अंतरराष्‍ट्रीय पुरुष दिवस (International Mens Day) - 19 नवंबर, 2017

Dear Readers,

अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस (International Mens Day) 19 नवंबर, को मनाया जाने वाला वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय आयोजन है।

  • 1992 को थॉमस ओस्टर द्वारा 7 फरवरी, को उद्घाटन किया। 8 फरवरी, 1991 को एक साल पहले अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस की परियोजना की कल्पना की गई थी।
  • अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस का पुन: प्रारंभ कैरिबियाई सागर में स्थित द्विप देश त्रिनिदाद एवं टोबागो में साल 1999 में हुई थी।
  • इस कार्यक्रम को पुनर्जीवित करने वाले डॉ. जेरोम तेल्क्सिंग ने 19 नवंबर को अपने पिता के जन्मदिन का सम्मान करने के लिए चुना।
  • UNO ने इस दिन को सेलिब्रेट करने और इसकी आवश्यकता को बल दिया व इस दिन की पुरजोर सराहना एवं सहायता भी की है। इस दिवस को पुरुषों के साथ-साथ लड़कों के द्वारा भी मनाए जाने की बात समाने आ रही है।
  • अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस 70 देशों में मनाया जाता है, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, चीन, क्रोएशिया, क्यूबा, ​​डेनमार्क, फ़्रांस, घाना, हंगरी, भारत, आयरलैंड, इटली, जमैका, माल्टा, नाइजीरिया, नॉर्वे, पाकिस्तान, रोमानिया, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, तंजानिया, त्रिनिदाद और टोबैगो, यूक्रेन, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका और जिम्बाब्वे, 19 नवंबर को, और उत्सव के लिए वैश्विक समर्थन व्यापक है।
  • भारत में यह दिन सर्वप्रथम 19 नवंबर 2007 को मनाया गया था।
  • राभा पश्चिम बंगाल तथा असम में रहने वाली एक जनजाति है यह जनजाति मातृसत्तात्मक है।
  • सेव इंडिया फ़ैमिली फ़ाउंडेशन ने पुरुष उत्पीड़न के खिलाफ SIF ऐप को तैयार किया है।
  • 2015 में मानवाधिकार आयोग को महिला उत्पीड़न की 17,479 शिकायतें दर्ज हुई थीं, जिनमें उन्होंने 14,800 मामले निस्तारित किए. क्योंकि निरस्त मामलों में आरोप झूठे थे।
  • आपको बता दें कि महिलाओं को दहेज उत्पीड़न के सामाजिक अभिशाप से बचाने के लिए संसद ने वर्ष 1983 में भारतीय दंड संहिता यानी IPC में धारा 498 A को जोड़ा था।
  • महिला के पति या पति के परिवार द्वारा उसके प्रति अत्याचार करने पर धारा 498 A के तहत दर्ज मामला गैर ज़मानती है।
  • National Crime records Bureau के मुताबिक, वर्ष 2012 में धारा 498 A के तहत दर्ज मामलों में 1 लाख 97 हजार 762 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया।
  • धारा 498 A के तहत दर्ज मामलों में चार्जशीट यानी आरोप पत्र दाखिल करने की दर 93.6 फीसदी है जबकि आरोपियों पर दोष साबित होने की दर सिर्फ 15 फीसदी है।
हाईलाइट लाइन बाई लाइन.....
  1. 19 जुलाई, 2005 को सुप्रीम कोर्ट ने धारा 498 A को कानूनी आतंकवाद की संज्ञा दी।
  2. 11 जून, 2010 को सुप्रीम कोर्ट ने धारा 498 A को लेकर कहा कि पतियों को अपनी स्वतंत्रता को भूल जाना चाहिये।
  3. 14 अगस्त, 2010 को सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार से IPC की धारा 498 A में संशोधन करने के लिए कहा।
  4. 22 अगस्त, 2010 को केन्द्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों की पुलिस को धारा 498 A के प्रावधानों के दुरुपयोग के बारे में चेतावनी दी। 
  5. विधि आयोग ने अपनी 154वीं रिपोर्ट में इस बात को साफ शब्दों में स्वीकारा कि IPC की धारा 498 A के प्रावधानों का दुरुपयोग हो रहा है।
  6. 2 जुलाई, 2014 को एक बार फिर, दहेज उत्पीड़न विरोधी धारा 498 A का पत्नियों द्वारा जमकर दुरुपयोग किया जा रहा है।
  7. पति-पत्नी के बीच किसी सामान्य या असामान्य विवाद की वजह से अगर पत्नी धारा 498 A के तहत एक बार पति के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवा देती है तो फिर इसमें समझौता करने का कानूनी प्रावधान नहीं हैं ऐसे हालात में एक बार मुकदमा दर्ज करवाने के बाद पति पक्ष को मुकदमे का सामना करना ही पड़ता है।
  8. धारा 498 A के अनुसार आरोप लगाने के बाद आरोपों को सही साबित करने का ज़िम्मा शिकायतकर्ता पर नहीं होता..बल्कि आरोपी को ये साबित करना होता है कि वो निर्दोष है।
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