सुप्रीम कोर्ट: सरकार के फैसले में हस्तक्षेप नहीं कर सकते उपराज्यपाल

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केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के बीच अधिकारों के विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच ने कहा है कि जनमत का महत्व है और चुनी हुई सरकार की जनता के प्रति जवाबदेही है। 

  1. केजरीवाल सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट के 4 अगस्त, 2016 के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है जिसमें उप राज्यपाल को प्रशासनिक प्रमुख बताते हुए कहा गया था कि वे मंत्रिमंडल की सलाह मानने को बाध्य नहीं हैं।
  2. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया है।
फैसले की बड़ी बातें:-
  1. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि जनमत का महत्व है। एलजी दिल्ली के प्रशासक हैं, वो कैबिनेट की सलाह से काम करें।
  2. एलजी बनाम दिल्ली सरकार विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अराजकता की कोई जगह नहीं होनी चाहिए।
  3. केंद्र और राज्य के बीच संबंध बेहतर होने चाहिए। संविधान का पालन करना सबकी जिम्मेदारी है। 
  4. एलजी हर मामले को राष्ट्रपति के पास नहीं भेज सकते, खासकर नीतिगत फैसलों में व्यवधान नहीं डाल सकते।     
  5. संघीय ढांचे में राज्यों को स्वतंत्रता, शक्ति एक जगह केंद्रित नहीं हो सकता।
  6. अगर किसी मुद्दे को लेकर सीएम और एलजी के बीच सहमति नहीं है तो उसे सीधे राष्ट्रपति के पास भेजा जाए।
  7. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भूमि, पुलिस और लॉ एंड आर्डर को छोड़कर दिल्ली सरकार को अन्य मामलों में कानून बनाने और प्रशासन करने की इजाजत दी जानी चाहिए।
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