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अपने पति और ससुराल वालों के खिलाफ महिलाओं की शिकायतों की जांच और एक सौहार्दपूर्ण समाधान खोजने के लिए परिवार कल्याण जिला समितियों की स्थापना करने वाला त्रिपुरा देश का पहला राज्य बन गया है।
- त्रिपुरा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टी.वैफई ने बताया, ‘‘यह समिति पति, ससुराल वालों और पति के रिश्तेदारों के खिलाफ किसी महिला की शिकायत की जांच करेगी और बातचीत के जरिए सौहार्दपूर्ण समाधान ढूंढने का प्रयास करेगी।’’
- देश के 24 उच्च न्यायालयों में से त्रिपुरा हाईकोर्ट पहला हाईकोर्ट है जिसने जिला परिवार कल्याण समितियों का गठन किया है।
- न्यायमूर्ति तालपात्रा ने बताया कि उच्चतम न्यायालय ने महसूस किया था कि अक्सर कुछ महिलायें ससुराल पक्ष के बडे बुजुर्गो या पति को परेशान करने के लिये भारतीय दंड संहिता (महिला के पति या पति के रिश्तेदार द्वारा उसके साथ की जाने वाली क्रूरता) 498-A का दुरुपयोग करती हैं।
- न्यायमूर्ति वैफई ने कहा कि जिला स्तरीय समिति की रिपोर्ट मिलने के बाद ही पुलिस उचित कार्रवाई करेगी।
- 18 सितम्बर, 2017 को त्रिपुरा उच्च न्यायालय द्वारा आयोजित एक समारोह में राज्यपाल तथगता राय ने औपचारिक रूप से राज्य के सभी आठ जिलों में समितियों की स्थापना की।
- इस अवसर पर मुख्यमंत्री माणिक सरकार भी उपस्थित थे।
- नई प्रणाली अगले छह महीनों के लिए वैध होगी और इसके बाद राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (एनएलएसए) सर्वोच्च न्यायालय को अपने प्रदर्शन की एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी, जिसके आधार पर कार्रवाई की एक नई दिशा तय की जाएगी।
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