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कोरी कल्पना या हकीकत : मेवाड़ की रानी पद्मिनी या पद्मावती की शौर्यगाथा

Dear Readers,

रानी पद्मिनी के पिता का नाम राजा गंधर्वसेन और माता का नाम चंपावती था । रानी पद्मिनी के पिता गंधर्वसेन सिंहल प्रान्त (श्रीलंका) के राजा थे। जायसी ने लिखा है कि राजा गंधर्वसेन की सोलह हजार पद्मिनी रानियाँ थीं, जिनमें सर्वश्रेष्ठ रानी चंपावती थी, जो कि पटरानी थी। इसी चंपावती के गर्भ से पद्मावती का जन्म हुआ था।

  • बचपन में पदमिनी के पास “हीरामणी” नाम का एक बोलता हुआ तोता था। एक दिन पद्मावती की अनुपस्थिति में बिल्ली के आक्रमण से बचकर वह तोता भाग निकला और एक बहिलिए के जाल में फंसा गया। 
  • बहेलिए से उसे एक ब्राह्मण ने खरीद लिया जिसने चित्तौड़ आकर उसे राजा रतनसिंह के हाथ बेच दिया। इसी तोते से राजा ने पद्मिनी के अद्भुत सौंदर्य का वर्णन सुना तो उसे प्राप्त करन के लिये योगी बनकर निकल पड़ा। जंगल और समुद्र पार कर वह  श्रीलंका (सिंहल द्वीप) पहुँचा। उसके साथ में वह तोता भी था। 
  • राजा रतनसिंह पहले से विवाहित था और उसकी रानी का नाम नागमती था। राजा के लंबे समय तक न लौटने पर वह विरह से व्याकुल हो उठी। राह देखते देखते बारहमासा बीत गया। 
  • रानी पद्मिनी के पिता राजा गंधार्व्सेना ने उनके विवाह के लिए स्वयंवर रखा था। वहां उन्होंने कई हिन्दू राजाओं और राजपूतों को निमंत्रण दिया था। 
  • चित्तोड़ के राजा रावल रतन सिंह की पहले से ही एक पत्नी नागमती होने के बावजूद स्वयंवर में शामिल हुए, प्राचीन समय में राजा/महाराजा एक से अधिक विवाह कर लेते थे ताकि वंश को अधिक उत्तराधिकारी मिले। 
  • राजा रावल रतन सिंह ने मलखान सिंह को स्वयंमर में हराकर पदमिनी से विवाह कर लिया। 
  • विवाह के बाद वो अपनी दुसरी पत्नी पदमिनी के साथ वापस चित्तोड़ लौट आया।
  • 12वी-13वी सदी में दिल्ली के सिंहासन पर दिल्ली सल्तनत का राज था। इन आक्रमणों में से एक आक्रमण अलाउदीन खिलजी ने सुंदर रानी पदमिनी को पाने के लिए किया था।
  • रानी पद्मिनी न केवल अनुपम सौन्दर्य की स्वामिनी थी, वह एक बुद्धिमता नारी भी थी। अल्ला-उ-द्दीन को जवाब भेजा गया कि वह अकेला निरस्त्र गढ़ (किले) में प्रवेश कर सकता है, पद्मिनी के पति रावल रतन सिंह ने महल तक उसकी अगवानी की।
  • अल्लाउद्दीन ने तो पहले से ही धोखे की योजना बना रखी थी। रावल रतन साहब को अगवा कर लिया और उन्हें पकड़कर शत्रु सेना के खेमे में कैद कर दिया गया।
  • अल्लाउद्दीन ने फिर से पैगाम भेजा गढ़ में कि राणाजी को वापस गढ़ में सुपुर्द कर दिया जायेगा, अगर रानी पद्मिनी को उसे सौंप दिया जाय। 
  • चतुर रानी ने जनरल गोरा और बादल से सलाह-मशविरा किया और एक योजना बनाई गई रानाजी को मुक्त करने के लिए तैयार की।  
