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अयोध्या विवाद (Ayodhya dispute) : बाबरी मस्जिद विध्वंस की 25वीं वर्षगांठ (25th anniversary of Babri Masjid demolition) - 6 दिसंबर, 1992

Dear Aspirants,
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की तीन सदस्यीय विशेष पीठ चार दीवानी मुकदमों में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 30 सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 13 अपीलों पर सुनवाई कर रही है।

  • सुप्रीम कोर्ट में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और पांच अन्य पक्षकार हैं, जबकि हिंदुओं की तरफ से निर्मोही अखाड़ा, हिंदू महासभा, रामलला विराजमान और रमेश चंद्र त्रिपाठी व शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की अगुवाई वाली रामजन्म भूमि पुनरुद्धार समिति हैं।
  • 2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में अयोध्या में 2.77 एकड़ के इस विवादित स्थल को इस विवाद के तीनों पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और भगवान राम लला के बीच बांटने का आदेश दिया था।
  • सुप्रीम कोर्ट में अखिल भारतीय सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाडे़ का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता ''कपिल सिब्बल, अनूप जार्ज चौधरी, डॉ.राजीव धवन और सुशील जैन कर रहे हैं तो भगवान रामलला विराजमान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता के परासरण और सी एस वैद्यनाथन तथा अधिवक्ता सौरभ शमशेरी पेश हुए और उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए।
  • हिन्दू महासभा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन और निर्मोही अखाड़ा की ओर एसके जैन और रंजीत लाल वर्मा होंगे।      
  • रामजन्म भूमि मंदिर निर्माण न्यास के महासचिव अमरनाथ मिश्र का तर्क है कि शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन ने सुप्रीम कोर्ट में विवाद के समाधान का जो फार्मूला दाखिल किया है, उस पर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी, महंत नृत्य गोपाल दास और हनुमान गढ़ी के महंत धर्मदास और महंत रामदास आदि नौ लोगों के हस्ताक्षर हैं। 
अयोध्या वासियों की पहली पसंद..
  1. अयोध्या के विधानसभा क्षेत्र बनने के बाद वर्ष 1967 में हुए इसके पहले चुनाव में भारतीय जनसंघ के बी किशोर विजयी हुए थे।
  2. वर्ष 1967 में हुए विधानसभा चुनाव में जनसंघ के बी किशोर ने निर्दलीय प्रत्याशी बी सिंह को 4,305 मतों से हराया था।
  3. वर्ष 1951 से 1977 तक अस्तित्व में रहा जनसंघ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राजनीतिक शाखा थी।
  4. वर्ष 1977 में ये कांग्रेस शासन का विरोध करने वाले विभिन्न वामपंथी, मध्यमार्गी तथा दक्षिणपंथी संगठनों में विलीन हो गया, जिसके परिणामस्वरूप जनता पार्टी का गठन हुआ।  
  5. वर्ष 1980 में जनता पार्टी के विघटन के बाद भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ।
  6. बहरहाल, वर्ष 1969 के विधानसभा मध्यावधि चुनाव में कांग्रेस अयोध्या में पहली बार जीती, उसके विश्वनाथ कपूर ने भारतीय क्रांति दल के राम नारायण त्रिपाठी को 3,917 मतों से हराया था।
  7. वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की लहर के दौरान उसके प्रत्याशी तेज़ नारायण पाण्डेय उर्फ पवन पाण्डेय ने लल्लू सिंह को पराजित करके बीजेपी के गढ़ में सेंध लगा दी। 
  8. हालांकि इस साल हुए विधानसभा चुनाव में वेद प्रकाश गुप्ता के पवन पाण्डेय को परास्त किए जाने के साथ ही अयोध्या सीट पर फिर से बीजेपी का कब्ज़ा हो गया।  
  9. अयोध्या को पहली बार नगर निगम का दर्ज़ा दिया और पिछले दिनों हुए चुनाव में यहां से बीजेपी के प्रत्याशी ने ही जीत दर्ज़ की।

जानिए, कब-कब, क्या-क्या हुआ?

