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गौरी लंकेश के सम्मान में उनके परिजनों, समर्थकों, सहयोगियों, प्रशंसकों और
देश भर से जुटे छात्र नेताओं ने उनके जन्मदिन 29 जनवरी को 'गौरी दिवस' के रूप में मनाया।
गौरी लंकेश (29 जनवरी, 1962-5 सितंबर, 2017), बंगलौर से निकलने वाली कन्नड़ साप्ताहिक पत्रिका "लंकेश" की संपादिका के रूप में कार्यरत थीं।
गौरी लंकेश की याद में बेंगलुरू में 'गौरी दिवस' का आयोजन |
- पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता गौरी लंकेश के 56वें जन्मदिन के अवसर पर 29 जनवरी को देश भर के कई सामाजिक कार्यकर्ता और छात्र नेता बेंगलुरू के टाउन हॉल में जुटे।
- कार्यक्रम में अभिनेता प्रकाश राज, मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला, रोहित वेमूला की मां राधिका वेमूला, एचआर दोरेस्वामी, छात्र नेता और गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवानी, जेएनयू के छात्र नेता कन्हैया कुमार, शेहला राशिद और उमर खालिद के अलावा कई कलाकार, लेखक और बुद्धिजीवी शामिल हुए।
- गौरी मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा आयोजित 'गौरी दिवस' का मकसद गौरी लंकेश की स्मृति को पुनर्जीवित करना था। कार्यक्रम में उनकी दो पुस्तकों 'आई एम गौरी : ए फ्लेमिंग मूनलाईट' और 'गौरी बुके' का विमोचन भी किया गया।
- क्रांतिकारी पत्रकार और दक्षिणपंथियों की कठोर आलोचक रहीं गौरी लंकेश की 5 सितंबर,2017 को बेंगलूरू में उनके घर पर ही गोली मार कर हत्या कर दी गई थी।
गौरी लंकेश (29 जनवरी, 1962-5 सितंबर, 2017), बंगलौर से निकलने वाली कन्नड़ साप्ताहिक पत्रिका "लंकेश" की संपादिका के रूप में कार्यरत थीं।
- गौरी का जन्म 29 जनवरी, 1962 को कर्नाटक के एक लिंगायत परिवार में हुआ था। उनके पिता पी। लंकेस कन्नड़ के प्रसिद्ध लेखक, कवि एवं पत्रकार थे।
- 1980 में उन्होंने "लंकेश" नामक कन्नड़ साप्ताहिक पत्रिका की शुरुआत की थी।
- गौरी ने पत्रकारिता को अपना पेशा बनाने का निश्चय किया। पत्रकार के रूप में उनके पेशेवर जीवन की शुरुआत बेंगलुरू में 'टाइम्स ऑफ इंडिया' से हुई। इसके बाद पुनः बेंगलूरू लौटकर उन्होंने 9 सालों तक 'संडे' मैग्जीन में संवाददाता के रूप में काम किया।
- वर्ष 2000 में उनके पिता पी. लंकेश की हृदयाघात से मृत्यु हो गई। उस समय गौरी दिल्ली में इनाडु के तेलुगू चैनल में कार्यरत थीं।
- 5 सितंबर, 2017 को बंगलौर के राजराजेश्वरी नगर में उनके घर पर अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी।
- गौरी लंकेश अंतिम संपादकीय, गौरी 'कंडा हागे' नाम से कॉलम लिखती थीं..
- एन्ना पॉलिटकोवस्काया पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय पत्रकार
- हिंदुत्ववादी राजनीति के खिलाफ खुलकर विचार जाहिर करने वाली वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश
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