व्यक्ति विशेष (Personality) : पाकिस्तानी सामाजिक कार्यकर्ता मलाला युसूफजई की कहानी और अनमोल विचार (Pakistani Social Activist Malala Yousafzai)
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एक किताब, एक कलम, एक बच्चा, और एक शिक्षक दुनिया बदल सकते हैं। |
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"Terrorism will spill over if you don’t speak up.""अगर आप खड़े हो कर बोलेंगे नहीं तो आतंकवाद और फैलेगा।" -मलाला युसुफ़ज़ई
मलाला युसुफ़ज़ई के जीवन से जुड़े तथ्य.......
- मलाला युसूफजई का जन्म 12 जुलाई 1997 को पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के स्वात जिले में स्थित मिंगोरा शहर एक पश्तो (पश्तो जाति पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के बीच) परिवार में हुआ था|
- मलाला बचपन से ही बहुत शांत स्वभाव की थी और कबीले की अन्य बच्चियों की तरह शरारती नही थी
- उसके पिता का नाम जियाउद्दीन और माँ का नाम तोर पेकई है|
- मलाला के पिता ने मलाला को पश्तो ,उर्दू और अंग्रेजी भाषा अच्छी तरह सिखाई थी|
- अफगान में एक लोक कथा प्रचलित है जिसमे मईवाड नामक प्रान्त में मलालाई नामक एक लडकी रहती थी जो एक चरवाहे की बेटी थी|
- काबुल के बीचो बीच में उसकी याद में “मईवाढ विजय स्मारक ” बना हुआ है|
- मलाला ने सितम्बर 2008 से ही शिक्षा के अधिकार पर बोलना शूरू कर दिया था जब उसके पिता उसको पेशावर लोकल प्रेस क्लब लेकर गये तब उसने एक ब्यान दिया था “तालिबान कैसे मेरे शिक्षा के अधिकार को छीन सकते है|”
- 2009 में मलाला Institute for War and Peace Reporting’s Open Minds Pakistan youth programme में शिक्षा लेने लगी जो सामाजिक मुद्दों पर युवा पीढ़ी के लोगो को बोलने के लिए प्रेरित करता है|
- उस समय तालिबानी आतंकवादी मौलाना फज़ुलाह स्वात घाटी में टीवी ,संगीत ,औरतो के बाजार जाने और लडकियों की शिक्षा को बंद करवाने में लगे हुए थे|
- मलाला का ब्लॉग “गुल मकई” नाम से बीबीसी पर प्रकाशित हुआ जो एक पश्तो लोक गाथा से लिया गया था|
- 3 जनवरी 2009 को मलाला ने अपने हाथों से लिखे नोट्स को रिपोर्टर तक भेजा जिसने स्कैन कर बीबीसी को ईमेल कर दिया|
- 15 जनवरी 2009 को तालिबान ने एक फतवा जारी किया जिसके अनुसार कोई लड़की स्कूल नहीं जा पायेगी|
- 9 अक्टूबर 2012 को जब वो परीक्षा देकर वापस अपने घर लौट रही थी तब एक नकाबपोश आतंकवादी गाडी में चढ़ गया और जोर से चिल्लाया “तुम में से मालाला कौन है…?, जल्दी बताओ वरना मै तुम सबको गोली मार दूंगा’. तभी मलाला पूरे साहस के साथ खड़ी हुयी और बोली “मै मलाला हुं”|
- गोलीबारी के बाद मलाला को पेशावर के मिलिट्री हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया और पांच घंटे के ऑपरेशन के बाद बुलेट को उसके शरीर से निकाल दिया गया, लेकिन फिर भी उसकी हालत नाजुक थी और वो कोमा में चली गयी|
- पाकिस्तानी और ब्रिटिश डॉक्टर्स का दल उसको रावलपिंडी ले गया जहां पर डॉक्टर्स ने उसके बचने की सम्भावना 70 प्रतिशत बताई|
- अब मलाला को मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए यूनाइटेड किंगडम भेजा गया जहां पर डॉक्टर्स के साथ उनका परिवार भी गया, मलाला की बीमारी का सारा खर्च पाकिस्तानी सरकार ने दिया था|
- 17 अक्टूबर 2012 को मलाला कोमा से बाहर आ गयी और ब्रेन डैमेज हुए बिना पूरी तरह तैयार होने की सम्भावना थी अब वो थोडा हिलने डुलने लगी थी और 8 नवम्बर को उसकी बेड पर बैठे फोटो सामने आयी|
- 3 जनवरी 2013 को मलाला को हॉस्पिटल से छुट्टी से दी गयी|
- इस घटना की जानकारी पूरे विश्व में पहुंची और मलाला के प्रति लोगों की सहानुभूति बढ़ गयी|
- गोलीबारी के विरोध में पाकिस्तान में विरोध प्रदर्शन हुए और 2 मिलियन लोगों ने Right to Education अभियान याचिका पर हस्ताक्षर किये|
