Filmmakers, writers should be allowed freedom of speech and expression : Supreme Court
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सुप्रीम कोर्ट ने 16 नवम्बर को कहा कि फिल्म निर्माताओं व लेखकों को अभिव्यक्ति की आजादी होनी चाहिए और उनकी इस आजादी पर रोक नहीं लगाई जा सकती।
सुप्रीम कोर्ट ने 16 नवम्बर को कहा कि फिल्म निर्माताओं व लेखकों को अभिव्यक्ति की आजादी होनी चाहिए और उनकी इस आजादी पर रोक नहीं लगाई जा सकती।
- शीर्ष अदालत ने दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) प्रमुख अरविंद केजरीवाल पर बनी डॉक्यूमेंट्री-ड्रामा फिल्म ''एन इनसिग्नीफिकेंट मैन'' की रिलीज पर प्रतिबंध लगाने की मांग लेकर दायर याचिका को खारिज करते हुए यह बात कही।
- सामाजिक कार्यकर्ता से लेकर राजनेता बने अरविंद केजरीवाल पर बनी यह फिल्म आम आदमी पार्टी के शुरुआती दिनों से लेकर अब तक के सफर को बताएगी।
- सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यह फिल्म अब अपने पूर्व नियोजित कार्यक्रम के अनुसार 17 नवम्बर, 2017 को रिलीज होगी।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा 'फिल्म निर्माता और लेखकों के अभिव्यक्ति और बालने की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए और कोर्ट उसमें रोक नहीं लगा सकता।
- फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग को लेकर नचिकेता वल्हाकर की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी. वाई.चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा, फिल्म पर रोक लगाने का आदेश देने में अदालत का रवैया अत्यधिक निष्क्रिय होना चाहिए, क्योंकि बोलने व अभिव्यक्ति की आजादी पर प्रतिबंध नहीं होना चाहिए।
- शीर्ष अदालत ने कहा कि रचनात्मक कार्य से जुड़े हर व्यक्ति को फिल्म बनाने व नाटकों की रचना करने और उनकी प्रस्तुति का अधिकार है।
- नचिकेता वाघरेकर ने नवंबर 2013 में, कॉन्सटीयूशन क्लब में अरविंद केजरीवाल पर स्याही फेंका था और उसी क्लिप को फिल्म में इस्तेमाल किया गया है।
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