हवाई निगरानी सिस्टम प्रणाली {AWACS (airborne early warning and control system)- एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग ऐंड कंट्रोल सिस्टम्स}

Dear Readers,
अवाक्स, एक तरह की हवाई निगरानी प्रणाली है। भारत के पास कुल तीन AWACS हैं। ये तीनों 2009-11 के बीच आए। ये तीनों AWACS, इजरायल द्वारा बनाए गए फाल्कन हैं। इनकी रेंज 400 किलोमीटर तक होती है।
  • अवाक्स एयरक्राफ्ट पर लगाया जाने वाली एडवांस राडार प्रणाली है जो 360 डिग्री का सुरक्षा कवच प्रदान करती है, यह 200 किलोमीटर की दूरी से हवाई निगरानी रख सकता है।  
  • जमीन पर स्थित रेडार्स की तुलना में ये सिस्टम बहुत जल्दी दुश्मन के ड्रोन, फाइटर एयरक्राफ्ट और क्रूज मिसाइल का पता लगाते हैं।
  • भारत खुद भी ऐसा सिस्टम बनाने की कोशिश की है। उसको नेत्रा नाम दिया गया है। लेकिन इसकी रेंज 250 किलोमीटर ही है। 
  • इस प्रॉजेक्ट के तहत एयरबस ए-330 पर स्वदेशी एईएसए (ऐक्टिव इलेक्ट्रॉनिक्ली स्कैन्ड ऐरे) रेडार्स को फिट किया जाएगा। 
  • ब्राजील की विमानन कंपनी ने भारत से 208 मिलियन डॉलर यानी करीब 1,372 करोड़ रुपये की डील की थी।
  • दो और 'फॉलो ऑन' फाल्कन अवाक्स के लिए रूस और इजरायल के साथ त्रिपक्षीय सौदा हुआ था जो कीमत को लेकर अटका हुआ है। 
  • टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार दो अवाक्स के लिए 800 मिलियन डॉलर यानी करीब 5,300 करोड़ रुपये भुगतान करने के लिए तैयार है जबकि इसके मैन्युफैक्चरर्स की मांग 1.3 बिलियन डॉलर यानी करीब 8,580 करोड़ रुपये है। 
  • एक सूत्र ने बताया, 'रूस ने आईएल-76 की कीमत काफी बढ़ा दी है, जो सरकार को स्वीकार्य नहीं है।'
  • पाकिस्तान के पास ऐसे सात प्लैटफॉर्म हैं जिनमें चीन से हासिल कराकोरम ईगल जेडडीके-03 अवाक्स सबसे नया है।
  • चीन के पास 20 से ज्यादा अवाक्स हैं जिसमें सबसे नया केजे-500 है।' 
भारत विशेष...
  1. भारत दक्षिण एशिया का पहला देश है, जिसके पास हवाई चेतावनी और नियंत्रण प्रणाली वाला जहाज है। 
  2. ये जंगी जहाज 400 वर्ग किलोमीटर में दुश्मन की हर हरकत पर पैनी नजर रखता है और कंट्रोल रूम को पलपल की खबर देता है।
  3. भारतीय वायु सेना ने घरेलू स्तर पर विकसित 'नेत्र' नाम के एईडब्ल्यूऐंड सी (एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग ऐंड कंट्रोल सिस्टम) को इस साल फरवरी में निर्धारित समय से सात साल बाद अपने बेड़े में शामिल किया था। जहां नेत्र की रेंज 240 डिग्री कवरेज के साथ सिर्फ 250 किमी है वहीं फाल्कन जैसे अवाक्स की रेंज 360 डिग्री कवरेज के साथ 400 किमी से ज्यादा है।
  4. भारतीय वायु सेना के पास अभी सिर्फ तीन अवाक्स हैं जिसमें इजरायल से मिला फाल्कन रेडार सिस्टम भी शामिल है। फाल्कन के लिए 2004 में 1.1 अरब डॉलर यानी करीब 70 अरब रुपये की डील हुई थी और इसे 2009-2011 में भारतीय वायु सेना में शामिल किया गया था।
  5. घरेलू स्तर पर बात करें तो अवाक्स इंडिया प्रॉजेक्ट के तहत दो विमान अगर जल्दी तैयार होंगे तो तब जाकर कहीं ये 2024-2025 में सेना को मिलेंगे। हालांकि रक्षा मंत्रालय ने मार्च, 2015 में 5,113 करोड़ रुपये के प्रॉजेक्ट को मंजूरी दे दी थी लेकिन अब तक इसका कॉन्ट्रैक्ट नहीं दिया गया है। 
  6. अवाक्स इंडिया प्रॉजेक्ट में भारतीय वायु सेना और डीआरडीओ क्रमश: 80 और 20 फीसदी खर्च बर्दाश्त करेंगे। यह प्रॉजेक्ट तीन नेत्र विमान के 2,425 करोड़ वाले प्रॉजेक्ट से ज्यादा क्रांतिकारी है। 
  7. नेत्र प्रॉजेक्ट के तहत ब्राजील से खरीदे गए तीन एंब्रेयर-145 जेट पर स्वदेशी 240 डिग्री कवरेज वाले रेडार्स को फिट किया गया है। 
  8. पहला नेत्र ऑपरेशनल क्लियरेंस मिलने के बाद भटिंडा एयरबेस में ऑपरेशनल टेस्ट रन से गुजर रहा है जबकि दूसरा फाइनल ऑपरेशनल क्लियरेंस हासिल करने की कतार में है। 
  9. तीसरा नेत्र शोध और विकास कार्य के लिए डीआरडीओ के पास रहेगा।
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