित किया गया।
  • स्वतंत्रता के पश्चात शासन की सुधारवादी नीति के अन्तर्गत कारागारों में सुधार के उद्देश्य से बंदियों के शैक्षिक व व्यावसायिक प्रशिक्षण, सुधार व पुनर्वासन के लक्ष्य को साकार रूप देने के इसकी स्थापना की गई| 

2. किशोर सदन, बरेली

  • ऐसे आकस्मिक सिद्धद्वोष किशोर बन्दियों, जिनकी आयु सजा के समय 19 वर्ष से अधिक न हो तथा सजावधि 1 वर्ष से कम न हो तथा यौन या अप्राकृतिक यौन अपराध में न्यायालय द्वारा दण्डित न हो, को 23 वर्ष की आयु तक किशोर सदन, बरेली में निरूद्ध रखा जाता है, यहाँ संवासियों को कक्षा–8 तक की शिक्षा प्रदान करने हेतु एक जूनियर हाईस्कूल है। इसके अलावा इन्हें स्काउट एवं एन.सी.सी., बैण्ड, सिलाई व चमड़ा उद्योग में प्रशिक्षण प्रदान किया जाता रहा है।

3.  नारी बंदी निकेतन लखनऊ व महिला कारागारें(Women Jails)

  • आदर्श कारागार लखनऊ के परिसर में नारी बंदी निकेतन नाम की एक विशिष्ट कारागार संस्था स्थापित है, जिसमें तीन माह से अधिक की अवधि के लिए दण्डित सिद्धद्वोष महिला बंदियों को रखा जाता है। यहाँ बंदी महिलाओं के 6 वर्ष तक की आयु के बच्चों को रखने हेतु एक क्रेच (पालनाघर) स्थापित है तथा बच्चों को प्रारम्भिक शिक्षा भी प्रदान की जाती है।  

4.केन्द्रीय कारागार(Central Jails)

  • देश में यह एक मात्र पहला प्रदेश है, जिसके अन्तर्गत आगरा में सर्वप्रथम केन्द्रीय कारागार सन् 1844 में स्थापित किया गया था। इसके बाद वर्ष 1848 में केन्द्रीय कारागार बरेली, वर्ष 1867 में केन्द्रीय कारागार लखनऊ, वर्ष 1868 में केन्द्रीय कारागार फतेहगढ़, वर्ष 1869 में केन्द्रीय कारागार, नैनी (इलाहाबाद) तथा वर्ष 1877 में केन्द्रीय कारागार वाराणसी की स्थापना की गयी। 

5.जिला कारागार(District Jails)

  • सम्प्रति प्रदेश के 61 जनपदों में से 49 जनपदों में जिला कारागारें स्थापित हैं। विचारधीन बंदियों के साथ प्रथम श्रेणी की जिला कारागारों में 7 वर्ष से कम अवधि के लिए दण्डित सिद्धद्वोष बंदी, द्वितीय श्रेणी की कारागारों में 3 वर्ष से कम अवधि के लिए दण्डित सिद्धद्वोष बंदी, तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी की जिला कारागारों में दो वर्ष से कम अवधि के लिए दण्डित सिद्धद्वोष बंदीजनों को रखे जाने का प्राविधान है। 

6.उप कारागार (Sub Jails)

  • तहसील स्तर पर उप कारागारों की स्थापना ज्ञानपुर, देवबंद और महोबा में की गई है। इन उप कारागारों में अधिकांशत: विचारधीन बंदी निरूद्ध किये जाते हैं।  

7.अल्प वयस्क कारागार

  • किशोर सदन के अतिरिक्त परिशिष्ट–ग में अंकित 18 अल्पवयस्क कारागारों की स्थापना/निर्माण भी केन्द्रीय कारागार नैनी एवं 17 जिला कारागार परिसरों में किया गया है। इन अल्पवयस्क कारागारों में 18 वर्ष तक की आयु के बंदियों को निरूद्ध रखा जाता है। शेष कारागारों में इस आयु वर्ग के बंदियों को कारागारों के भीतर ही अलग बैरकों में रखा जाता है।  

