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GS Notes : ग्राम पंचायत और उसके अधिकार (Gram Panchayat and its Rights)

Dear Readers,
देश की करीब 70 फीसदी आबादी गाँवों में रहती है और पूरे देश में दो लाख 39 हजार ग्राम पंचायतें हैं। हर पांच साल में ग्राम प्रधान का चुनाव होता है, लेकिन ग्रामीण जनता को अपने अधिकारों और ग्राम पंचायत के नियमों के बारे में पता नहीं होता। जानिए अपने ग्राम पंचायत को......

ग्राम पंचायत का गठन ( Composition of Gram Panchayat)...

a)सरपंच (Sarpanch):-

  1. ग्राम पंचायत की न्यायपालिका को "ग्राम कचहरी" कहते हैं जिसका प्रधान सरपंच होता है। 
  2. सरपंच का निर्वाचन मुखिया की तरह ही प्रत्यक्ष ढंग से होता है, सरपंच का कार्यकाल 5 वर्ष है. उसे कदाचार, अक्षमता या कर्तव्यहीनता के कारण सरकार द्वारा हटाया भी जा सकता है। 
  3. अगर 2/3 पञ्च सरपंच के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पास कर दें तो सरकार सरपंच को हटा सकती है।
  4. सरपंच का प्रमुख कार्य ग्राम कचहरी का सभापतित्व करना है। 
  5. कचहरी के प्रत्येक तरह के मुक़दमे की सुनवाई में सरपंच अवश्य रहता है। 
  6. सरपंच ही मुक़दमे को स्वीकार करता है तथा मुक़दमे के दोनों पक्षों और गवाहों को उपस्थित करने का प्रबंध करता है। 
  7. वह प्रत्येक मुकदमे की सुनवाई के लिए दो पंचों को मनोनीत करता है।

b)मुखिया (Mukhiya):-

  1. ग्राम पंचायत के अंतर्गत मुखिया का स्थान महत्त्वपूर्ण है. उसकी योग्यता तथा कार्यकुशलता पर ही ग्राम पंचायत की सफलता निर्भर करती है। 
  2. मुखिया ग्राम पंचायत की कार्यकारिणी समिति के चार सदस्यों को मनोनीत करता है। 
  3. मुखिया का कार्यकाल 5 वर्ष है. परन्तु, ग्राम पंचायत अविश्वास प्रस्ताव पास कर मुखिया को पदच्युत कर सकती है। 
  4. मुखिया अपनी कार्यकारिणी समिति की सलाह से ग्राम पंचायत के अन्य कार्य भी कर सकता है। 

c) पंचायत सेवक (Panchayat Sevak):-

  1. प्रत्येक ग्राम पंचायत का एक कार्यालय होता है, जो एक पंचायत सेवक के अधीन होता है। 
  2. पंचायत सेवक की नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा होती है, उसे राज्य सरकार द्वारा निर्धारित वेतन भी मिलता है। 
  3. वह ग्राम पंचायत के के सचिव के रूप में कार्य करता है और इस नाते उसे ग्राम पंचायत के सभी कार्यों के निरीक्षण का अधिकार है। 
  4. वह मुखिया, सरपंच तथा ग्राम पंचायत को कार्य-सञ्चालन में सहायता देता है। 
  5. राज्य सरकार द्वारा उसका प्रशिक्षण होता है। 

d) ग्रामरक्षा दल (Gram Raksha Dal):-

  1. 18 से 30 वर्ष के स्वस्थ युवकों से ग्रामरक्षा दल बनता है। 
  2. गाँव की रक्षा के लिए यह दल होता है, जिसका संगठन ग्राम पंचायत करती है। 
  3. चोरी, डकैती, अगलगी, बाढ़, महामारी इत्यादि आकस्मिक घटनाओं के समय यह दल गाँव की रक्षा करता है। 
  4. इसका नेता “दलपति” कहलाता है।

ग्राम पंचायत  या ग्राम सभा क्या है (What is theGram Panchayat/Gram Sabha)?

