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International Day of Zero Tolerance for Female Genital Mutilation - 6 Feb, 2018

Dear Readers,
संयुक्त राष्ट्र पॉपुलेशन फंड प्रोजेक्ट ने महिलाओं के खतना के खिलाफ मनाये जाने वाले "इंटरनेशनल डे फॉर जीरो टॉलरेंस" के अवसर पर एक आंकड़ा जारी किया है।
  1. 6 फरवरी, 2003 को, नाइजीरिया की पहली महिला स्टेला ओबसान्जो ने अफ्रीका में "एफसीजी के लिए जीरो सहिष्णुता" पर आधिकारिक घोषणा की। संयुक्त राष्ट्र ने इस दिन को अंतरराष्ट्रीय जागरूकता दिवस के रूप में अपनाया।
  2. प्रोजेक्ट की रिपोर्ट के अनुसार, प्रतिवर्ष विश्वभर में 3.9 मिलियन महिलाओं का खतना होता है, जो वर्ष 2030 तक प्रतिवर्ष 4.6 मिलियन हो जायेगा।
  3. भारत में बोहरा मुसलमानों के बीच यह रुढ़िवादी परंपरा कायम है। बोहरा मुसलमान भारत के गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में रहते हैं। इनकी कुल आबादी 10 लाख के आसपास है।
  4. वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन (WHO) द्वारा फरवरी 2017 में जारी रिपोर्ट के अनुसार, विश्व जनसंख्या में 20 करोड़ महिलाओं के जननांग के बाहरी हिस्से को पूरी तरह काट कर निकाल दिया है, जो अमानवीय तो है ही काफी पीड़ादायक भी है। इस प्रक्रिया को "Female genital mutilation" कहा जाता है। यह परंपरा अफ्रीका, मध्य पूर्व और एशिया में कायम है।

क्या है FGM (Female genital mutilation) की प्रक्रिया 

FGM की प्रक्रिया चार चरणों में पूरी होती है।
  1. पहली चरण में मादा जननांग के बाहरी भाग (clitoris) को पूरी तरह या आंशिक रूप से काटकर हटा दिया जाता है। 
  2. दूसरे चरण में योनि की आंतरिक परतों को भी काटकर हटाया जाता है। 
  3. तीसरा चरण इन्फ्यूब्यूलेशन का होता है, जिसमें योनि द्वार को बांधकर छोटा कर दिया जाता है। 
  4. चौथा चरण में भी वो तमाम क्रियाएं की जातीं हैं, जो जननांग को नुकसान पहुंचाती हैं। इससे प्रक्रिया का दुष्परिणाम सेक्स के दौरान और प्रसव के दौरान भी नजर आता है।
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