8.सम्पूर्णानन्द कारागार प्रशिक्षण संस्थान, लखनऊ 

  • उत्तर प्रदेश तथा अन्य प्रदेशों के कारागार विभाग के कार्मिकों को प्रशिक्षण प्रदान करने हेतु वर्ष 1940 से यह सम्पूर्ण देश में सबसे पुराना संस्थान कार्यशील है। कार्मिक प्रशिक्षण के उन्नयन व क्षमता में गुणात्मक वृद्धि के निमित्त, तत्कालीन कारागार प्रशिक्षण विद्यालय का नाम परिवर्तन कर सम्पूर्णानन्द कारागार प्रशिक्षण संस्थान किया गया।  

9.जेल डिपो, अमीनाबाद, लखनऊ

  • कारागारों में बंदियों द्वारा उत्पादित विभिन्न औद्योगिक व दस्तकारी उत्पादों की आपूर्ति प्रथमत: प्रदेश के विभिन्न कारागारों में निरूद्ध बंदियों के उपयोगार्थ की जाती है। अवशेष उत्पादों को जेल डिपो अमीनाबाद, लखनऊ में जन सामान्य को विक्रय किया जाता है। वित्तीय वर्ष 2003–2004 की दिसम्बर 2003 तक बिक्री रू0 3.23 लाख है।

परिक्षेत्रवार कारागारों की सूची(Range Wise list of Prisons) 







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1. इलाहाबाद परिक्षेत्र 

a.केन्द्रीय कारागार नैनी 
b.जिला कारागार फतेहपुर 
c.जिला कारागार प्रतापगढ़ 
d.जिला कारागार हमीरपुर 
e.जिला कारागार कौशाम्बी 
f.उप कारागार महोबा

2.मेरठ परिक्षेत्र 

a.जिला कारागार मेरठ 
b.जिला कारागार गाजियाबाद
c.जिला कारागार गौतमबुद्ध नगर
d.जिला कारागार बुलन्दशहर
e.जिला कारागार सहारनपुर 
f.जिला कारागार मुजफ्फरनगर  
g.जिला कारागार बागपत 
h.उप कारागार देवबन्द 

3.लखनऊ परिक्षेत्र 

a.आदर्श कारागार लखनऊ 
b.जिला कारागार लखनऊ 
c.जिला कारागार उन्नाव
d.जिला कारागार खीरी 
e.जिला कारागार हरदोई 
f.जिला कारागार सीतापुर  
g.जिला कारागार रायबरेली
h.नारी बंदी निकेतन 

4.बरेली परिक्षेत्र 

a.केन्द्रीय कारागार बरेली  
b.जिला कारागार बरेली 
c.जिला कारागार बदायू 
d.जिला कारागार शाहजहांपुर  
e.जिला कारागार पीलीभीत 
f.किशोर सदन, बरेली 
g.उप कारागार मुरादाबाद
h.जिला कारागार बिजनौर 
i.जिला कारागार रामपुर 

5.गोरखपुर परिक्षेत्र 

a.जिला कारागार गोरखपुर  
b.जिला कारागार देवरिया
c.जिला कारागार बस्ती
d.जिला कारागार आजमगढ
e.जिला कारागार बलिया  
f.जिला कारागार मऊ
g.जिला कारागार महराजगंज
h.जिला कारागार सिद्धार्थनगर        

6.आगरा परिक्षेत्र 

a.केन्द्रीय कारागार आगरा 
b.जिला कारागार आगरा 
c.जिला कारागार मथुरा
d.जिला कारागार अलीगढ़
e.जिला कारागार एटा
f.जिला कारागार मैनपुरी
g.जिला कारागार फिरोजाबाद
h.जिला कारागार कासगंज   

7.कानपुर परिक्षेत्र 

a.केन्द्रीय कारागार, फतेहाबाद                                                  
b.जिला कारागार कानपुर
c.जिला कारागार कानपुर देहात
d.जिला कारागार इटावा
e.जिला कारागार फतेहगढ 
f.जिला कारागार कन्नौज
g.जिला कारागार उरई  
h.जिला कारागार ललितपुर  
i.जिला कारागार झॉसी

8.फैजाबाद परिक्षेत्र 

a.जिला कारागार फैजाबाद
b.जिला कारागार बाराबंकी
c.जिला कारागार सुल्तानपुर
d.जिला कारागार गोण्डा
e.जिला कारागार बहराइच
f.जिला कारागार बलरामपुर 

9.वाराणसी परिक्षेत्र 

a.केन्द्रीय कारागार वाराणसी  
b.जिला कारागार वाराणसी  
c.जिला कारागार गाजीपुर 
d.जिला कारागार जौनपुर
e.जिला कारागार मीरजापुर 
f.जिला कारागार सोनभद्र 
g.जिला कारागार ज्ञानपुर

