विजयेंद्र सरस्वती (Vijayendra Saraswati) कांची मठ के 70वें शंकराचार्य होंगे

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जयेंद्र सरस्वती के बाद अब अगले शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती होंगे। विजयेंद्र सरस्वती जयेंद्र सरस्वती के शिष्य हैं। जयेंद्र सरस्वती की महासमाधि के समय भी विजयेंद्र ने सारे धार्मिक संस्कार किए।  

  1. जयेंद्र सरस्वती 69वें शंकराचार्य और देश के सबसे बड़े कांची कामकोटि के शंकराचार्य थे। इस पीठ की स्थापना पांचवीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने की थी। शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को 22 मार्च, 1954 को श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती स्वामिगल का उत्तराधिकारी घोषित किया गया था।
  2. किसी के पार्थिव देह को दफनाने की प्रकिया जिसे "वृंदावन प्रवेशम" कहा जाता है।
  3. जयेंद्र सरस्वती को अंतिम प्रक्रिया के बाद उनके गुरु चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती स्वामिगल के बगल में महासमाधि दे दी गई।
  4. संन्यासी समाज का वो वर्ग होता है जो समाज से अलग होकर निस्वार्थ भाव से समाज के कल्याण के लिए काम करता है।
  5. विजयेंद्र अब कांची कामकोटि को पीठाधिपति हैं। पीठ के प्रमुख को शंकराचार्य की उपाधि दी जाती है।
  6. विजयेंद्र 482 ईसा पूर्व में बने उस मठ के प्रमुख होंगे जिसकी शुरुआत स्वयं आदिगुरु शंकराचार्य ने की थी।
  7. कांची के शंकराचार्य होने के नाते अब विजयेंद्र सनातन अद्वैत वेदांत के प्रवर्तक होंगे। इनका जन्म 1969 में कांचीपुरम के करीब थंडलम में हुआ था। 
  8. विजयेंद्र के बचपन का नाम शंकरनारायणन है। विजयेंद्र के पिता कृष्णमूर्ति शास्त्री वेदों के ज्ञाता थे। वे तमिलनाडु के पोलूर के एक वैदिक स्कूल में ऋग्वेद पढ़ाते थे।
  9. विजयेंद्र ने 14 साल की उम्र में सन् 1983 में जयेंद्र सरस्वती को अपना गुरु मानकर संन्यास ले लिया था। 
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