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2007 के बाद से वायु प्रदूषक सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) का भारत के उत्सर्जन में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई,, जबकि चीन में 75% की गिरावट हुई। अध्ययन का दावा है कि भारत ने अपने पड़ोसी जैसे उत्सर्जन नियंत्रण को अभी तक लागू नहीं किया है।
2007 के बाद से वायु प्रदूषक सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) का भारत के उत्सर्जन में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई,, जबकि चीन में 75% की गिरावट हुई। अध्ययन का दावा है कि भारत ने अपने पड़ोसी जैसे उत्सर्जन नियंत्रण को अभी तक लागू नहीं किया है।
- अमेरिका की मैरीलैंड विश्वविद्यालय में शोधकर्ताओं की रिपोर्ट एेसे समय में आई है, जब दिल्ली-एनसीआर में वाहनों के उत्सर्जन समेत धूल और निर्माण गतिविधियों के चलते प्रदूषण की गंभीर स्थिति पैदा हो गई है।
- सल्फर डाइऑक्साइड वायु प्रदूषक है जो कि अम्ल वर्षा, धुंध और कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का कारण बनता है।
- अमेरिकी अध्ययन के मुताबिक, भारत ने चीन को सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) के विश्व के सबसे बड़े उत्सर्जक के रूप में विस्थापित कर दिया है, यह एक जहरीले प्रदूषक है जिसका मानव स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।
- यह मुख्यत: बिजली उत्पादन के लिए कोयला जलाने के कारण बनता है।
- शोधकर्ताओं के मुताबिक, चीन और भारत विश्व के शीर्ष कोयला उपभोक्ता हैं, जो आमतौर पर तीन प्रतिशत सल्फर तक हैं।
- अध्ययन के मुताबिक, इन दोनों देशों का सल्फर डाइऑक्साइड उत्सर्जन में अधिकांशत: कोयला आधारित ऊर्जा संयंत्रों और कोयला जलने वाले कारखानों से आते हैं।
- 2000 के प्रारंभ में, चीन ने प्रदूषक को खत्म करने जैसी नीतियों को लागू करना शुरू कर दिया।
- अनुसंधान सहयोगी वैज्ञानिक कैन ली के अनुसार, "चीन में सल्फर डाइऑक्साइड के स्तर में नाटकीय रूप से गिरावट आई है, हालांकि कोयला का उपयोग लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और बिजली उत्पादन 100 प्रतिशत से अधिक हो गया है।"
- भारत ने 2012 में अपना सबसे बड़ा कोयला आधारित बिजली संयंत्र खोला।
- शोधकर्ताओं का दूसरा डेटा स्रोत ओज़ोन मॉनिटरिंग इंस्ट्रूमेंट (ओएमआई) था जो नासा के आरा उपग्रह पर था सल्फर डाइऑक्साइड सहित विभिन्न प्रकार के वायुमंडलीय प्रदूषण का पता लगाता है।
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