- पाकिस्तान ने हमलावरों का पता बताने वाले को 10 मिलियन रूपये देने की घोषणा की|
- इतनी बड़ी घटना होने के बावजूद भी मलाला के पिता ने देश छोड़ने से मना कर दिया और तालिबान के खिलाफ आवाज उठाई, इसके बाद से मलाला फण्ड में कई बड़ी बड़ी हस्तियों ने पैसे दान किये जिससे मलाला गरीब लडकियों को पढ़ाने वाली थी|
- कुछ समय बाद मलाला एकदम स्वस्थ्य हो गयी और जुलाई 2013 में यूनाइटेड नेशन में रानी एलिज़ाबेथ द्वितीय से मिली|
- सितम्बर 2013 में उसने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में भाषण दिया और अक्टूबर 2013 में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और उनके परिवार से मिली|
- 2014 में World Children’s Prize मिलने के बाद उसने 50,000 डॉलर राशि गाजा में 65 स्कूलो के पुनर्निर्माण के लिए दिए|
- 12 जुलाई 2013 को यूनाइटेड नेशन ने मलाला के 16वें जन्मदिन पर “मलाला डे” मनाने की घोषणा की जिसका उद्देश्य पूरे विश्व में शिक्षा का प्रसार करना है|
पुरस्कार और सम्मान
- पाकिस्तान का राष्ट्रीय युवा शांति पुरस्कार (2011)-अत्यंत प्रतिकूल परिस्थितियों में शांति को बढ़ावा देने के लिए उसे साहसी और उत्कृष्ट सेवाओं के लिए, उसे पहली बार 19 दिसम्बर 2011 को पाकिस्तानी सरकार
- अंतर्राष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार के लिए नामाँकन (2011)-युसुफजई यह पुरस्कार नहीं जीत सकी और यह पुरस्कार दक्षिण अफ्रीक़ा की 17 वर्षीय लड़की ने जीत लिया यह पुरस्कार बच्चों के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था हर साल एक लड़की को देती है।
- अंतर्राष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार (2013)-नीदरलैंड के किड्स राइट्स संगठन ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि आगामी छह सितंबर को हेग में आयोजित होने वाले एक समारोह में वर्ष 2011 का नोबल शांति पुरस्कार हासिल करने वाली महिला अधिकार कार्यकर्ता तवाकुल रहमान मलाला को बाल शांति पुरस्कार से सम्मानित करेंगी।
- 2012 से मलाला अपनी संस्था “मलाला एजुकेशन फाउंडेशन” की योजना बनाने लग गयी थी जिसका उद्देश्य गरीब लडकियों को शिक्षा देना था|
- 10 अक्टूबर 2014 को मलाला को नोबल पुरस्कार से सम्मनित किया गया और ये पुरस्कार पाने वाली वे सबसे कम उम्र की लड़की बनी|
- विश्व भर से बहुत सम्मान मिला और उसके नाम पर कई पुस्तकें छपी जिसमे “I am Malala” बहुत प्रसिद्ध हुयी|
- साख़ारफ़ (सखारोव) पुरस्कार (2013)- यूरोपीय संसद द्वारा वैचारिक स्वतन्त्रता के लिए साख़ारफ़ पुरस्कार प्रदान किया गया है।
- मैक्सिको का समानता पुरस्कार (2013)- इक्वेलिटी एंड नान डिस्क्रिमीनेशन का अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार दिये जाने की घोषणा हुई है।
- संयुक्त राष्ट्र का 2013 मानवाधिकार सम्मान (ह्यूमन राइट अवॉर्ड)- यह सम्मान मानवाधिकार के क्षेत्र में बेहतरीन उपलब्धियों के लिए हर पांच साल में दिया जाता है। इससे पहले यह सम्मान पाने वालों में नेल्सन मंडेला, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जिम्मी कार्टर व एमनेस्टी इंटरनैशनल आदि शामिल हैं।
- नोबेल पुरस्कार (10 दिसंबर 2014)- बच्चों और युवाओं के दमन के ख़िलाफ़ और सभी को शिक्षा के अधिकार के लिए संघर्ष करने वाले भारतीय समाजसेवी कैलाश सत्यार्थी के साथ संयुक्त रूप से उन्हें शांति का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
- 17वर्ष की आयु में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाली मलाला दुनिया की सबसे कम उम्र वाली नोबेल विजेती बन गयी।
मलाला युसुफ़ज़ई के अनमोल विचार का कुछ महत्वपूर्ण अंश .....
