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तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और डीएमके प्रमुख एम. करुणानिधि राजनीतिज्ञ, फिल्म पटकथा लेखक, नाटककार, पत्रकार, प्रकाशक, कार्टूनिस्ट और तमिल साहित्यकार के जानेमाने लेखक के रूप में जाने जाते थे। उन्होंने कविताएं, उपन्यास, जीवनी, निबंध, गीत आदि भी रचे. उनकी लिखी हुई किताबों की संख्या सौ से अधिक है।
तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और डीएमके प्रमुख एम. करुणानिधि राजनीतिज्ञ, फिल्म पटकथा लेखक, नाटककार, पत्रकार, प्रकाशक, कार्टूनिस्ट और तमिल साहित्यकार के जानेमाने लेखक के रूप में जाने जाते थे। उन्होंने कविताएं, उपन्यास, जीवनी, निबंध, गीत आदि भी रचे. उनकी लिखी हुई किताबों की संख्या सौ से अधिक है।
- तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और डीएमके प्रमुख एम. करुणानिधि का मंगलवार शाम 6:10 pm यानि 7 अगस्त को चेन्नई के कावेरी अस्पातल में निधन हो गया। पिछले कुछ सप्ताह से करुणानिधि बीमार चल रहे थे।
- करुणानिधि के समर्थक उन्हें 'कलाईनार' यानि कि "कला का विद्वान" भी कहते हैं।
- करुणानिधि के देहांत के बाद तमिलानाडु में कल (बुधवार) छुट्टी घोषित कर दी गई है, साथ ही राज्य में 7 दिन का राजकीय शोक भी घोषित कर दिया गया है।
- करुणानिधि ने राजनीति के क्षेत्र में जमकर पसीना बहाया और 1967 के चुनावों में पार्टी ने बहुमत हासिल किया और अन्नादुराई तमिलनाडु के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने।
- करुणानिधि के निधन के बाद पूरा तमिलनाडु ग़मगीन है, लेकिन उनकी अंत्येष्टि की जगह को लेकर स्थिति साफ़ नहीं हो पाई है। जिस मरीना बीच पर तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता को दफ़न किया गया था, डीएमके वहीं करुणानिधि भी की अंत्येष्टि करना चाहती है।
- जयललिता के समय मद्रास विश्वविद्यालय में तमिल भाषा और साहित्य के रिटायर्ड प्रोफ़ेसर डॉक्टर वी अरासू ने बीबीसी को बताया था कि इसकी वजह जयललिता का द्रविड़ मूवमेंट से जुड़ा होना था।
- द्रविड़ आंदोलन हिंदू धर्म के किसी ब्राह्मणवादी परंपरा और रस्म में यक़ीन नहीं रखता है।
- जयललिता भी एक द्रविड़ पार्टी की प्रमुख थीं, जिसकी नींव ब्राह्मणवाद के विरोध के लिए पड़ी थी।
- जयललिता से पहले एमजी रामचंद्रन को भी दफ़नाया गया था। उनकी क़ब्र के पास ही द्रविड़ आंदोलन के बड़े नेता और डीएमके के संस्थापक अन्नादुरै की भी क़ब्र है।
मुथुवेल करुणानिधि (Muthuvel Karunanidhi) के बारें में...
मुथुवेल करुणानिधि का जन्म 3 जून, 1924 को तमिलनाडु के नागापट्टिनम ज़िले के तिरुक्कुभलइ गाँव के एक निम्नवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम मुथुवेल और मां का नाम अंजुकम था। वे इसाई वेल्लालर समुदाय से संबंध रखते थे।
मुथुवेल करुणानिधि का जन्म 3 जून, 1924 को तमिलनाडु के नागापट्टिनम ज़िले के तिरुक्कुभलइ गाँव के एक निम्नवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम मुथुवेल और मां का नाम अंजुकम था। वे इसाई वेल्लालर समुदाय से संबंध रखते थे।
- करुणानिधि ने तीन शादियां कीं। उनकी पहली पत्नी पद्मावती का कम उम्र में निधन हो गया। इस शादी से उनके एक बेटे एमके मुथु हैं। इसके बाद करुणानिधि ने दयालु अम्माल और रजति अम्माल से शादी की। दयालु और करुणानिधि के बच्चे एमके अलागिरि, एमके स्टालिन, एमके तमिलारासू और बेटी सेल्वी हैं। तीसरी शादी से उनकी इकलौती बेटी कनिमोझी हैं जो राज्यसभा सांसद भी हैं।
