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Do You Know : कलाशनिकोव राइफल (AK-47) राइफल

Dear Aspirants,

AK-47 दुनिया की सबसे पहली और शायद सबसे अच्छी अस्सौल्ट राइफल मानी जाती है।

विश्व में सबसे अधिक प्रयोग में लाया जाने वाला हथियार ‘कलाशनिकोव राइफल’, जिसे दुनिया ‘ए.के.- 47’ (AK-47) के नाम से जानती है, के जनक रूस के मिखाइल कलाशनिकोव (Mikhail Kalashnikov) हैं। विश्व का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने का एक कारण यह भी हैं। क्योंकि ये उपयोग करने में बेहद आसान है। इसे किसी भी मौसम में किसी भी एंगल से चलाया जा सकता है।

आइये इससे जुड़े कुछ तथ्य जानते हैं।.......      
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि 106 देशों की सेना की ओर से इस्तेमाल की जाने वाली AK-47 का ब्लू प्रिंट किसी प्रयोगशाला और कई वैज्ञानिकों के बीच तैयार नहीं हुआ था, जबकि अस्पताल के बैड पर पड़े बीमार व्यक्ति के दिमाग में तैयार हुआ था। कई सेनाओं के लिए एक स्तंभ का काम करने वाली AK-47 का आविष्कार मिखाइल कलाश्निकोव ने किया था। 
  • मिखाइल कलाश्निकोव के नाम से ही इस स्वचालित रायफल का नाम रखा गया है, और यह दुनिया का सबसे ज्यादा प्रचलित और व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला हथियार है।
  • बताया जाता है कि मिखाइल ने कई सालों तक इसका पेटेंट भी नहीं करवाया था और ना ही इससे ज्यादा पैसे कमाए थे।
रूस के राष्ट्रीय गौरव और राष्ट्रीय नायक कहे जाने वाले मिखाइल कलाश्निकोव का जन्म {10 नवम्बर, 1919 - 23 दिसम्बर 2013 } को रूस (USSR)  में अटलाई प्रांत के कुर्या गांव में एक बड़े परिवार में हुआ था। 
  • 1938 में विश्व युद्ध की आशंका के चलते उन्हें “लाल-सेना” से बुलावा आ गया, और कीयेव के टैंक मेकेनिकल स्कूल में, उन्होंने काम किया और इसी दौरान उनका तकनीकी कौशल उभरने लगा था। 
  • साल 1941  में एक भीषण युद्ध के दौरान कलाश्निकोव बुरी तरह घायल हुए और उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। 
  • अस्पताल के बिस्तर पर बिताए 6 महीनों में कलाश्निकोव ने अपने दिमाग में एक सब-मशीनगन का रफ डिजाइन तैयार कर लिया था।
  • जून 1942 में कलाश्निकोव की सब-मशीनगन वर्कशॉप में तैयार हो चुकी थी,  इस डिजाइन को रक्षा अकादमी में भेजा गया।
  • 1944 में कलाश्निकोव ने एक “सेल्फ़ लोडिंग कार्बाइन” का डिजाइन तैयार किया, 1946 में इसके विभिन्न टेस्ट किए गए और अन्ततः 1949 में इसे सेना में शामिल कर लिया गया।
  • इसकी महत्त्व का अंदाजा इस तथ्य से भी लगाया जा सकता है कि अफ्रीकी देश मोजाम्बिक ने वर्ष 1983 में इस राइफल को अपने राष्ट्रीय ध्वज में स्थान दिया था।
क्यों खास है एके-47: 
AK-47 नाम के पीछे का रहस्य- ये मिखाइल का ऑटोमैटिक हथियार है, इसलिए इसका नाम दिया गया आवटोमैट कलाशनिकोवा, जिसे बाद में ऑटोमैटिक कलाश्निकोव कहा जाने लगा।