नोट:- 

  • डॉ. अख्तर रियाज़, अपर महानिरीक्षक (प्रशासन) द्वारा दी गयी सूचना दिनांक 30 अप्रैल 2017 के अनुसार,प्रदेश में कुल 70 कारागार हैं।
  • पांच केन्द्रीय कारागार,नैनी (इलाहाबाद), वाराणसी, फतेहाबाद, बरेली तथा आगरा
  • 03 विशेष कारागार,  लखनऊ ( आदर्श कारागार ,नारी बंदी निकेतन) और बरेली (किशोर सदन)

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कारागार प्रशासन एवं सुधार विभाग का सिटीजन चार्टर

1.कारागार संस्थायें 

  • विभाग में 01 आदर्श कारागार, 05 केन्द्रीय कारागार, 51 जिला कारागार, 03 उप कारागार, 01 किशोर सदन, बरेली तथा 01 नारी बन्दी निकेतन लखनऊ कुल 62 कारागारें क्रियाशील हैं।
  • केन्द्रीय कारागार नैनी को छोड़कर शेष सभी केन्द्रीय कारागारों, आदर्श कारागार लखनऊ, नारी बन्दी निकेतन तथा किशोर सदन बरेली में केवल सिद्धदोष बन्दियों को तथा केन्द्रीय कारागार, नैनी व समस्त जिला/उप कारागारों में सिद्धदोष एवं विचाराधीन दोनों बन्दियों को रखने की व्यवस्था है।  

2.बंदियों के लिये सुविधायें 

  • बंदियों को भोजन, चिकित्सा, वस्त्र, विस्तर, स्वच्छ वातावरण, परिजनों से मुलाकात की सुविधा यथा सम्भव व्रत/उपवास रखने की सुविधा, कानूनी सहायता, धर्म आचरण की सुविधा, पिटीशन व पत्र लिखने की सुविधा, नैतिक शिक्षा, व्यायाम और अध्ययन व आत्म शान्ति हेतु धार्मिक ग्रन्थों व साहित्य आदि व्यवस्था एवं कारागारों में अकुशल, अर्द्धकुशल तथा कुशल श्रेणी के आधार पर पारिश्रमिक का भुगतान प्राप्त करने, ता सिद्धदोष बन्दियों को अपने पक्ष न दिये गये निर्णय के विरूद्ध मा0 न्यायालयों में अपील करने हेतु अपेक्षित सहायता तथा विचाराधीन बन्दियों को आवश्यक विधिक सहायता उपलब्ध कराये जाने आदि की सुविधाएँ अनुमन्य है।  

3.बंदियों का जेल में प्रवेश 

  • कारागारों में सभी बंदियों को किसी रिट, वारण्ट या आदेश में विनिर्दिष्ट निदे‍र्शों के अनुसार जेल में निरूद्ध किया जाता है। सिद्धदोष बंदियों को जेल में किसी भी समय पहुँचने पर प्रवेश दिया जाता है, परन्तु विचाराधीन बंदियों को न्यायाधीश की अनुमति के बिना जेल बन्द हो जाने के बाद प्रवेश नहीं दिया जाता है। चिकित्साधिकारी द्वारा प्रवेश के समय प्रत्येक बन्दी का चिकित्सा परीक्षण किया जाता है|

4.कारागार में प्रवेश वर्जित वस्तुएं 

  • कारागार अधिनियम 1894 की धारा 59 की उपधारा 13 के अधीन राज्य सरकार को कतिपय वस्तुओं के जेल में प्रवेश को निषिद्ध घोषित करने का अधिकार है और इसी के अन्तर्गत ड्रग/नारकोटिक्स, नशीली वस्तुएं, अस्त्र–शस्त्र और विस्फोटक पदार्थ, सेलफोन, वायरलेस सेट आदि, धातु, नगद धनराशि एवं बहुमूल्य पदार्थ– ज्वेलरी व अन्य प्रकार के गहनें आदि, किसी प्रकार की तेज और फर्मेन्टेंड शराब, पाइप व चिलम आदि द्वारा धूम्रपान, सभी विस्फोटक व जहरीली चीजें या आग बनाने वाले तत्व या विद्रूपिता की चीजें, निब्स, हथियार, रस्सी, लैडर, स्टिक्स या ऐसी कोई भी वस्तु, जो पलायन में सहायक हो या किसी प्रकार के औजार आदि निषिद्ध वस्तुएं घोषित है। परन्तु यह कि जेल के भीतर हथियार ले जाने पर रोक, मंत्रियों के रक्षक और राज्य के मंत्रियों, उप मंत्रियों, पार्लियामेन्ट के सचिवों पर उनके जेल के निरीक्षण के समय लागू नही होगा।  