- करुणानिधि ने अपनी आत्मकथा नेन्जुक्कू नीति (दिल के लिए इंसाफ) भी शामिल है।
- करुणानिधि ने 20 वर्ष की उम्र में तमिल फिल्म उद्योग की कंपनी 'ज्यूपिटर पिक्चर्स' में पटकथा लेखक के रूप में अपना करियर शुरू किया था। अपनी पहली फिल्म 'राजकुमारी' से ही वे लोकप्रिय हो गए। उनकी लिखीं 75 से अधिक पटकथाएं काफी लोकप्रिय हुईं।
- करुणानिधि ने अपनी फिल्म 'पराशक्ति' के जरिए अपने राजनीतिक विचारों का प्रसार किया था। पहले इस फिल्म पर प्रतिबंध लगा लेकिन बाद में (1952) इसे आखिर रिलीज कर दिया गया। फिल्म में कथित रूप से ब्राह्मणवाद की आलोचना होने के कारण रूढ़िवादी हिंदुओं ने इसका विरोध किया था।
- करुणानिधि की दो अन्य फिल्में 'पनाम' और 'थंगारथनम' में विधवा पुनर्विवाह, अस्पृश्यता का विरोध, जमींदारी प्रथा का विरोध और धार्मिक पाखंडों का विरोध दिखाई देता है।
- आजादी से पहले सन 1938 में जस्टिस पार्टी के अलगिरिस्वामी के भाषण ने करुणानिधि को राजनीति की राह दिखा दी थी, जबकि उस समय उनकी उम्र सिर्फ 14 साल थी।
- करुणानिधि ने एक छात्र संगठन 'तमिलनाडु तमिल मनावर मंद्रम' की स्थापना की। यह संगठन द्रविड़ आंदोलन की पहली छात्र इकाई थी।
- करुणानिधि ने 10 अगस्त, 1942को छात्र संगठन के सदस्यों के लिए एक अखबार 'मुरासोली' शुरू किया जो कालांतर में डीएमके का आधिकारिक अखबार बना।
- 'मुरासोली' मासिक अखबार था जो कि बाद में साप्ताहिक हुआ और अब एक दैनिक है।
- 1940 के दशक की शुरुआत में करुणानिधि की मुलाक़ात सीएन अन्नादुरै से हुई। जब अन्नादुरै ने 'पेरियार' ईवी रामास्वामी की पार्टी द्रविडार कझगम (डीके) से अलग होकर द्रविड़ मुनेत्र कझगम यानी डीएमके की शुरुआत की, तब तक करुणानिधि उनके बेहद क़रीबी हो चुके थे।
- कल्लाक्कुडी नाम की जगह का नाम बदलकर डालमियापुरम करने के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के चलते करुणानिधि छह महीने के लिए जेल में डाल दिए गए।
- करुणानिधि ने 1957 से चुनाव लड़ना शुरू किया था। पहले प्रयास में वो कुलिथलाई से विधायक बने। करुणानिधि ने अपना आख़िरी चुनाव 2016 में थिरुवारूर से लड़ा था।
- 1967 में उनकी पार्टी डीएमके ने राज्य की सत्ता हासिल की, तो सरकार में वो मुख्यमंत्री अन्नादुरै और नेदुनचेझियां के बाद तीसरे सबसे सीनियर मंत्री बने थे।
- अन्नादुरै तमिलनाडु के पहले द्रविड़ मुख्यमंत्री थे।
- डीएमके की पहली सरकार में करुणानिधि को लोक निर्माण और परिवहन मंत्रालय मिले थे। परिवहन मंत्री के तौर पर उन्होंने राज्य की निजी बसों का राष्ट्रीयकरण किया और राज्य के हर गांव को बस के नेटवर्क से जोड़ना शुरू किया।
- फरवरी 1969 में अन्नादुरई के निधन के बाद वी आर नेदुनचेझिएन को मात देकर करुणानिधि पहली बार मुख्यमंत्री बने। उन्हें मुख्यमंत्री बनाने में तमिल फ़िल्म स्टार एमजी रामचंद्रन ने अहम भूमिका निभाई थी।
- करुणानिधि 27 जुलाई, 1969 को डीएमके के अध्यक्ष बने थे।
- करुणानिधि की कोशिशों से ही राज्यों के मुख्यमंत्रियों को अपने राज्य में स्वतंत्रता दिवस पर झंडा फ़हराने का अधिकार मिल सका।
- करुणानिधि ने सन 1970 में पेरिस में आयोजित तीसरे विश्व तमिल सम्मलेन के उद्घाटन दिवस पर और सन 1987 में कुआलालम्पुर में छठे विश्व तमिल सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर विशेष भाषण दिए थे।
- करुणानिधि ने विश्व शास्त्रीय तमिल सम्मलेन 2010 के लिए आधिकारिक विषय गीत "सेम्मोज्हियाना तमिज्ह मोज्हियाम" लिखा था जिसे उनके अनुरोध पर एआर रहमान ने संगीतबद्ध किया था।
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