  • ग्राम सभा पंचायतीराज की आधारभूत इकाई है। यह ग्राम सभा प्रत्येक राजस्व ग्राम या वन ग्राम में उस गांव के वयस्क मतदाताओं को मिलाकर गठित की जाती हैै।
  •  73वें संविधान संषोधन के अनुसार त्रिस्तरीय पंचायती राज में प्रारम्भिक स्तर की संस्था ''ग्राम पंचायत'' सबसे महत्वपूर्ण संस्था है।
  • ग्राम सभा किसी एक गांव या पंचायत का चुनाव करने वाले गांवों के समूह की मतदाता सूची में शामिल व्यक्तियों से मिलकर बनी संस्था है।
  • ग्राम सभा में राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा तैयार पंचायत क्षेत्र की वोटर लिस्ट में दर्ज सभी लोग सदस्य होते हैं। 
  • ग्राम सभा में 200 या उससे अधिक की जनसंख्या का होना आवश्यक है। 
  • प्रत्येक ग्राम सभा में एक अध्यक्ष होगा, जो ग्राम प्रधान, सरपंच अथवा मुखिया कहलाता है, तथा कुछ अन्य सदस्य होंगे।  
  • ग्राम सभा में 1000 की आबादी तक 1 ग्राम पंचायत सदस्य (वार्ड सदस्य), 2000की आबादी तक 11 सदस्य तथा 3000 की आबादी तक 15 सदस्य होंगे। 
  • ग्राम सभा की बैठक वर्ष में दो बार होनी आवश्यक है। जिसकी सूचना 15 दिन पहले नोटिस से देनी होती है। 
  • ग्रामसभा की बैठक बुलाने का अधिकार ग्राम प्रधान को होता है। 
  • बैठक के लिए कुल सदस्यों की संख्या के 5वें भाग की उपस्थिति जरूरी होती है।
  • ग्राम सभा की अध्यक्षता प्रधान या उसकी गैरमूजदगी में उपप्रधान करता है। 
  • दोनोंकी अनुपस्थिति में ग्राम पंचायत के किसी सदस्य को प्रधान द्वारा मनोनीत किया जा सकता है।
  • जि़ला पंचायत राज अधिकारी या क्षेत्र पंचायत द्वारा लिखित रूप से मांग करने पर अथवा ग्राम सभा के सदस्यों की मांग पर प्रधान द्वारा 30 दिनों के भीतर बैठक बुलाया जाएगा।
  • ग्राम पंचायत के 1/3 सदस्य किसी भी समय हस्ताक्षर करके लिखित रूप से यदि बैठक बुलाने की मांग करते हैं, तो 15 दिनों के अंदर ग्राम प्रधान को बैठक आयोजित करनी होगी।
  • ग्राम पंचायत के सदस्यों के द्वारा अपने में से एक उप प्रधान का निर्वाचन किया जाता है। 
  • यदि उप प्रधान का निर्वाचन नहीं किया जा सका हो तो नियत अधिकारी किसी सदस्य को उप प्रधान नामित कर सकता है।

यदि प्रधान और उपप्रधान को अगर पद से हटाना हो तो (If the chief and deputy prime minister are to be removed from the post) ........ 

  1. सूचना प्राप्त होने के 30 दिन के अंदर जिला पंचायत अधिकारी गाँव में एक बैठक बुलाएगा जिसकी सूचना कम से कम 15 दिन पहले दी जाएगी।
  2. बैठक में उपस्थित तथा वोट देने वाले सदस्यों के 2/3 बहुमत से प्रधान एवं उप प्रधान को पदमुक्त किया जा सकता है।
  3. समय से पहले पदमुक्त करने के लिए एक लिखित सूचना जिला पंचायत राज अधिकारी को दी जानी चाहिए, जिसमे ग्राम पंचायत के आधे सदस्यों के हस्ताक्षर होने ज़रूरी होते हैं। सूचना में पदमुक्त करने के सभी कारणों का उल्लेख होना चाहिए।
  4. हस्ताक्षर करने वाले ग्राम पंचायत सदस्यों में से तीन सदस्यों का जिला पंचायतीराज अधिकारी के सामने उपस्थित होना अनिवार्य होगा।  

ग्राम पंचायत की समितियां और उनके कार्य (Committees of Gram Panchayat and their work)

A) नियोजन एवं विकास समिति (Planning and development committee):-

  • सदस्य:- सभापति, प्रधान, छह अन्य सदस्य अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिला एवं पिछड़े वर्ग का एक-एक सदस्य अनिवार्य होता है।
  • समिति के कार्य:- ग्राम पंचायत की योजना का निर्माण करना, कृषि, पशुपालन और ग़रीबी उन्मूलन कार्यक्रमों का संचालन करना।

 B) निर्माण कार्य समिति ( Working committee):-

  • सदस्य:- सभापति ग्राम पंचायत द्वारा नामित सदस्य, छह अन्य सदस्य (आरक्षण ऊपर की ही तरह) 
  • समिति के कार्य:- समस्त निर्माण कार्य करना तथा गुणवत्ता निश्चित करना।

C) शिक्षा समिति ( Education Committee):-

  • सदस्य:- सभापति, उप-प्रधान, छह अन्य सदस्य, (आरक्षण उपर्युक्त की भांति) प्रधानाध्यापक सहयोजित, अभिवाहक-सहयोजित करना।  
  • समिति के कार्य:- प्राथमिक शिक्षा, उच्च प्राथमिक शिक्षा, अनौपचारिक शिक्षा तथा साक्षरता आदि सम्बंधी कार्यों को देखना।

