भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गुरुवार यानी 24 अगस्त, 2017 को कहा कि वह आरबीआई कार्यालयों और कुछ बैंकों से शुक्रवार यानी 25 अगस्त, 2017 को 200 रुपये के नए नोट जारी करेंगे।
- 25 अगस्त, 2017 को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा महात्मा गांधी (नई) शृंखला में पहली बार 200 रुपये का नया बैंकनोट जारी किया।
- वर्तमान में 1,2,5,10,20,50,100,200,500 & 2000 रुपये के बैंकनोट उपलब्ध हैं|
- इस बैंकनोट का आकार 6 सेंटीमीटर ×14.6 सेंटीमीटर आयाम या 66 मिमी × 146 मिमी का हैं।
- जिसपर आर.बी.आई. गवर्नर डॉ. उर्जित पटेल के हस्ताक्षर हैं।
- नोट का आधार रंग उज्ज्वल पीला (Bright Yellow) है।
- इस बैंकनोट के पृष्ठभाग पर सांची स्तूप का चित्र है, जो देश की सांस्कृतिक विरासत को चित्रित करता है।
- वित्त मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक एक्ट, 1934 की धारा 24 की उपधारा (1) के अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के सुझावों पर केंद्र सरकार 200 रुपए के नोट को अधिसूचित करती है।
- 8 नवंबर, 2017 के पहले के 500 रुपये और 1000 रुपये के विमुद्रीकरण के बाद से केंद्रीय बैंक द्वारा पेश की गई चौथी नई बैंक नोट होगी। अभी हाल ही में 50 रुपये का नया बैंकनोट पेश किया गया था|
नोट को सामने देखने पर (Obverse View):-
- न्युमेरिक के अलावा देवनागरी में भी 200 लिखा हैं|
- महात्मा गांधी का फोटो नोट के लगभग मध्य में स्थित हैं|
- सिक्योरिटी थ्रेड पर भारत और आरबीआई लिखा होगा, जो रंग बदलने वाला हैं।
- नोट को आढ़ा तिरछा (45 डिग्री) करने पर सुरक्षा धागे का रंग हरा और नीला हो जाता हैं|
- गारंटी क्लॉज, गवर्नर के हस्ताक्षर, प्रॉमिस क्लॉज और रिजर्व बैंक का चिन्ह, महात्मा गांधी की फोटो के दायीं तरफ हैं|
- नेत्रहीनों के लिए महात्मा गांधी के चित्र की इटैग्लिओ छपाई, अशोक स्तंभ का प्रतीक, 200 रुपए के साथ पहचान चिह्न एच को उठाया गया है।
नोट के पिछले हिस्से में (Reverse View):-
- नोट पर प्रिंटिंग वर्ष बायें तरफ दिया गया हैं|
- बायीं तरफ ही स्वच्छ भारत का लोगो और स्लोगन भी हैं|
महान सांची स्तूप (Great Stupa at Sanchi) : Know Everything About it
- सांची एक बौद्ध परिसर है, जो भारत के मध्य प्रदेश राज्य के रायसेन जिले के साँची टाउन में एक पहाड़ी स्थल पर प्रसिद्ध है।
- सांची में 'महान स्तूप' सबसे पुराना ढांचा है और इसे मूल रूप से तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में सम्राट अशोक महान द्वारा नियुक्त किया गया था।
- इस स्तंभ में एक अशोकन शिलालेख (शिसम आडिक्ट) है और गुप्त अवधि से सजावटी सांख्य लिपी में एक शिलालेख है|
- 1818 में ब्रिटिश अधिकारी जनरल टेलर, सांची स्तूप के अस्तित्व के लिए सबसे पहला ज्ञात पश्चिमी इतिहासकार था|
- 1989 से यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों में अन्य प्रसिद्ध स्मारकों के बीच स्मारकों को सूचीबद्ध किया गया है।
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