5.परिहार व पैरोल कारागार में 

  • प्रत्येक बन्दी को परिहार अच्छे आचरण के लिये प्रतिमाह 03 दिन तथा निर्धारित श्रम को पूरा करने के लिये 03 दिन का परिहार दिया जाता है। जेल मैनुअल में उल्लिखित कार्य के लिये बंदी को कारागार अधीक्षक द्वारा प्रतिमाह 03 दिन तथा महानिरीक्षक द्वारा प्रतिमाह 06 दिन का विशेष परिहार दिया जा सकता हैं।  हत्या तथा डकैती के बन्दियों को छोड़कर किसी सिद्धदोष बन्दी का उसके परिवार के आश्रित माता–पिता व परिजनों की बीमारी व मृत्यु, पुत्र व पुत्री के विवाह तथा कृषि कार्य, आवास मरम्मत इत्यादि के प्रयोजन जिला अधिकारी द्वारा अधिकतम एक माह का पैरोल स्वीकृत किया जा सकता है। 
  • इसके अतिरिक्त मण्डलायुक्त उक्त परियोजनार्थ जिला मजिस्ट्रेट द्वारा स्वीकृत बन्दी के पैरोल की अवधि में 16 दिन की वृद्धि कर सकते हैं अथवा अधिकतम 01 माह का पैरोल स्वीकृत कर सकते हैं। उपरोक्त अवधि से अधिक अवधि के लिये पैरोल शासन द्वारा स्वीकृत किया जाता है।   
  • बन्दियों की समय पूर्व रिहाई संविधान के अनुच्छेद 161 तथा जेल मैनुअल के प्रस्तर–87 के अन्तर्गत दया याचिका, जेल मैनुअल के प्रस्तर–195, 196, 197 के अन्तर्गत गम्भीर बीमारी, वृद्धावस्था, अंग शिथिलता, प्रस्तर–198 के अन्तर्गत 14 वर्षीय नामिनल रोल, जेल मैनुअल प्रस्तर–233, 250 के अन्तर्गत पुनरीक्षण बोर्ड की संस्तुति पर तथा प्रस्तर–251, 270 के अन्तर्गत यू0पी0 प्रिजन्स रिलीज आन प्रोवेशन एक्ट, 1938 में विहित प्राविधानों के अनुरूप स्वीकृत किया जाता है।  

6.बंदी मुलाकात व्यवस्था 

कारागारों में निरूद्ध बंदियों की मुलाकात उनके परिजनों, मित्रों, सम्बन्धियों एवं विधिक परामर्शदाताओं/अधिवक्ताओं से समुचित सुरक्षित वातावरण में कराये जाने की व्यवस्था निम्नवत् है :–       
  1. बंदियों से मुलाकात शनिवार एवं कारागार अवकाश को छोड़कर प्रतिदिन कराये जाने का प्राविधान है।
  2. विचाराधीन बंदी से प्रतिदिन एक समय में अधिकतम 03 वयस्क मुलाकातियों की मुलाकात अधिकतम 30 मिनट के लिये अनुमन्य है। विचाराधीन बंदी से उसके मित्र, परिजन तथा रिश्तेदार की मुलाकात सप्ताह में अधिकतम एक बार कराये जाने का प्राविधान है। विचाराधीन बंदियों से मुलाकात केवल लिखित प्रार्थना पत्र पर ही करायी जाती है। प्रार्थना पत्र में अन्य बातों के अलावा मुलाकाती का नाम, उसका स्थानीय व स्थायी पता, बंदी से उसका संबंध और मुलाकात का प्रयोजन अंकित किया जाता है।      
  3. प्रत्येक बंदी की मुलाकात के पूर्व तथा बाद में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार गहन तलाशी ली जाती है।      
  4. मुलाकात नियमों एवं निषिद्ध वरूतुओं की सूची आदि का प्रदर्शन प्रत्येक कारागार के मुख्यद्धार के सामने नोटिस बोर्ड पर किया जाता है।  
  5. प्रत्येक सिद्धदोष बंदी प्रतिमाह अपने संबंधियों व मित्रों से एक मुलाकात कर सकता है तथा एक पत्र लिख सकता है। इसके अतिरिक्त प्रत्येक सिद्धदोष बंदी उसे सम्बोधित पत्रों को प्राप्त कर सकता है। पत्र और मुलाकात परस्पर परिवर्तनीय है।      
  6. बंदी मुलाकात के दौरान किसी प्रकार के अनाधिकृत वस्तु का आदान–प्रदान तथा ऐसा विचार विनिमय, जिसका कारागार प्रशासन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े, वर्जित है।  