D) प्रशासनिक समिति (Administrative committee):-

  • सदस्य:- सभापति-प्रधान, छह अन्य सदस्य आरक्षण (ऊपर की तरह)  
  • समिति के कार्य:- कमियों-खामियों को देखना।

E) स्वास्थ्य एवं कल्याण समिति (Health and welfare committee):-

  • सदस्य:- सभापति ग्राम पंचायत द्वारा नामित सदस्य, छह अन्य सदस्य (आरक्षण ऊपर की तरह)  
  • समिति के कार्य:- चिकित्सा स्वास्थ्य, परिवार कल्याण सम्बंधी कार्य और समाज कल्याण योजनाओं का संचालन, अनुसूचित जाति-जनजाति तथा पिछड़े वर्ग की उन्नति एवं संरक्षण।

F) जल प्रबंधन समिति (Water management committee):-

  • सदस्य:- सभापति ग्राम पंचायत द्वारा नामित, छह अन्य सदस्य (आरक्षण ऊपर की तरह) प्रत्येक राजकीय नलकूप के कमांड एरिया में से उपभोक्ता सहयोजित।
  • समिति के कार्य:- राजकीय नलकूपों का संचालन पेयजल सम्बंधी कार्य देखना।  
  1. ग्राम पंचायत के कार्य  
  2. कृषि संबंधी कार्य  
  3. ग्राम्य विकास संबंधी कार्य  
  4. प्राथमिक विद्यालय, उच्च प्राथमिक विद्यालय व अनौपचारिक शिक्षा के कार्य  
  5. युवा कल्याण सम्बंधी कार्य  
  6. राजकीय नलकूपों की मरम्मत व रखरखाव  
  7. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सम्बंधी कार्य  
  8. महिला एवं बाल विकास सम्बंधी कार्य  
  9. पशुधन विकास सम्बंधी कार्य  
  10. समस्त प्रकार की पेंशन को स्वीकृत करने व वितरण का कार्य  
  11. समस्त प्रकार की छात्रवृत्तियों को स्वीकृति करने व वितरण का कार्य  
  12. राशन की दुकान का आवंटन व निरस्तीकरण  
  13. पंचायती राज सम्बंधी ग्राम्यस्तरीय कार्य आदि।

ग्राम न्यायालय (Village court):-

  • 12 अप्रैल 2007 को केंद्र सरकार के एक निर्णय के अनुसार ग्रामीण भारत के निवासियों को पंचायत स्तर पर ही न्याय दिलाने के लिए प्रत्येक पंचायत स्तर पर एक ग्राम न्यायालय की स्थापना की जाएगी।
  • इस पर प्रत्येक वर्ष 325 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। 
  • केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारें तीन वर्ष तक इन न्यायालयों पर आने वाला खर्च वहन करेंगी। 
  • ग्राम न्यायालयों की स्थापना से अन्य अदालतों में मुकदमों की संख्या कम करने में मदद मिलेगी।

ग्राम सभा के कार्य (Work of Gram Sabha)-

  1. ग्राम सभा गांव के हित में योजना बनाती है, और उन्हें लागू करती है।      
  2. ग्राम सभा ग्राम पंचायत का बजट पारित करती, कर एकत्रण के नियम बनाती है।      
  3. ग्रामीण गृह-निर्माण, सड़क, नाली पुलिया का निर्माण एवं संरक्षण
  4. ग्रामीण, खादी एवं कुटीर उद्योगों का विकास
  5. प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों सहित शिक्षा, व्यस्क एवं अनौपचारिक शिक्षा, पुस्तकालय, सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि की व्यवस्था करना  
  6. सड़कों  के किनारे और सार्वजनिक भूमि पर वृक्षारोपण   
  7. जनसुनवाई के माध्यम से पारदर्शिता एवं जवाबदेही लाती है।      
  8. समाज के सभी वर्गों मे मेल-जोल व एकता बढ़ाने का करती है।      
  9. ग्रामीण स्वस्थता, लोक स्वास्थ्य, परिवार कल्याण कार्यक्रम, महिला एवं बाल विकास, विकलांग एवं मानसिक रूप से मंद व्यक्तियों, कमजोर वर्ग खासकर अनुसूचित जाती एवं जनजाति के कल्याण-सबंधी कार्यक्रमों को पूरा करना 
  10. अन्य मामले जो पहले से तय हों (जैसे परिवार कल्याण, पर्यावरण सुधार,टीकाकरण)

पंचायत समिति (Panchayat committee)...

