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हिंदी की मशहूर साहित्यकार कृष्णा सोबती इस वर्ष का ज्ञानपीठ पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। ज्ञानपीठ पुरस्कार चयन बोर्ड ने 3 नवम्बर, 2017 को एक बैठक के बाद इसकी घोषणा की।
http://www.ddinews.gov.in/hi/people/53%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%82-%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%9E%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%AA%E0%A5%80%E0%A4%A0-%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A5%83%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%A3%E0%A4%BE-%E0%A4%B8%E0%A5%8B%E0%A4%AC%E0%A4%A4%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A5%8B
http://thewirehindi.com/23583/krishna-sobti-gyanpeeth-award-hindi-literature/
हिंदी की मशहूर साहित्यकार कृष्णा सोबती इस वर्ष का ज्ञानपीठ पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। ज्ञानपीठ पुरस्कार चयन बोर्ड ने 3 नवम्बर, 2017 को एक बैठक के बाद इसकी घोषणा की।
- चयन बोर्ड के अनुसार, साहित्य के क्षेत्र में दिया जाने वाला देश का सर्वोच्च सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार वर्ष 2017 के लिए हिंदी की मशहूर लेखिका और कथाकार कृष्णा सोबती को प्रदान किया जाएगा।
- इस पुरस्कार स्वरूप कृष्णा सोबती को 11 लाख रुपये, प्रशस्ति पत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा प्रदान की जाएगी।
- कृष्णा सोबती का जन्म 18 फ़रवरी, 1925 में गुजरात में हुआ (अब पाकिस्तान) था।
- 92 वर्षीय सोबती लेखन की नई शैली और अपनी कहानियों में साहसी पात्रों को गढ़ने के लिए जानी जाती हैं, जो हमेशा चुनौतियों को स्वीकार करने को तैयार रहता है।
- भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक लीलाधर मंडलोई ने बताया कि साहित्य के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।
- ज्ञानपीठ बोर्ड के अध्यक्ष मशहूर लेखक और आलोचक नामवर सिंह ने कहा कि वह लीक से हटकर लिखने वाली उपन्यासकार हैं।
- 1950 में कहानी लामा से साहित्यिक सफर शुरू करने वाली सोबती स्त्री की आजादी और न्याय की पक्षधर हैं।
- गौरतलब है कि पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार 1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरूप को प्रदान किया गया था।
- सुमित्रानंदन पंत ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित होने वाले हिंदी के पहले रचनाकार थे।
- कृष्णा सोबती ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित होने वाली हिंदी की 11वीं रचनाकार हैं, इससे पहले सुमित्रानंदन पंत, रामधारी सिंह दिनकर, सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय, महादेवी वर्मा, कुंवर नारायण आदि शामिल हैं।
- कृष्णा सोबती (18 फरवरी 1924, गुजरात (अब पाकिस्तान में)) हिन्दी की कल्पितार्थ (फिक्शन) एवं निबन्ध लेखिका हैं।
- उन्हें 1980 में साहित्य अकादमी पुरस्कार(उपन्यास जिंदगीनामा के लिए) और 1996 अकादमी के उच्चतम सम्मान साहित्य अकादमी फेलोशिप से नवाजा गया था।
- इसके अलावा कृष्णा सोबती को शिरोमणी पुरस्कार (1981), हिन्दी अकादमी अवार्ड (1982), कछा चुडामणी पुरस्कार (1999), पद्मभूषण, व्यास सम्मान, और शलाका पुरस्कार (2001) से भी नवाजा जा चुका है।
- सोबती ने भारत-पाकिस्तान विभाजन, स्त्री-पुरुष संबंधों, भारतीय समाज में बदलाव और क्रमश: गिरते मानव मूल्यों जैसे कई विषयों को अपने लेखन में समेटा है।
- 1950 में कहानी लामा से साहित्यिक सफर शुरू करने वाली सोबती स्त्री की आजादी और न्याय की पक्षधर हैं।
- उनकी कई पुस्तकों का देसी और विदेशी भाषाओं में अनुवाद हुआ है।
- कृष्णा सोबती की मशहूर कृतियां- 'सूरजमुखी अंधेरे के', ‘दिल-ओ-दानिश’, 'ज़िंदगीनामा', 'ऐ लड़की', समय सरगम, 'मित्रो मरजानी', 'जैनी मेहरबान सिंह', 'हम हशमत भाग एक तथा दो', ‘दर से बिछुड़ी’, 'यारों के यार', 'तिन पहाड़','बादलों के घेरे' प्रमुख है, हाल ही में प्रकाशित ‘बुद्ध का कमंडल लद्दाख’ उनके लेखन के उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
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