- एक किताब, एक कलम, एक बच्चा, और एक शिक्षक दुनिया बदल सकते हैं।
- जब पूरी दुनिया खामोश हो तब एक आवाज़ भी ताक़तवर बन जाती है।
- अगर आप खड़े हो कर बोलेंगे नहीं तो आतंकवाद ख़तम नहीं होंगा बल्कि और फैलेगा।
- लोग कौन सी भाषा बोलते हैं, त्वचा का रंग, या धर्म को लेकर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।
- अपनी बेटियों का सम्मान करिए। वे सम्माननीय हैं।
- आप कहीं भी चले जाएं, स्वर्ग में भी, आप अपने घर को मिस करेंगे।
- मैं बस एक चीज चाहती हूँ- शिक्षा, और मैं किसी से नहीं डरती।
- मैं चरमपंथियों के बेटे-बेटियों के लिए शिक्षा चाहती हूँ, खासतौर से तालिबानियों के।
- मैं कहती हूँ कि मैं डर से शक्तिशाली हूँ।
- मेरा मानना है कि हथियारों में कोई शक्ति नहीं है।
- मैं अपना चेहरा नहीं ढकती क्योंकि मैं अपनी पहचान दिखाना चाहती हूँ।
- मैं शांति में यकीन करती हूँ। मैं दया में यकीन करती हूँ।
- मैं पहले ही मौत देख चुकी हूँ, और मैं जानती हूँ कि मौत मुझे मेरे शिक्षा के मकसद में मदद कर रही है। मौत मुझे मारना नहीं चाहती।
- अगर आप किसी व्यक्ति को मारते हैं तो ये दिखता है कि आप उससे डरे हुए हैं।
- अगर आप फ्यूचर जनरेशन पर फोकस नहीं करते, इसका मतलब आप अपने देश को बर्वाद कर रहे हैं।
- “जिस दिन मुझे गोली मारी गयी, और उसके अगले दिन, लोगों ने ‘मैं मलाला हूँ’ के बैनर उठाये। उन्होंने ये नहीं कहा कि ‘मैं तालिबान हूँ’।”
- प्यारे बहने और भाइयों, हम रौशनी का महत्त्व तब समझते हैं जब हम अन्धकार देखते हैं।
- मैं कल के पाकिस्तान में गरीबी ख़त्म देखना चाहती हूँ। मैं चाहती हूँ पाकिस्तान की हर एक लड़की स्कूल जाए।
- मैं शिक्षा प्राप्त करुँगी- चाहे घर में, स्कूल में या कहीं और।
- शिक्षा न ईस्टर्न है न वेस्टर्न। शिक्षा शिक्षा है और ये हर एक मानव का अधिकार है।
- बहुत सारी समस्याएं हैं, लेकिन मुझे लगता है इन सभी समस्याओं का समाधान है; वो बस एक है, और वो शिक्षा है।
नोट-
- स्त्रोत- विकिपीडिया
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