भारत की प्रमुख बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएँ
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भारत की प्रमुख बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएँ |
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भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने बहु-उद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं को 'आधुनिक भारत का मंदिर' कहा था| बहु-उद्देशीय नदी घाटी परियोजनओं का उददेश्य सिंचाई का प्रबंध, जल विद्युत् का उत्पादन, बाढ़ नियंत्रण, पर्यावरण की रक्षा, अन्तः-स्थलीय नौपरिवहन का विकास, भू-संरक्षण और मछली पालन का विकास करना था|- संयुक्त राज्य अमेरिका के टेनेसी घाटी परियोजना की तर्ज़ पर यहाँ दामोदर घाटी परियोजना की संरचना प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल में की गई।
- टेनेसी घाटी की योजना का सूत्रपात 1933 ई. में 'टेनेसी घाटी ऑथॉरिटी ऐक्ट' द्वारा हुआ। इसको संक्षिप्त रूप से टी. वी. ए. (T. V. A.) भी कहते हैं। टी.वी.ए. का मुख्य ध्येय टेनेसी घाटी में सारे जल और थल का नियंत्रित रूप से उपयोग संभव करना और उन्हें समाज के लिए लाभप्रद बनाना था|
- टी.वी.ए. के अनुकूल भारतीय संसद ने भी दामोदर घाटी कारपोरेशन का विधान पास किया और डी. वी. सी. (D. V. C.) के अंतर्गत दामोदर नदी के जल थल के लिए योजना बनी, जो बिहार और पश्चिमी बंगाल के प्रदेश को विशेषकर लाभान्वित करती है|
भारत की प्रमुख बहु-उद्देशीय घाटी परियोजनाएं इस प्रकार हैं:-
1.दामोदर घाटी परियोजना:- दामोदर घाटी परियोजना भारत की एक
प्रमुख नदी घाटी परियोजना है। जुलाई 7, 1948 को स्वतंत्र भारत की पहली
बहुउद्देशीय परियोजना के रूप में 'दामोदर नदी घाटी' परियोजना अस्तित्व में
आई।
7.फरक्का परियोजना:-
फरक्का परियोजना सन 1963 में शुरू हुई थी और 1975 में पूरी हुई। यह
परियोजना गंगा और हुगली नदी प्रणाली की नौगम्यता बढ़ाने के लिए और गंगा नदी
का जल हुगली नदी में मिलाने के लिए बनाई गई थी।
- दामोदर नदी, छोटा नागपुर की पहाड़ियों से निकलती है। इसकी सहायक नदियों में कोनार, बोकारो और बराकर प्रमुख हैं। ये नदियां गिरीडीह, हज़ारीबाग़ और बोकारो ज़िले से होकर बहती है। दामोदर पश्चिम बंगाल तथा झारखंड में बहने वाली एक नदी है।
- इस परियोजना का उद्देश्य दामोदर नदी पर बाढ़ का नियंत्रण, सिंचाई, विद्युत-उत्पादन, पारेषण व वितरण, पर्यावरण संरक्षण तथा वनीकरण, दामोदर घाटी के निवासियों का सामाजिक आर्थिक कल्याण एवं औद्योगिक और घरेलू उपयोग हेतु जलापूर्ति सुनिश्चित करना है|
- दामोदर घाटी परियोजना भारत की ऐसी पहली परियोजना है, जहाँ कोयला, जल और गैस तीनो स्रोतों से विद्युत उत्पन्न की जाती है। यहीं बराकार नदी पर मैथन बाँध में सर्वप्रथम भूमिगत विद्युत गृह बनाया गया है।
- इस परियोजना के अंतर्गत आठ बाँध क्रमशः बराकार नदी पर मैथन बाँध, बालपहाड़ी पर तेलैया बाँध, दामोदर नदी पर पंचेत हिल, मैथन, ऐयर बर्मो बाँध, बोकारो नदी पर बोकारो बाँध, कोनार नदी पर कोनार बाँध तथा एक दुर्गापुर के निकट एक बड़ा बैराज़ बनाया गया है|
- यह बांध सतलुज नदी पर बना है। यह बांध दो बांधों भाखड़ा और नांगल बांधों से मिलकर बना है। भाखड़ा बांध, नांगल बांध से 13 किमी दूर बना है। यह राजस्थान, पंजाब और हरियाणा की संयुक्त परियोजना है। इसमें राजस्थान की हिस्सेदारी 15.2 प्रतिशत है।