  • प्रखंड स्तर पर गठित निकाय पंचायत समिति कहलाता है, प्रत्येक प्रखंड (Development Block) में एक पंचायत समिति की स्थापना होती है जिसका नाम उसी प्रखंड के नाम पर होता है। 
  • राज्य सरकार को पंचायत समिति के क्षेत्र को घटाने-बढ़ाने का अधिकार होता है। 
  • प्रखंड की प्रत्येक पंचायत के सदस्यों द्वारा निर्वाचित दो सदस्य होंगे। 
  • पंचायत समिति के अंतर्गत प्रत्येक ग्राम पंचायत का मुखिया पंचायत समिति का सदस्य होगा।
  • सदस्यों का कार्यकाल पाँच वर्ष होगा।
  • यदि पदेन सदस्य इस पद पर नहीं रहे जिस पद के अधिकार से वह सदस्य बना हो, तो वह पंचायत समिति का सदस्य नहीं भी रह सकेगा। 
  • आर्थिक और वित्त समिति का अध्यक्ष पंचायत समिति का प्रमुख होता है। 
  • प्रखंड विकास पदाधिकारी स्थाई समितियों का सचिव होता है। 
  • प्रखंड विकास पदाधिकारी प्रखंड विकास पदाधिकारी पंचायत समिति का पदेन सचिव (Secretary) होगा और उसका काम पंचायत समिति के प्रस्तावों को कार्यान्वित करना होगा।

वही व्यक्ति पंचायत समिति का सदस्य हो सकेगा, जो — 

  1. भारत का नागरिक हो।
  2. 25 वर्ष की आयु का हो।
  3. सरकार के अन्दर किसी लाभ के पद पर न हो।

जिला परिषद् (District council)... 

  • प्रत्येक जिला में एक परिषद् की स्थापना होगी। 
  • जिला परिषद् की कम-से-कम तीन माह में एक बार अवश्य बैठक होगी। 
  • गठन के बाद जिला परिषद् की पहली बैठक की तिथि जिलाधिकारी द्वारा निश्चित की जाएगी जो उस बैठक की अध्यक्षता भी करेगा। 
  • जिला परिषद् का कार्यकाल उसकी प्रथम बैठक की निर्धारित तिथि से अगले पांच वर्षों तक का निश्चित किया गया है। 

अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष-

  1. जिला परिषद् के निर्वाचित सदस्य यथाशीघ्र अपने में से दो सदस्यों को क्रमशः अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के रूप में निर्वाचित करेंगे। 
  2. जिला परिषद् की बैठक बुलाने, उसकी अध्यक्षता करने एवं उसका सञ्चालन करने का अधिकार अध्यक्ष का ही है। 
  3. अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष ही जिला परिषद् की बैठक की अध्यक्षता करता है। 

स्थाई समितियाँ- 

  • जिला परिषद् में कुछ स्थाई समितियाँ होती हैं, जैसे सामान्य समिति, वित्त अंकेक्षण एवं एवं योजना समिति, सामजिक न्याय समिति, शिक्षण एवं स्वास्थ्य समिति, कृषि एवं उद्योग समिति. प्रत्येक समिति में अध्यक्ष सहित पाँच सदस्य होते हैं। 
  • जिला परिषद् इससे अधिक सदस्यों की संख्या भी निश्चित कर सकती है। 
  • सदस्यों का चुनाव जिला परिषद् के निर्वाचित सदस्यों में से किया जाता है। 
  • जिला परिषद् का अध्यक्ष सामान्य स्थाई समिति तथा वित्त अंकेक्षण (finance audit) एवं योजना समिति का पदेन सदस्य और इसका अध्यक्ष भी होता है। 
  • उपाध्यक्ष सामजिक न्याय समिति का पदेन सदस्य एवं अध्यक्ष होता है।  

मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी-  

  • जिलाधिकारी की श्रेणी का पदाधिकारी जिला परिषद् का मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी होता है जिसकी नियुक्ति सरकार द्वारा की जाती है। 
  • मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी जिला परिषद् की नीतियों और निर्देशों को कार्यान्वित करेगा और जिला परिषद् के सभी कार्यों और विकास योजनाओं के शीघ्र निष्पादन हेतु आवश्यक कदम उठाएगा। 
  • अध्यक्ष के सामान्य अधीक्षण और नियंत्रण तथा अन्य पदाधिकारियों और कर्मचारी पर नियंत्रण रखेगा, जिला परिषद् से सम्बन्धित सभी कागजात एवं दस्तावेजों को सुरक्षित रखेगा तथा अन्य सौंपे गए कार्यों को पूरा करेगा।

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