  1. 1528- भारत के प्रथम मुग़ल सम्राट बाबर के आदेश पर 1528 में इस मस्जिद का निर्माण किया गया था। पुजारियों से हिन्दू ढांचे या निर्माण को छीनने के बाद मीर बाकी ने इसका नाम बाबरी मस्जिद रखा।
  2. 1853- हिंदुओं का आरोप कि भगवान राम के मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण हुआ।
  3. 1859- ब्रिटिश सरकार ने तारों की एक बाड़ खड़ी करके विवादित भूमि के आंतरिक और बाहरी परिसर में मुस्लिमों और हिदुओं को अलग-अलग प्रार्थनाओं की इजाजत दे दी। 
  4. 1885- मामला पहली बार अदालत में पहुंचा, तब महंत रघुबर दास ने फैजाबाद अदालत में बाबरी मस्जिद से लगे एक राम मंदिर के निर्माण की इजाजत के लिए अपील दायर की। 
  5. 23 दिसंबर,1949- हिंदुओं ने मस्जिद के केंद्रीय स्थल पर कथित तौर पर भगवान राम की मूर्ति रख दी। इसके बाद उस स्थान पर हिंदू नियमित रूप से पूजा करने लगे। मुसलमानों ने नमाज पढऩा बंद कर दिया। 
  6. 16 जनवरी, 1950- गोपाल सिंह विशारद ने फैजाबाद अदालत में एक अपील दायर कर रामलला की पूजा-अर्चना की विशेष इजाजत मांगी।
  7. 5 दिसंबर, 1950- महंत परमहंस रामचंद्र दास ने हिंदू प्रार्थनाएं जारी रखने और बाबरी मस्जिद में राममूर्ति को रखने के लिए मुकदमा दायर किया। मस्जिद को 'ढांचा' नाम दिया गया। 
  8. 17 दिसंबर, 1959- निर्मोही अखाड़ा ने विवादित स्थल हस्तांतरित करने के लिए मुकदमा दायर किया।
  9. 18 दिसंबर, 1961- उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक के लिए मुकदमा दायर किया। 
  10. 1 फरवरी, 1986- फैजाबाद जिला न्यायाधीश ने विवादित स्थल पर हिदुओं को पूजा की इजाजत दी। नाराज मुस्लिमों ने विरोध में बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किया। 
  11. जून 1989- भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने वीएचपी को औपचारिक समर्थन देना शुरू करके मंदिर आंदोलन को नया जीवन दे दिया। 
  12. 1 जुलाई,1989- भगवान रामलला विराजमान नाम से पांचवा मुकदमा दाखिल किया गया। 
  13. 9 नवंबर, 1989- तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार ने बाबरी मस्जिद के नजदीक शिलान्यास की इजाजत दी। 
  14. भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से राम रथयात्रा निकालकर राजनीतिक तूफ़ान खड़ा किया। 
  15. 25 सितंबर, 1990- बीजेपी अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से उत्तर प्रदेश के अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली।
  16. नवंबर 1990- आडवाणी को बिहार के समस्तीपुर में गिरफ्तार कर लिया गया। बीजेपी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया। और रथयात्रा के दौरान यूपी के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह ने कारसेवकों पर गोलियां भी चलवाई थीं।
  17. 1991 में कांग्रेस दिल्ली में सत्ता में वापस आ गई और पीवी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने, लेकिन राम मंदिर आंदोलन के चलते उत्तर प्रदेश में पहली बार कल्याण सिंह के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनी।
  18. अक्टूबर 1991- उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह सरकार ने बाबरी मस्जिद के आस-पास की 2.77 एकड़ भूमि को अपने अधिकार में ले लिया। 
  19. कल्याण सिंह ने विवादित परिसर के बग़ल स्थित प्रस्तावित राम कथा पार्क की 42 एकड़ ज़मीन विश्व हिंदू परिषद को दे दी थी इसके अलावा पर्यटन विकास के नाम पर कई मंदिरों और धर्मशालाओं की ज़मीन अधिग्रहित कर समतलीकरण करवा दिया था और फ़ैज़ाबाद-अयोध्या राजमार्ग से सीधे विवादित स्थल के लिए चौड़ी सड़क बना थी।
  20. 5 दिसंबर, 1992 को लखनऊ में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने एक आमसभा में कारसेवकों का यह कहते हुए हौसला बढाया कि इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने इजाज़त दी है,  वाजपेयी शाम की ट्रेन से दिल्ली चले गए, जबकि आडवाणी और डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी कल्याण सिंह से मंत्रणा करके रात में अयोध्या पहुँच गए।     
  21. 6 दिसंबर, 1992- हजारों की संख्या में कार सेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद ढाह दिया, जिसके बाद सांप्रदायिक दंगे हुए। जल्दबाजी में एक अस्थाई राम मंदिर बनाया गया। प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव ने मस्जिद के पुनर्निर्माण का वादा किया।
  22. मानस भवन से बाएँ राम कथा कुंज में एक जैन सभा रखी गयी थी, जहाँ सिंघल, आडवाणी, जोशी और उमा भारती आदि नेता जमा थे। एक-एक करके कई कारसेवक मस्जिद गुंबद के ऊपर नज़र आने लगे, इन्हें देखकर ज़ोर-ज़ोर से नारे लगने लगे 'एक धक्का और दो बाबरी मस्जिद तोड़ दो'।     
  23. कहाँ जाता हैं कि कल्याण सिंह तक यह ख़बर पहुँची तो उन्होंने मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देने की पेशकश की, लेकिन आडवाणी ने कहलाया कि अब जब तक मस्जिद गिर न जाए वे इस्तीफ़ा न दें, क्योंकि इस्तीफ़ा देते ही केंद्रीय शासन लग जाता।     
  24. 16 दिसंबर, 1992- मस्जिद की तोड़-फोड़ की जिम्मेदार स्थितियों की जांच के लिए एम.एस. लिब्रहान आयोग का गठन हुआ।
  25. जनवरी 2002- प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने कार्यालय में एक अयोध्या विभाग शुरू किया, जिसका काम विवाद को सुलझाने के लिए हिंदुओं और मुसलमानों से बातचीत करना था।
  26. इस घटना की जांच के लिए केंद्र सरकार ने लिब्रहान आयोग का गठन किया। लिब्राहन आयोग ने 17 साल बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपनी रिपोर्ट सौंपी।  
  27. अप्रैल 2002- अयोध्या के विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर उच्च न्यायालय के तीन जजों की पीठ ने सुनवाई शुरू की। 
  28. मार्च-अगस्त 2003- इलाहबाद उच्च न्यायालय के निर्देशों पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अयोध्या में खुदाई की। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का दावा था कि मस्जिद के नीचे मंदिर के अवशेष होने के प्रमाण मिले हैं।
  29. जुलाई 2009- लिब्रहान आयोग ने गठन के 17 साल बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपनी रिपोर्ट सौंपी। 
  30. 28 सितंबर 2010: सर्वोच्च न्यायालय ने इलाहबाद उच्च न्यायालय को विवादित मामले में फैसला देने से रोकने वाली याचिका खारिज करते हुए फैसले का मार्ग प्रशस्त किया। 
  31. 30 सितंबर 2010- इलाहाबाद उच्च न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ ने 2:1 के बहुमत से अपनी व्यवस्था में विवादित भूमि को तीनों पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाडा और भगवान राम लला के बीच बांटने का आदेश दिया था। 
  32. 21 मार्च 2017- राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता की पेशकश की है।
  33. 19 अप्रैल 2017- सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सहित बीजेपी और आरएसएस के कई नेताओं के खिलाफ आपराधिक केस चलाने का आदेश दिया।