7.बंदी वस्त्र 

  • कारागार में प्रत्येक सिद्धदोष बंदी को जेल मैनुअल में विहित प्राविधानानुरूप, बंदी वस्त्र, दरी, कम्बल आदि दिये जाने की व्यवस्था है। प्रत्येक बंदी द्वारा अपने वस्त्र स्वयं प्रच्छालित किये जाते हैं। बंदी को दिये गये वस्त्रों की सफाई आदि के लिये साबुन/डिटरजेन्ट केक प्रति सप्ताह दिया जाता है। विचाराधीन बंदी को निजी कपड़े पहनने की सुविधा है, लेकिन ऐसे विचाराधीन बंदी, जो निराश्रित की श्रेणी में आते हैं, को कारागार द्वारा वस्त्र दिये जाते है।  

8.भोजन व्यवस्था 

  • कारागारों में एल0 पी0 जी0 आधारित चूल्हों पर भोजन तैयार किया जाता है। जेल मैनुअल में तथा समय–समय पर शासन द्वारा यथा निर्धारित मानकों के अनुरूप बंदियों के लिये भोजन व्यवस्था उपलब्ध है। प्रत्येक बंदी के लिये दिन में एक बार चाय की भी व्यवस्था की गयी है। 
  • हिन्दू व मुस्लिम बंदियों को व्रत या रोजा के दौरान फल आदि दिये जाने की व्यवस्था है। 
  • स्वतन्त्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, गांधी जयन्ती आदि राष्ट्रीय पर्वो पर तथा दीपावली, होली, रक्षा बंधन, ईद, बकरीद और क्रिसमस आदि त्योहारों के अवसर पर बंदियों को विशेष भोजन की सुविधा उपलब्ध करायी जाती है। 
  • माह में प्रथम–तृतीय एवं अन्तिम रविवार को बंदियों को विशेष भोजन के रूप में पूड़ी, हलुवा, सब्जी देने की व्यवस्था है। 
  • प्रत्येक कारागार में भण्डारे की व्यवस्था हेतु बंदियों में से पंच नामित किये जाते है। बंदियों को पीतल के बर्तन के एवज में स्टील की थाली तथा मग उपलब्ध कराये जाने की व्यवस्था करायी गयी है।  

9.बंदियों के लिये चिकित्सा सुविधा     

  1. प्रत्येक जेल में 20–30 बिस्तर क्षमता के अस्पताल है तथा कारागार अस्पताल में चिकित्सा अधीक्षक एवं चिकित्सा अधिकारी तथा एक या दो फामे‍र्सिस्टों की व्यवस्था विद्यमान है।
  2. उपरोक्त के अतिरिक्त कारागारों में पैरा मेडिकल स्टाफ तथा एक्सरे टेक्नीशियन, लैब अटेंडेण्ट, लैब टेक्नीशियन आदि के पद कुछ कारागार अस्पतालों में उपलब्ध है।     
  3. नारी बंदी निकेतन, लखनऊ में महिला बंदियों के लिये अलग डिस्पेन्सरी स्थापित है, जिसमें महिला चिकित्सा अधिकारी तथा नर्स की सेवायें उपलब्ध है।      
  4. प्रत्येक कारागार में चिकित्सा विभाग के विशेषज्ञ दलों द्वारा प्रत्येक माह में निर्धारित दिवसों में बंदियों के चिकित्सा परीक्षण तथा विशिष्ट उपचार की व्यवस्था की गयी है। क्षय रोग ग्रस्त बंदियों के विशिष्ट उपचार की व्यवस्था स्थानीय जिला क्षय रोग केन्द्रों के सौजन्य से करायी जाती है।      
  5. गम्भीर बीमारी की स्थिति में बंदियों को उपचार हेतु जिला चिकित्सालय, मेडिकल कालेज आदि में भेजने की व्यवस्था है।     
  6. लगभग सभी कारागारों में एम्बुलेन्स की सुविधा उपलब्ध है।     
  7. जिला कारागार, लखनऊ, कानपुर, बाराबंकी, फैजाबाद, वाराणसी, खीरी, उन्नाव, मेरठ एवं आगरा में राज्य एड्स नियंत्रण समिति के सौजन्य से ‘जय’ नाम से एड्स नियंत्रण परियोजनायें शुरू की गयी है। 

