Myanmar's State Counsellor's Aung San Suu Kyi stripped of 'Freedom of Oxford' honour

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म्यांमार की 'स्टेट काउंसिलर' आंग सान सू की की रोहिंग्या शरणार्थी मुद्दे से निपटने में निष्क्रियता को लेकर और देश में हुई हिंसा की तरफ से आंखें मूंदने के लिए उनसे 'फ्रीडम ऑफ ऑक्सफोर्ड' सम्मान वापस ले लिया गया है।

  • हिंसा की वजह से छह लाख से अधिक लोगों को देश छोड़कर बांग्लादेश जाना पड़ा. ऑक्सफोर्ड सिटी काउंसिल ने 72 वर्षीय सू ची को 1997 में दिये गये सम्मान को स्थाई रूप से वापस लेने के पक्ष में सोमवार (27 नवंबर) रात मतदान किया। 
  • कांउसिलर मैरी क्लार्कसन ने कहा, ‘आज हमने उनसे उनके शहर के सर्वोच्च सम्मान को वापस लेने का अभूतपूर्व कदम उठाया है क्योंकि अल्पसंख्यक रोहिंग्या आबादी पर हुए दमन के दौर में वह निष्क्रिय रहीं।’ 
  • म्यांमार के रखाइन प्रांत में सैन्य कार्रवाई के बाद छह लाख से अधिक रोहिंग्या लोग बांग्लादेश पलायन कर गये, पिछले सप्ताह म्यांमार ने शरणार्थियों की घर वापसी के लिए बांग्लादेश के साथ करार किया था। 
  • ऑक्सफोर्ड सिटी काउंसिल ने कहा कि सू ची से ''फ्रीडम ऑफ ऑक्सफ़ोर्ड'' का खिताब इसलिए दिया गया क्योंकि वह ‘असहिष्णुता और अंतरराष्ट्रीयता’ के शहर का प्रतिनिधित्व कर रही थीं। 
  • एचआरडब्ल्यू के बिल फ्रेलिक ने कहा, "छह लाख 20 हजार रोहिंग्या शरणार्थियों का पलायन सामुदायिक उत्पीड़न की घटनाओं के कारण हुआ है, जोकि हाल के दिनों में घटित होने वाला एक अत्यंत बर्बर मामला है।
  • म्यांमार की स्टेट काउंसलर और नोबेल पुरस्कार विजेता आंग सान सू की के कार्यालय की तरफ से कहा गया है कि ज्ञापन में राखिने से विस्थापित लोगों की विधिवत जांच व उनकी वापसी के लिए आम मार्गदर्शक सिद्धांत व नीतियों की व्यवस्था शामिल है।
famous Muslim yoga teacher Rafia Naaz 

आंग सान सू की का प्रोफाइल..... 

आंग सान सू की (जन्म-19 जून, 1945), म्यांमार की एक राजनेता, राजनयिक तथा लेखक हैं। वे बर्मा के राष्ट्रपिता आंग सान की पुत्री हैं जिनकी 1947 में राजनीतिक हत्या कर दी गयी थी।
  • सू की ने बर्मा में लोकतन्त्र की स्थापना के लिए लम्बा संघर्ष किया। 
  • आंग सान को 1990 में राफ्तो पुरस्कार व विचारों की स्वतंत्रता के लिए सखारोव पुरस्कार से और 1991 में नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया है।
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