Ticker

6/recent/ticker-posts

Ad Code

Responsive Advertisement

Nobel Physiology/Medicine Prize 2017 : शरीर की बॉयोलॉजिकल क्‍लॉक (जैविक घड़ी) यानी प्राकृतिक घड़ी की कार्यप्रणाली बताने वाले तीन अमेरिकी वैज्ञानिकों

Dear Aspirants,
फोटो सोशल मीडिया
नोबेल चिकित्‍सा/मेडिसिन पुरस्‍कार-2017, शरीर की बॉयोलॉजिकल क्‍लॉक (जैविक घड़ी) यानी प्राकृतिक घड़ी की कार्यप्रणाली बताने वाले तीन वैज्ञानिकों को दिया गया है। इसे मेडिकल की भाषा में 'शरीर घड़ी' या 'जैवलय', 'जैविक घड़ी' कहते हैं, अंग्रेजी में इसे 'body clock', circadian rhythms, Biological rhythms या Biological rhythms कहते है।
  • अमेरिका में जन्मे तीन वैज्ञानिकों जेफरी सी हॉल, माइकल रोसबाश और माइकल डब्‍ल्‍यू यंग ने अपने शोध में बताया है कि इस जैविक घड़ी का सीधा तालमेल पृथ्‍वी के रोटेशन से होता है, इसलिए इसे दिन-रात का पूरा अहसास होता है।
  • नोबेल पुरस्‍कार समिति ने बताया है कि इन तीनों ने इंसान के सोने-जागने की प्रक्रिया को नियंत्रित करने वाली बायोलॉजिकल क्‍लॉक (जैविक घड़ी) पर शोध किया, जिस कारण इन्‍हें सम्‍मान के लिए चुना गया।
  • स्वीडन के कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट स्थित नोबेल असेंबली ने आज कहा," सर्वश्री हॉल, रोस्बाश और यंग को मानव शरीर की जैविक घड़ियों (बायोलॉजिकल क्लॉक्स) को नियंत्रित करने वाले आणविक तंत्र की खोज करने के लिए चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया जायेगा।  
  • चिकित्सा के नोबेल पुरस्कार के तहत 90 लाख स्वीडिश क्राउन (11 लाख डॉलर) की रकम प्रदान की जाती है।  
  • नोबेल पुरस्कारों की श्रेणी में प्रतिवर्ष सबसे पहले चिकित्सा के क्षेत्र में पुरस्कार की घोषणा की जाती है। 
  • नोबेल पुरस्कारों की शुरुआत डायनामाइट के आविष्कारक एवं कारोबारी अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत के मुताबिक 1901 में की गयी थी। इसके तहत प्रतिवर्ष चिकित्सा, विज्ञान, साहित्य और शांति के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले लोगों को पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं। 

क्‍या है जैविक घड़ी..... 

  1. 1984 में हॉल और रोसबाश ने  मिलकर ब्रैंडिस यूनिवर्सिटी में शोध आरंभ किया, इसी तरह की खोज यंग भी रॉकफेलर यूनिवर्सिटी में कर रहे थे।
  2. तीनों ने 10 साल बाद निष्‍कर्ष निकाला कि ये सब बायोलॉजिकल क्‍लॉक के कारण होता है, साधारण भाषा में हम इसे प्राकृतिक घड़ी भी कह सकते हैं। 
  3. जैविक घड़ी इस तरह लयबद्ध होती है कि इसका सीधा तालमेल पृथ्‍वी के रोटेशन से होता है, इसके कारण शरीर में होने वाले बदलावों के बारे में बताया कि..
  • सुबह 4.30 बजे- ये वो समय होता है जब शरीर का तापमान सबसे कम होता है।
  • सुबह 6.45 बजे से ब्‍लड प्रेशर में तेजी से वृद्धि होने लगती है, नतीजतन नींद खुलने का समय हो जाता है। 
  • सुबह 7.30 बजे- मेलाटोनिन स्‍त्राव (जिससे नींद आती है) बंद हो जाता है।  
  • सुबह 10.30 बजे सर्वाधिक सक्रियता का समय होता है।
  • दोपहर 2.30 बजे- शरीर के सभी अंगों में इस समय सबसे अच्‍छा समन्‍वय देखा जाता है।  
  • शाम 6.30 बजे- शरीर में सर्वाधिक ब्‍लडप्रेशर। 
  • रात 7.00 बजे- बॉडी टेम्‍परेचर में बढ़ोत्‍तरी देखी जाती है।  
  • रात 9.00 बजे- नींद आनी शुरु होती है क्‍योंकि मेलाटोनिन स्‍त्राव आरंभ हो जाता है।
  • रात 2.00 बजे- गहरी नींद का समय होता है।
4. जैविक घड़ी के मुख्य क्रियाविधिक सिद्धांत स्थापित हुए हैं, जिससे हमें सोने के पैटर्न, खाने के व्यवहार, हार्मोन बहाव, रक्तचाप और शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
5. रिसर्च में पाया गया कि हमारी जीवनशैली और बाहरी पर्यावरण की वजह से इस जैविक घड़ी में दीर्घकालिक अप्रबंधन रहने से कई लोगों में बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