नोट:- घटना का ग़ौर करें तो 6 दिसम्बर,1992 को अयोध्या में केवल बाबरी मस्जिद नहीं टूटी, बल्कि भारतीय संविधान के तीनों अंगों विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका की मर्यादा टूटी।

  • लॉर्ड विलियम बैन्टिक (1828-1833) के वास्तुकार ग्राहम पिकफोर्ड के अनुसार "बाबरी मस्जिद के मेहराब से एक कानाफूसी भी दूसरे छोर से, 200 फीट दूर और मध्य आंगन की लंबाई और चौडाई से, सुनी जा सकती है।" उनकी पुस्तक "हिस्टोरिक स्ट्रक्चर्स ऑफ़ अवध" में उन्होंने मस्जिद की ध्वनिकी का उल्लेख किया है।
  • लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ यानी मीडिया भी कारसेवकों के हमले का शिकार हुआ।
कुछ किताबों का हवाला...
  • अर्जुन सिंह अपनी आत्मकथा 'ए ग्रेन ऑफ़ सैंड इन द आर ग्लास ऑफ़ टाइम' में लिखते हैं- "पूरी बैठक के दौरान नरसिम्हा राव इतने हतप्रभ थे कि उनके मुंह से एक शब्द तक नहीं निकला।"
  • केंद्रीय मंत्री माखनलाल फ़ोतेदार ने अपनी आत्मकथा 'द चिनार लीव्स' में लिखते हैं- "मैंने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया कि वो वायुसेना से कहें कि वो फ़ैज़ाबाद में तैनात चेतक हैलिकॉप्टरों से अयोध्या में मौजूद कारसेवकों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले चलवांए।''
  • कुलदीप नय्यर ने अपनी आत्मकथा 'बियॉन्ड द लाइंस में' लिखा है- "मुझे जानकारी है कि राव की बाबरी मस्जिद विध्वंस में भूमिका थी। जब कारसेवक मस्जिद को गिरा रहे थे, तब वो अपने निवास पर पूजा में बैठे हुए थे। वो वहां से तभी उठे जब मस्जिद का आख़िरी पत्थर हटा दिया गया।" लेकिन नरसिम्हा राव पर बहुचर्चित किताब 'हाफ़ लायन' लिखने वाले 'विनय सीतापति' इस मामले में नरसिम्हा राव को क्लीन चिट देते हैं।
  • पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी अपनी आत्मकथा 'द टर्बूलेंट ईयर्स' में लिखते ह- "बाबरी मस्जिद का गिरना न रोक पाना पीवी की सबसे बड़ी असफलता थी।'' 
  • बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन द्वारा 1993 में लिखे गए विवादास्पद बांग्ला उपन्यास ''लज्जा'' में कहानी विध्वंस के बाद के दिनों पर आधारित है। 
  • उपन्यासकार स्वर्गीय कमलेश्वर के सन् 2000 में प्रकाशित बहुचर्चित उपन्यास ‘कितने पाकिस्तान’ की चर्चा करना समीचीन होगा,  जिसमें तथ्यों के हवाला देते हुए बताया गया है कि अयोध्या में न कभी बाबरी मस्जिद नाम की मस्जिद थी और न ही राम मंदिर। 
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