  • साल 1947 में मिखाइल ने ऑटोमैटिक कलाशनिकोवा मॉडल को पूरा कर लिया। बोलने में मुश्किल होने की वजह से इसे संक्षिप्त कर AK-47 कहा जाने लगा।
  • जर्मन सेना की एसटीजी-44 राइफल सामने आयी हालांकि ये इस प्रकार की पहली राइफल नहीं थी इटली की सेना भी सेई-रिगोटी और सोवियत सेना की फेदारोव एव्तामोट राइफल भी इसी श्रेणी की थी।      
  • इस राइफल की नाल और गोलियों के चैंबर में ‘क्रोम कोटिंग’ होने के कारण इसमें कार्बन जमने की कोई समस्या नहीं होती और फायरिंग के दौरान इसे बार-बार साफ नहीं करना पढ़ता।
  • AK-47 वह हथियार है, जिससे पानी के अंदर से हमला करने पर भी गोली सीधे जाती है। गोलियों की गति इतनी तेज होती है, कि पानी का घर्षण भी उसे कम नहीं कर पाता है।
  • दुनिया में यह एक मात्र ऐसी राइफल है, जिसकी सबसे ज्यादा कॉपी की गई है।
  • मिखाइल कैलाशनिकोव ने Ak-47 को उन रूसी सैनिकों के बनाया था जिन्हें आर्कटिक के ठंडे मौसम में मोटे–मोटे दस्ताने पहनकर पुरानी किस्म की राइफल चलानी पड़ती थी।     
  • AK–47 से एक मिनट में बिना रुके 600 गोलियां दागी जा सकती है। मतलब कि एक सेकेंड में 10 गोलियां, इसकी वजह AK–47 की शानदार गैस चैम्बर और स्प्रिंग है।     
  • AK–47 की रेंज 300 से 400 मीटर तक होती है और एक नौसिखिया भी इससे अचूक निशाना लगा सकता है।     
  • AK–47 राइफल सिर्फ 8 पुर्जों से मिलकर बनी हुई होती है और कोई भी इसे सिर्फ एक मिनट में आसानी से रिसेंबल कर सकता है।     
  • AK–47 रायफल में ऑटोमैटिक और सेमीऑटोमैटिक दोनों तरह के गुण होते हैं। ऑटोमैटिक का मतलब है कि एक बार ट्रिगर दबाकर रखने से गोलियां चलती रहती हैं। और सेमी ऑटोमैटिक का अर्थ है, एक बार ट्रिगर दबाने से ही गोली चलती है।         
  • AK-47 की लंबाई लगभग 3 फुट होती है और पूरी तरह से गोलियों से भरी हुई एके-47 राइफल का वजन साढ़े 4 किलो होता है।         
  • मिखाइल कलाशनिकवो के अनुसार, वह एके-47 से एक लाख से भी ज्यादा गोलियां दाग चुके हैं। जिसके कारण वो बहरे हो गए।
  • AK-47 राइफल का सबसे ज्यादा गलत इस्तेमाल अफगानिस्तान में आतंकी संगठन तालिबान ने किया है। इस समय विश्व में करीब 10 करोड़ AK-47 राइफल हैं।         
  • लगभग सभी देशों में आम नागरिकों के पास AK-47 रखना गैरकानूनी है।         
  • AK–47 को साल 1947 में रूस के एक सैनिक मिखाइल कलाशनिकोव ने बनाया था। जिस समय मिखाइल कलाशनिकोव AK-47 को बनाया तब वह युद्ध में घायल होने की वजह से अस्पताल में भर्ती थे और उनकी उम्र सिर्फ 21 साल थी।         
  • मिखाइल कलाशनिकोव जब छोटे थे तब वह सोचते थे कि वह ऐसे उपकरण बनायेंगे जिन से खेती करने में आसानी होगी। लेकिन तकदीर ने उनसे ऐसा हथियार बनवा दिया जिससे विश्व में सबसे ज्यादा हत्याएं हुई हैं।
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