10.बंदियों के लिये कल्याण कार्यक्रम 

  • बंदियों को हिस्ट्री टिकट दिये जाते है। जिनमें उनसे सम्बन्धित विवरण उल्लिखित किये जाते है। प्रत्येक सोमवार को अधीक्षक द्वारा बंदियों की परेड करायी जाती है, जिसमें बंदी अपनी कठिनाइयों को बता सकता है। अधिकांशतया कारागारों में योग, ध्यान एवं धार्मिक प्रवचन, खेल–कूद एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन विभिन्न स्वयं सेवी संगठनों के सौजन्य से किया जाता है। प्रत्येक कारागार में पब्लिक एड्रेस सिस्टेम की स्थापना की गयी है, जिसके माध्यम से प्रतिदिन प्रात: व सांयकाल सर्वधर्म भाव–भजन कीर्तन तथा समय–समय पर संदेश/उपदेश आदि का प्रचार–प्रसार किया जाता है।  बंदियों की सुविधा के लिये नव निर्मित होने वाली सभी बैरकों में पंख लगाये जाने का निर्णय लिया गया है। इस परिप्रेक्ष्य में कारागार के अधिकांश पुरानी बैरकों में सीलिंग पंखों की स्थापना की गयी है। अवशेष बैकों में भी सीलिंग पंखों की व्यवस्था की जा रही है। प्रत्येक कारागार में कैन्टीन की सुविधा उपलब्ध है। जहाँ से प्रत्येक बंदी माह में रू. 600/– प्रति धनराशि का सामान अपने प्रयोग के लिये क्रय कर सकता है। बंदियों के लिये मनोरंजन एवं ज्ञानार्जन की सुविधा बंदियों के मनोरंजन, ज्ञानवर्धन तथा सामाजीकरण की दृष्टि से सभी कारागारों की बैरकों में टेलीविज़न सेट तथा प्रत्येक कारागार में एक–एक नग बी0सी0सी0 और जन संचार प्रणाली उपलब्ध कराये गये है। महिला कारागारों/आहातों तथा किशोर बंदी आहातों में अलग से रंगीन टेलीविज़न सेट उपलब्ध कराये गये है। बंदियों के लिये खेलकूद की सुविधायें उपलब्ध है।  

11.प्रत्येक कारागार में पुस्तकालय की व्यवस्था 

  • प्रत्येक कारागार में एक पुस्तकालय कार्यशील है, जिसमें बंदियों के उपयोगार्थ विभिन्न प्रकार के पर्याप्त संख्या में पुस्तकें, साहित्य एवं पवित्र धार्मिक ग्रन्थ यथा रामचरितमानस, भागवतगीता, कुरान और बाइबिल के चार–चार सेट आदि की व्यवस्था उपलब्ध है। पुस्तकालयों में उक्त पवित्र धार्मिक ग्रन्थों का सम्मान पूर्वक पृथक रख–रखाव किया गया है। इसके अतिरिक्त प्रत्येक कारागार में दैनिक समाचार–पत्र भी उपलब्ध कराये जाते है। 

12.शिक्षा की व्यवस्था

  • सभी कारागारों में निरक्षर बंदियों को साक्षर बनाये जाने हेतु ‘नया सवेरा योजना’ संचालित है। इस योजना के अन्तर्गत सफल बंदियों को 15 दिन का विशेष परिहार महानिदेशक द्वारा स्वीकृत किया जाता है। इसके अतिरिक्त स्वयं सेवी संगठनों के सहयोग से भी बंदियों की साक्षरता हेतु विशेष अभियान चलाये जाते है।  

