68th रिपब्लिक-डे (26-01-2017) में पहली बार
हमारा संविधान 26 जनवरी 1050 को अस्तित्व में आया। इससे पहले भारत में गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट (1935) लागू था। 26 जनवरी 1930 के लाहौर अधिवेशन में पहली बार तिरंगे झंडे को फहराया गया था। इसी दिन सूर्योदय के साथ भारत की राजधानी दिल्ली में भारतीय गणराज्य के रूप में देश के नवीन युग का उदय हुआ था। इसी दिन पंडित जवाहर लाला नेहरू ने 1930 में लाहौर में रावी नदी के तट पर रात के एक बजे कांग्रेस अधिवेशन में कहा था कि- आज से हम स्वतंत्र हैं और देश की स्वतंत्रता की प्राप्ति के लिए हम अपने प्राणों को स्वतंत्रता की बलिदेवी पर होम कर देंगे और हमारी स्वतंत्रता छीनने वाले शासकों को सात समंदर पार भेजकर ही सुख की सांस लेंगे।
पहला तिरंगा
सबसे पहले तिरंगे को 7 अगस्त, 1906 को कलकत्ता के पारसी बागान स्क्वेयर में फहराया गया था। इस झंडे में तीन रंग की पट्टियां थी। जिनमें बीच की पट्टी पर वंदे मातरम लिखा था। इस बीच में सफेद की बजाए पीली पट्टी थी। वहीं नीचे की पट्टी लाल थी जिस पर अर्ध चंद्र और सूरज बना था। इसके अलावा सबसे ऊपरी हरी पट्टी पर कमल का फूल अंकित था।
बर्लिन कमेटी का झंडा
यह भी पहले झंडे से काफी कुछ मिलता जुलता था। इसमें बीच की पीली पट्टी पर वंदे मातरम लिखा था। इसमें ऊपरी पट्टी पर कमल के फूल की बजाए सात तारे छपे थे, जो कि सप्तर्षि का तारामंडल का प्रतीक थे। इसे 1907 में मैडम काम ने फहराया था। साथ ही इसे बर्लिन में आयोजित एक सभा में भी भारत के झंडे के रूप में फहराया गया।
होम रूल आंदोलन का झंडाइसके बाद तीसरी बार भारत का झंडा सामने आया नए रूप में होम रूल आंदोलन के दौरान। 1917 में इस झंडे को होम एनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक ने फहराया था। इस झंडे में पांच लाल और चार हरी पट्टियां थीं। इन पर सात तारे अंकित थे। इसके बाएं कोने में ऊपरी ओर ब्रिटेन का आधिकारिक झंडा भी छपा था।
अनौपचारिक तिरंगा झंडा 1921 में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी की एक बैठक में आयोजित एक युवा ने गांधी जी को यह झंडा दिया। यह तीन रंग की पट्टियों से बना था और इस पर नीले रंग में चरखा अंकित था। इसके तीन रंगों सफेद रंग सबसे ऊपर, उसके नीचे हरा रंग और सबसे नीचे लाल रंग था
गांधी जी का झंडासाल 1931 तिरंगे की यात्रा में महत्वपूर्ण पड़ाव है। इस दौरान एक रेज्योल्यूशन पास कर तिरंगे को आधिकारिक तौर पर भारत के ध्वज के रूप में अपनाया गया। इस ध्वज में सफेद पट्टी बीच में थी और इस पर गांधी जी का चरखा अंकित था।
तिरंगाभारत के वर्तमान राष्ट्रीय ध्वज की कल्पना पिंगली वेंकैयानंद ने की थी। तिरंगे को इस रूप में पहली बार भारतीय संविधान सभा की 22 जुलाई को आयोजित बैठक में अपनाया गया था। जिसके बाद 26 जनवरी 1950 को इसे राष्ट्रध्वज के रूप में अपनाया गया।
क्या आप जानते हैं कि भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा का निर्माता कौन था? आज जो तिरंगा भारत का राष्ट्रीय ध्वज है उसका सफर 1921 में आजादी से पहले शुरू हुआ था। 1921 में आंध्र प्रदेश के रहने वाले पिंगली वेंकैया ने अखिल भारतीय कांग्रेस कार्य समिति के बेजवाड़ा (अब विजयवाड़ा) सत्र में महात्मा गांधी के सामने भारत के राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर लाल और हरे रंग का झंडा प्रस्तुत किया।
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और गांधीवादी पिंगली वेंकैया ने लाल और हरे रंग को भारत के दो बड़े समुदायों हिन्दू और मुसलमान के प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल किया था। गांधी जी के सुझाव पर उन्होंने इस झंडे में अन्य समुदायों की प्रतीक सफेद रंग की पट्टी और लाला हरदयाल के सुझाव पर विकास के प्रतीक चरखे को जगह दी। कांग्रेस ने इस तिरंगे ध्वज को अाधिकारिक तौर पर स्वीकार कर लिया। जल्द ही तिरंगा स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में “स्वराज” ध्वज के रूप में लोकप्रिय हो गया। लाल रंग की जगह केसरिया को जगह देते हुए 1931 में कांग्रेस ने तिरंगे को अपना आधिकारिक ध्वज बना लिया। कांग्रेस ने 26 जनवरी 1930 को ही भारत को पूर्ण स्वराज को घोषणा की थी।
- रिपब्लिक-डे पर कैमिकल अटैक के खतरे को भांपने के लिए NDRF एक स्पेशल यूनिट राजपथ पर तैनात करेगी।
- NDRF के एक अफसर ने बताया, "कैमिकल, बायोलॉजिकल, रेडियोलॉजिकल और न्यूक्लियर (CBRN) अटैक के खतरे को देखते हुए 90 लोगों की CBRN यूनिट तैनात की जाएगी।'
- "इस टीम के अलावा HAZMAT भी तैनात किया जाएगा, जो कि CBRN खतरे के दौरान सुरक्षा मुहैया कराने के लिए स्पेशलिस्ट व्हीकल है।'
तिरंगे के रंग में बुर्ज खलीफा
- ऐसा पहली बार हुआ, जब रिपब्लिक-डे के मौके पर दुनिया की सबसे ऊंची बिल्डिंग बुर्ज खलीफा तिरंगे जैसी रोशनी में नजर आया।
- रिपब्लिक डे से एक दिन पहले 823 मीटर ऊंची इस बिल्डिंग पर LED से तिरंगे की लाइटिंग की गई।
तिरंगे के रंग में बुर्ज खलीफा
- ऐसा पहली बार हुआ, जब रिपब्लिक-डे के मौके पर दुनिया की सबसे ऊंची बिल्डिंग बुर्ज खलीफा तिरंगे जैसी रोशनी में नजर आया।
- रिपब्लिक डे से एक दिन पहले 823 मीटर ऊंची इस बिल्डिंग पर LED से तिरंगे की लाइटिंग की गई।
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"ना सरकार मेरी है ! ना रौब मेरा है ! ना बड़ा सा नाम मेरा है ! मुझे तो एक छोटी सी बात का गौरव है , मै “हिन्दुस्तान” का हूँ…. और “हिन्दुस्तान” मेरा है…..जय हिन्द..!
-----------------------------------happy republic day 2017 !
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