विश्व जनसंख्या दिवस (World Population Day) - 11 जुलाई, 2018

Dear Readers,

विश्व जनसंख्या दिवस की स्थापना 11 जुलाई, 1989 में तत्कालीन शासी संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की परिषद द्वारा की गई थी।

  1. साल 2018 में वर्ल्ड पॉप्युलेशन डे की थीम है- 'परिवार नियोजन हर मनुष्य का अधिकार है (Family Planning is a Human Right)।'
  2. हम सभी जानते हैं कि, 1 जनवरी 2014 को विश्व जनसंख्या 7,137,661,1,030 तक पहुँच गयी।
भारत और दुनिया की आबादी के कुछ दिलचस्‍प तथ्‍य..
(1). यूएन के अनुमान के मुताबिक साल 2050 तक दुनिया की आबादी 9.80 अरब के करीब होगी। आबादी के लिहाज से भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है, पहले स्‍थान पर चीन है।(2). स्‍टडी के मुताबिक, 1000 AD में दुनिया की आबादी केवल 40 करोड़ थी।
(3). 1750 AD में दुनिया की आबादी बढ़कर 80 करोड़ हो गई, मतलब दुनिया की आबादी दोगुनी होने में 750 साल लग गए।
(4). worldometers.info के मुताबिक, दुनिया की आबादी 1804 में पहली बार 1 अरब तक पहुंची थी, 1960 में ये आंकड़ा 3 अरब पार कर गया।
(5). सिर्फ 40 साल में (2000) ही दुनिया की आबादी दोगुनी होकर 6 अरब के आंकड़े को पार कर गई।
(6). अनुमान के मुताबिक, जुलाई 2017 तक दुनिया की आबादी 7.5 अरब है।
(7). यूएन का अनुमान है कि पूरी दुनिया की आबादी 2023 तक 8 अरब और 2056 तक 10 अरब को पार कर जाएगी।
(8). अनुमान के मुताबिक, 2025-30 तक भारत की जनसंख्‍या 1 अरब 65 करोड़ हो जाएगी। तब तक दुनिया की आबादी 8 अरब 14 करोड़ हो चुकी होगी।
(9). यूथ इन इंडिया, 2017 की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में साल 1971 से 2011 के बीच युवाओं की आबादी 16.8 करोड़ से बढ़कर 42.2 करोड़ हो गई, यानी कुल आबादी का 34.8 फीसदी।
(10). बता दें कि साल 1989 में संयुक्‍त राष्‍ट्र आमसभा ने 11 जुलाई को विश्‍व जनसंख्‍या दिवस घोषित किया था।


विश्व जनसंख्या दिवस पर विचार...
(1). “इंसान के लिये भोजन उत्पादन करने के लिये अनिश्चित काल तक धरती से ज्यादा शक्ति जनसंख्या में है”।– थॉमस मालथुस
(2). “जनसंख्या, जब अनियंत्रित होती है, एक ज्यामितीय अनुपात में बढ़ती है”।– थॉमस मालथुस   
(3). “विश्व की लगभग आधी से ज्यादा जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में और ज्यादातर एक गरीबी की स्थिति में होते हैं ऐसी असमानता मानव विकास में एक प्रमुख कारण है अशांति का और विश्व के कुछ भागों में हिंसा भी है”।– एपीजे अब्दुल कलाम
(4). “भोजन कुछ ऐसा है कि विश्व के ज्यादातर नेताओं के द्वारा स्वीकृत के लिये लिया गया है इस तथ्य के बावजूद कि विश्व की आधी से अधिक जनसंख्या भूखी है”।– नॉरमन बोरलाँग

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