- भाखड़ा नांगल बांध हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में सतलुज नदी पर बनाया गया है। यह 856 फीट ऊंचे टिहरी बांध के बाद भारत का दूसरा सबसे ऊंचा बांध है। इसकी ऊंचाई 740 फीट है। अमेरिका का 'हुवर बाँध' 743 फीट ऊँचा है।
- भाखड़ा नांगल बाँध भूकंपीय क्षेत्र में स्थित विश्व का सबसे ऊँचा गुरुत्वीय बाँध है।
- इसकी सहायक 'इंदिरा सागर परियोजना' के अंतर्गत राजस्थान तक इंदिरा नहर का विकास किया गया है, जो भारत की सबसे बड़ी नहर प्रणाली है। इसका मुख्य उद्देश्य सिंचाई एवं विद्युत उत्पादन है।
- इस बाँध के पीछे बनी झील का नाम 'गोविन्द सागर' है, जो सिक्खों के 10वें गुरु गोविन्द सिंह के नाम पर है।
- बिहार का शोक मानी जाने वाली कोसी नदी जल के नियंत्रण के लिए भारत सरकार और नेपाल सरकार ने 1954 में एक सयुंक्त समझौते पर तैयार किये थे।
- पूर्वी कोसी नहर का विस्तार रजरूप नहर के रूप में कर दिया गया है। इससे बिहार के मुंगेर व सहरसा ज़िलों को लाभ मिल रहा है।
- इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य बाढ़ नियंत्रण है और बिहार-नेपाल के लिया लाभदायी योजना है|
- कोसी नदी में निर्मल "हनुमान नगर बैराज" से नहर निकाली गई है।
- गंडक बिहार और नेपाल में बहने वाली एक नदी का नाम है। इस नदी को नेपाल मे सालिग्रामि और मैदान मे नारायनी कहते है यह पटना के निकट गंगा मे मिल जाती है।
- यह काली और त्रिशूली नदियों के संगम से बनी है, जो नेपाल की उच्च हिमालय पर्वतश्रेणी से निकलती है। इनके संगम स्थल से भारतीय सीमा तक नदी को नारायणी के नाम से जाना जाता है।
- वाल्मीकि नगर के निकट 740 मीटर लंबा एक बैराज़ बनाया गया है।
- बूढ़ी गंडक नदी एक पुरानी जलधारा है, जो गंडक के पूर्व में इसके समानांतर बहती है। यह मुंगेर के पूर्वोत्तर में गंगा से जा मिलती है।
- तुंगभद्रा नदी कृष्णा नदी की सहायक नदी है। इस नदी पर बनाया गया बाँध कर्नाटक में 'होस्पेट' नामक स्थान पर है।
- बाँध से निकालने वाली नहरों से कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के ज़िलों की सिंचाई होती है।
- 10 दिसम्बर, 1955 में इस बाँध की नींव तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने रखी थी।
- नागार्जुन सागर बाँध का निर्माण सन 1955 और 1967 के बीच हुआ था। इस बाँध को बनाने की परिकल्पना 1903 में ब्रिटिश राज के समय की गयी थी।
- 4 अगस्त, 1967 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी द्वारा इसकी दोनों नहरों में पहली बार पानी छोड़ा गया था।
- यह भारत का सबसे उँचा और लंबा बाँध है। इस बाँध से निर्मित 'नागार्जुन सागर झील' दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मानव निर्मित झील है।
- फरक्का परियोजना में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद ज़िले में फरक्का के निकट 2225 मीटर लंबा फरक्का बैराज, जंगीपुर में 213 मीटर लंबा बैराज, एक कैनाल हेड रेग्युलेटर जल को मोड़ने के लिए बनायी गई है।
- एक फीडर कैनाल इलाहाबाद-हल्दिया अंतर्देशीय जलमार्ग-1 पर भागीरथी नदी की जल क्षमता बढ़ाने के लिए बनाई गयी है। इस बैराज में 109 गेट हैं और यहाँ र्राइव 60 नहरे निकली गयी हैं। इस बैराज से 'फरक्का सुपर थर्मल पावर स्टेशन' को जल की आपूर्ति होती है।