13.बंदी के मानवाधिकारों का संरक्षण 

  • कारागारों में दण्ड स्वरूप बंदियों को बेड़ी एवं हथकड़ी लगाने और कृषि फर्मो पर कार्य करने वाले बंदियों के पैरो में कडि़याँ डालने की व्यवस्था समाप्त कर दी गयी है। 
  • बंदियों के मानव अधिकारों के संरक्षण एवं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा संदर्भित मामलों के अनुश्रवण आदि के लिये शासन स्तर पर मुख्यालय स्तर पर मानव अधिकार प्रकोष्ठ गठित है। 
  • बंदियों की मृत्यु के मामलों में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से प्राप्त नोटिसों एवं सामान्य शिकायतों की जांच तत्परतापूर्वक करायी जाती है।  

14.बंदियों द्वारा अर्जित पारिश्रमिक का बैंक खातों में रख–रखाव 

  • कारागारों में बंदियों को उनके द्वारा सम्पादित कुशल, अद्र्धकुशल एवं अकुशल श्रम के लिये क्रमश: 18/–, 13/– एवं 10/– की दरों से पारिश्रमिक का भुगतान किया जाता है। शासन द्वारा बंदियों के पारिश्रमिक की दरों में समय–समय पर संशोधन किये जाने की भी प्रक्रिया अपनायी जाती है।
  • कारागारों में निरूद्ध सिद्धदोष बंदियों द्वारा अर्जित पारिश्रमिक का सम्बन्धित कारागार के वरिष्ठ अधीक्षक/अधीक्षक के नाम खुले बैंक खाते में रखे जाने तथा इनकी लेजर में अद्यावधिक प्रविष्टि अंकित किये जाने और प्रत्येक कारागार में प्रत्येक बंदी के सम्बन्ध में श्रम उपस्थिति पंजिका अर्जित पारिश्रमिक की धनराशियों की लेजर में प्रविष्टियों एवं पासबुकों का अद्यावधिक रख–रखाव नियमित रूपेण किये जाने की व्यवस्था की गयी है।  
15.कारागारों में पर्यावरण सुधार 
  • कारागारों में पर्यावरण सुधार की दृष्टि से प्रदेश की समस्त कारागारों में वृक्षों का रोपण कराया जा रहा है। पालीथीन के प्रयोग के शत् प्रतिशत निर्मुक्तिकरण हेतु कारागारों में इसके उपयोग से होने वाली हानियों के प्रति बंदियों में जागरूकता उत्पन्न किये जाने के निमित्त कारागारों में प्रचारों वाक्यों (श्लोगनों) का पटल–लेखन कराये गये है। 
  • पालीथीन बैग के प्रयोग का शत् प्रतिशत उन्मूलन करने के निमित्त वैकल्पिक व्यवस्था के अन्तर्गत प्रथम चरण में जिला कारागार सहारनपुर, कानपुर तथा आदर्श कारागार लखनऊ में कागज के थैलों का निर्माण कराये जाने की व्यवस्था आरम्भ की गयी।  

16.कारागार उद्योग एवं बंदियों के लिये रोजगारपरक व्यावसायिक प्रशिक्षण की व्यवस्था 

  • बंदियों को उनके सफल सामाजिक पुर्नवासन हेतु विभिन्न रोजगारपरक उद्यमों में प्रशिक्षण प्रदान करने तथा कारागारों की आवश्यकतानुरूप विभिन्न औद्योगिक उत्पादनों के दृष्टिगत कतिपय प्रमुख उद्योग केन्द्रीय कारागारों–आगरा, बरेली, फतेहगढ़, नैनी व वाराणसी, आदर्श कारागार लखनऊ तथा जिला कारागार उन्नाव में ही संचालित किये जा रहे हैं। 
  • प्रमुख उद्योगों में बुनाई, साबुन एवं फिनायल, जूता एवं चप्पल, कम्बल, दरी एवं कपड़ा, काष्ठकला, लौह उद्योग, बन्दीरक्षक यूनीफार्म सिलाई उद्योग, एनामल पेन्टस, कालीन, पीतल, तम्बूख् रंगाई, छपाई, निवाड़, चिक, पावरलूम, कागज विनिर्माण, प्रिटिंग प्रेस, गमछा, बस्ता, बेडशीट, सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, लूम कारपेट, आसनी, फल संरक्षण, उद्योग तथा मसाला पिसायी उद्योग आदि उल्लेखनीय है।
  • बंदियों द्वारा उत्पादित वस्तुओं का उपयोग सामान्यतय: कारागारों की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु किया जाता है। आवश्यकता से अधिक उत्पादों का विक्रय लखनऊ स्थित जेल डिपों के माध्यम से किया जाता है। केन्द्रीय कारागार, फतेहगढ़ द्वारा उत्पादित टेण्ट तथा छोलदारी की आपूर्ति प्रदेश के पुलिस व वन विभाग के अतिरिक्त अन्य प्रदेशों में की जाती है। 
  • सभी केन्द्रीय कारागार व जिला कारागार, उन्नाव में बंदीरक्षकों के यूनीफार्म व बंदी वस्त्रों की सिलाई की जाती है। समय–समय पर विभिन्द्र पुरोनिधानित योजनाओं के अन्तर्गत विभिन्न कारागारों में एक से अधिक श्रेणी के विविध रोजगारपरक उद्यमों में व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों के संचालन की व्यवस्था की जाती है। 