नोबेल पुरस्‍कार 2017 की घोषणा..

  • दरअसल पिछले सालों तक नोबेल पुरस्‍कार जीतने वालों को 8 मिलियन स्‍वीडिश क्राउन मिलते थे। पर इस साल इसे बढ़ाकर 9 मिलियन स्‍वीडिश क्राउन (1.12 मिलियन यूएस डॉलर) कर दिया गया है। 
  • भारतीय रुपए में कन्‍वर्ट करें तो ये राशि 7 करोड़ रुपए से ऊपर पहुंचती है।
  • नोबेल फाउंडेशन के चेयरमैन कार्ल-हेनरिक हेलदिन ने एक प्रेस रिलीज जारी कर कहा था, '2017 नोबेल पुरस्‍कारों की घोषणा से पहले, हम आप सभी को सूचित करना चहते हैं कि इस साल हमने प्राइज मनी को एक मिलियन स्‍वीडिश क्रोनर बढ़ाने का फैसला लिया है।'  
  • गौरतलब है कि समिति ने 2011 में प्राइज मनी को 10 मिलियन से घटाकर 8 मिलियन स्‍वीडिश क्रानर कर दिया था।

अभीतक कुल भारतीयों को मिला नोबेल पुरस्कार....

  1. रवींद्रनाथ टैगोरटैगोर को साहित्य के लिए 1913 में पुरस्कृत किया गया, वह यह सम्मान पाने वाले पहले एशियाई भी रहे।
  2. चंद्रशेखर वेंकटरमनसर चंद्रशेखर वेंकटरमन ने भौतिकी के क्षेत्र में यह सम्मान 1930 में हासिल किया, जब प्रकाश किसी पारदर्शी माध्यम से गुजरता है, तब उसकी वेवलेंथ (तरंग की लम्बाई) में बदलाव आता है. इसी को रमन इफ़ेक्ट के नाम से जाना गया। 
  3. हरगोबिंद खुरानाहरगोबिंद खुराना (भारतीय मूल के अमेरीकी नागरिक) को चिकित्सा के लिए नोबेल मिला, खुराना ने मार्शल व निरेनबर्ग और रोबेर्ट होल्ले के साथ मिलकर चिकित्सा के क्षेत्र में काम किया. उन्हें कोलम्बिया विश्वविद्यालय की ओर से 1968 में ही होर्विट्ज पुरस्कार भी प्राप्त हुआ।
  4. मदर टेरेसा, अल्बानिया मूल की भारतीय मदर टेरेसा को 1979 में शांति नोबेल पुरस्कार मिला, उन्होंने 1950 में मिशनरी ऑफ कोलकाता की स्थापना की थी।
  5. सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर को 1983 में भौतिकी के लिए सम्‍मानित किया गया, वह भारतीय मूल के अमरीकी नागरिक थे।
  6. वर्ष 1998 में अमर्त्य सेन को अर्थशास्त्र में उनके योगदान के लिये नोबेल पुरस्कार मिला।
  7. कैलाश सत्‍यार्थीबाल अधिकारों के लिए काम करने वाले कैलाश सत्‍यार्थी को शांति का नोबेल 2014 में दिया गया, यह पुरस्‍कार उन्‍हें और पाकिस्‍तान की मलाला यूसुफजई को संयुक्‍त रूप से दिया गया था।
अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां क्लिक करें।

Post a Comment

0 Comments