- फरक्का बाँध का निर्माण कोलकाता बंदरगाह को 'गाद' से मुक्त कराने के लिये किया गया था, जो की 1950 से 1960 तक इस बंदरगाह की प्रमुख समस्या थी।
- गंगा नदी के प्रवाह की कमी के कारण बांग्लादेश जाने वाले पानी की लवणता बड़ जाती थी और मछली पालन, पेयजल, स्वास्थ्य और नौकायान प्रभावित हो जाता था। मिट्टी में नमी की कमी के चलते बांग्लादेश के एक बड़े क्षेत्र की भूमि बंजर हो गयी थी। इस विवाद को सुलझाने के लिये भारत सरकार और बांग्लादेश सरकार दोनों ने आपस में समझौता करते हुए 'फरक्का जल संधि' की रूपरेखा रखी था।
8.हीराकुंड परियोजना:-
हीराकुंड बाँध का निर्माण सन 1948 में शुरू हुआ था और यह 1953 में बनकर
पूर्ण हुआ। वर्ष 1957 में यह बाँध पूरी तरह से कम करने लगा था। इस परियोजना के अंतर्गत उड़ीसा राज्य में संबलपुर ज़िले से 15 कि.मी. दूर महानदी पर हीराकुंड बाँध बनाया गया है।
- इस बाँध की लंबाई 4.8 कि.मी है तथा तटबंध सहित इसकी कुल लंबाई 25.8 कि.मी है।
- यह परियोजना 'राऊरकेला स्टील प्लान्ट' को विद्युत प्रदान करती है।
- बाँध से तीन मुख्य नहरें निकाली गयी हैं। दाहिनी ओर 'बोरागढ़ नहर' और बाईं ओर से 'सासन' और 'संबलपुर नहर'।
9.रिहन्द परियोजना:- रिहन्द परियोजना भारत की नदी घाटी परियोजनाओं में से एक है। रिहन्द बाँध एक गुरुत्वीय बाँध है, जो उत्तर प्रदेश के सोनभद्र ज़िले में पिपरी नामक स्थान पर रिहन्द नदी पर बनाया गया है। सोन, रिहन्द(रेणु) व विजुल का संगम होता है। इसी के नाम पर रेणुकुट शहर का नाम पडा।
- 13 जुलाई 1954 को देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू जी ने इसकी आधारशिला रखी और 9 वर्ष बाद 6 जनवरी 1963 को इसका उद्घाटन कीया, इसका नाम उ. प्र. के पहले मुख्यमंत्री के नाम पं. गोविंद वल्लभ पंत के नाम पर रखा।
- इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ गोवरी, मोरना, मोहन आदि हैं। इस जलाशय का लाभ मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखण्ड को मिलता है|
- रिहन्द बाँध से बनने वाले जलाशय को 'गोविन्द बल्लभ पंत सागर' या 'रेणु सागर' भी कहते हैं। इस जलाशय के जल को सोन नहर से मिला देने पर सोन नहर की सिंचाई क्षमता बढ़ गयी है।
- टिहरी बाँध परियोजना पर केंद्र सरकार ने 75 प्रतिशत व राज्य सरकार ने 25 प्रतिशत धन व्यय किया है।
- टिहरी बांध दो महत्वपूर्ण हिमालय की नदियों भागीरथी तथा भीलांगना के संगम पर बना है| टिहरी बांध दुनिया में उच्चतम बांधों में गिना जायेगा, टिहरी बाँध की ऊँचाई 261मीटर है, जो इसे विश्व का पाँचवा सबसे ऊँचा बाँध और भारत का अब तक का सबसे ऊंचा बाँध है|
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कुछ परीक्षा विशेष तथ्य:-
- भारत का सबसे ऊँचा बांध- टिहरी बांध(261 मीटर)
- रिहन्द बाँध एक गुरुत्वीय बाँध है|
- नागार्जुन बाँध से निर्मित 'नागार्जुन सागर झील' दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मानव निर्मित झील है।
- भाखड़ा नांगल बाँध भूकंपीय क्षेत्र में स्थित विश्व का सबसे ऊँचा गुरुत्वीय बाँध है।
- बिहार का शोक -कोसी नदी
- बंगाल का शोक -दामोदर नदी
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