17.महिला बंदियों के लिये सुविधायें 

  • महिला बंदियों के लिये सैनिटरी नैपकिन की व्यवस्था समस्त कारागारों में की गयी है। महिला बंदियों द्वारा स्वयं भोजन प्रबन्धन की व्यवस्था चरणबद्ध रूप से की जा रही है। 
  • जेल मैनुअल में विहित प्राविधानानुरूप महिला बंदी अपने साथ 06 वर्ष तक की आयु के बच्चों को साथ में रख सकती है। बच्चों के लिये प्रदेश की 10 कारागारों में क्रेच भी स्थापित है। इसके अतिरिक्त नारी बंदी निकेतन, लखनऊ की महिला–बंदियों के बच्चों के लिये पब्लिक स्कूलों में शिक्षण की भी व्यवस्था की जा रही है। 
  • बंदियों को फल संरक्षण, सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, क्रोशिया आधारित बुनाई, अचार व चटनी बनाने की विधि आदि रोजगारपरक उद्यमों में प्रशिक्षण दिलाया जाता है। आध्यात्मिक उन्नयन हेतु योग, ध्यान प्रशिक्षण तथा हवन यज्ञ आदि के आयोजन और बंदियों के चिकित्सा परीक्षण व उपचार के सम्बन्ध में स्वास्थ्य परीक्षण शिविर, नेत्र परीक्षण शिविर तथा उनके बच्चों के लिये पोलियो कैम्प व टीकाकरण कार्यक्रमों का आयोजन समय–समय पर किया जाता है। विभिन्न स्वयं सेवी संस्थाओं द्वारा महिला बंदियों के लिये शाल आदि तथा बच्चों के लिये गर्म वस्त्र, जूते व मोजे आदि की व्यवस्था की जाती है।
  • प्रत्येक सोमवार को स्वयं सेवा संस्था द्वारा मेडिकल तथा स्वास्थ्य सम्बन्धी व्याख्यान दिलाये जाने तथा एड्स एवं गम्भीर बीमारियों के बारे में जानकारी दिये जाने की व्यवस्था की गयी है।
  • विभिन्न स्वयं सेवी संगठनों के तत्वाधान में साक्षरता शिविरों का आयोजन किये जाने और प्रत्येक निरक्षर महिला बंदियों को कार्यरत महिला अध्यापिका द्वारा साक्षर बनाये जाने की व्यवस्था भी समय–समय पर की जाती है।  

18.शिकायती/पिटीशन बाक्सों की स्थापना

  • प्रत्येक कारागार के मुख्य द्वारा के बाहर जन सामान्य की जानकारी हेतु मुलाकात, रिहाई और प्रतिबन्धित वस्तुओं आदि के सम्बन्ध में प्रचलित निदे‍र्शों व प्रक्रियाओं का प्रदर्शन नोटिस बोर्ड पर किया जाता है तथा महानिदेशक/ जिला जज/ जिलाधिकारी के नाम से पिटीशन/ लोक शिकायत बाक्स स्थापित किया गया है, जिसमें प्राप्त शिकायतों/आवेदनों का नियमानुसार समयबद्ध निस्तारण किया जाता है।  

19.जन सम्पर्क हेतु अधिकृत अधिकारी एवं उनके सम्पर्क दूरभाष नम्बर 

  • कारागार प्रशासन के सम्बन्ध में किसी सूचना/शिकायत हेतु कार्यालय विज्ञप्ति संख्या 35 दिनांक 20–09–2005 के अन्तर्गत सम्बन्धित अधिकारियों की सूची दी गयी है।

साभार (http://upprisons.up.nic.in)

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