  • राजा रावल रतन सिंह, एक अच्छे शासक और पति होने के अलावा रतन सिंह कला के संरक्षक भी थे। उनके दरबार में कई प्रतिभाशाली लोग थे जिनमे से ''राघव चेतन'' संगीतकार भी एक था। 
  • राघव चेतन, जो एक जादूगर था। वो अपनी इस बुरी प्रतिभा का उपयोग दुश्मन को मार गिराने में उपयोग करता था। इस बात का पता चलते ही रावल रतन सिंह ने उग्र होकर उसका मुह काला करवाकर और गधे पर बिठाकर अपने राज्य से निर्वासित कर दिया। रतन सिंह की इस कठोर सजा के कारण राघव चेतन उसका दुश्मन बन गया ।
  • सन 12वीं –13वीं शताब्दी में राजपूत राजा ‘रावल रतन सिंह’ का राज चित्तोड़ में था, वो सिसोदिया राजवंश के थे।
  • रानी पद्मिनी और 16,000 वीरांगनाओं के जौहर ने चित्तौड़ की मिट्टी को हमेशा के लिए पावन बना दिया।
  • 26 अगस्त, 1303 को पद्मावती / पद्मिनी अपने पतिव्रता होने का प्रमाण देते हुए आग में कुद कर अपनी जान दे देती है। 
  • भारतवासियों को इस बात की याद दिलाती रहेगी कि भारत की स्त्रियों के लिए उनका सम्मान सर्वोपरी है।  
कुछ अन्य महत्वपूर्ण तथ्य और किताबों का विवरण...
  1. पद्मावती नाम के महिला चरित्र का ज़िक्र पहली बार मध्यकालीन कवि मलिक मुहम्मद जायसी की कृति 'पद्मावत' में आता है।
  2. मलिक मुहम्मद जायसी, हिन्दी साहित्य के भक्ति काल की निर्गुण प्रेममार्गी सूफी संत थे।
  3. 'पद्मावत मध्यकाल' का बहुत ही महत्वपूर्ण महाकाव्य है।
  4. अलाउद्दीन के समकालीन अमीर खुसरो थे, उनकी तीन कृतियों में रणथंभौर और चित्तौड़गढ़ पर अलाउद्दीन ख़िलजी के आक्रमण का अलांकारिक वर्णन है लेकिन उसमें भी पद्मीवती जैसे किसी चरित्र का नाम नहीं है।
  5. अमीर खुसरो रणथंभौर के युद्ध में अमीरदेव और रंगदेवी की चर्चा ज़रूर करते हैं, लेकिन वहां पद्मावती का कोई ज़िक्र नहीं मिलता।
  6. जौहर की बात अमीर खुसरों की कृतियों में मिलती है लेकिन वो रणथंभौर के आक्रमण के दौरान का है, चित्तौड़गढ़ के समय जौहर का कोई उल्लेख नहीं मिलता।
  7. 1963 में तमिल निर्देशक चित्रापू नारायण मूर्ति ने रानी पद्मिनी की कहानी पर "चित्तौड़ रानी पद्मिनी" फ़िल्म बनायी थी, इस फ़िल्म में मशहूर अभिनेत्री वैजयंती माला ने रानी पद्मिनी का क़िरदार निभाया था।
  8. अभी तक यही माना जाता रहा है कि पद्‌मिनी का जिक्र सबसे मलिक मोहम्मद जायसी ने अपनी रचना ‘पद‌्मावत’ (1540) में किया था।
  9. रांची कॉलेज के शिक्षक डॉ.महाकालेश्वर प्रसाद की पुस्तक ''जायसीकालीन भारत''।
  10. जायसी से पहले कवि हेतमदान की ‘गोरा बादल’ कविता से भी जायसी ने अंश लिए थे।  
  11. ‘छिताई चरित’ ग्वालियर के कवि नारायणदास की रचना थी।
  12. छिताई चरित में उल्लेख है कि रणथंभौर, चित्तौड़गढ़ और देवगिरी पर हमले उसने सिर्फ इसलिए किए, ताकि अपनी फौज के बूते महिलाओं को हासिल कर सके।
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