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जीएसटी व्यवस्था के तहत ट्रांसपोर्टरों के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य में माल परिवहन के लिए "इलेक्ट्रॉनिक वे-बिल (E-Way Bill)" का इस्तेमाल 1 अप्रैल, 2018 से लागू हो जाएगा। जीएसटी काउंसिल के तहत गठित राज्यों के वित्त मंत्रियों के एक समूह ने इसकी सिफारिश की हैं। पहले इसे 1 फरवरी से लागू करना था। लेकिन अधूरी तैयारियों और कुछ अन्य वजहों से इसे टाल दिया गया था।
जीएसटी व्यवस्था के तहत ट्रांसपोर्टरों के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य में माल परिवहन के लिए "इलेक्ट्रॉनिक वे-बिल (E-Way Bill)" का इस्तेमाल 1 अप्रैल, 2018 से लागू हो जाएगा। जीएसटी काउंसिल के तहत गठित राज्यों के वित्त मंत्रियों के एक समूह ने इसकी सिफारिश की हैं। पहले इसे 1 फरवरी से लागू करना था। लेकिन अधूरी तैयारियों और कुछ अन्य वजहों से इसे टाल दिया गया था।
- समूह के संयोजक और बिहार के उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि 50,000 रुपये से अधिक मूल्य के माल के अंतर-राज्यीय परिवहन के लिए जरूरी इस व्यवस्था को प्रतिक्रिया का आकलन करते हुए चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।
- देश में 1 जुलाई, 2017 को जीएसटी लागू किया गया। तब सूचना प्रौद्योगिकी नेटवर्क तैयार नहीं होने की वजह से ई-वे बिल की शुरुआत को तब आगे के लिए टाल दिया गया था। इसके बाद 1 फरवरी से इसे शुरू किया गया, लेकिन सिस्टम क्रैश हो जाने की वजह से इसका क्रियान्वयन फिर टाल दिया गया।
- 16 जनवरी से ई-वे बिल सिस्टम का ट्रायल रन शुरू होगा।
- ई-वे बिल माल के आवागमन के लिए लिया जाने वाला एक इलेक्ट्रॉनिक वे बिल है, जिसे जीएसटीएन (सामान्य पोर्टल) से निकाला जा सकता है। इस नई व्यवस्था के तहत 50,000 रुपये से अधिक के माल का परिवहन बिना ई-वे बिल लिए नहीं किया जा सकेगा।
- ई-वे बिल को एसएमएस के जरिये निकाला अथवा कैंसिल भी किया जा सकता है। जब आप E-Way बिल को जीएसटीएन पोर्टल पर अपलोड करेंगे तो एक यूनीक ई-वे नंबर (ईबीएन) जनरेट होगा। यह सप्लायर,ट्रांसपोर्ट और ग्राही (Recipients) तीनों के लिए एक ही होगा।
- ई-वे बिल सेवा को चार राज्यों कर्नाटक, राजस्थान, उत्तराखंड और केरल में शुरू किया जा चुका है। इन राज्यों में हर दिन करीब 1.4 लाख ई-वे बिल प्रोड्यूस किए जा रहे हैं।
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