Do You Know : गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) - A Brief History of Guru Purnima
Dear Readers...
डेली करंट अफेयर्स अड्डा की तरफ से आप सभी पाठकों को गुरु पूर्णिमा-2017 की हार्दिक शुभकामनाएं |
Guru Purnima - A Brief History of Guru Purnima |
प्रेरणादायक संवाद (Motivational Dialogues)....
"जो हारता है, वही तो जीतने का मतलब जानता है|"
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- गुरु पूर्णिमा, भारतीयों और नेपालियो का प्रमुख त्योहार हैं जो अध्यात्मिक और शैक्षणिक गुरुओं को समर्पित हैं, इसे हिन्दू, जैन और बौद्ध समुदाय के लोग बड़ी धूमधाम से मानते हैं|
- आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरम्भ में आती है। लेकिन इस बार यह त्योहार 9 जुलाई यानी रविवार को मनाया जाएगा|
- नासा ने अपने ट्वीट में पूर्णिमा के दिन चांद वाले को पूरी दुनिया में किन नामों से जाना जाता है इसका जिक्र किया है- गुरु पूर्णिमा, मून, राइप कॉर्न मून, थंडर मून नाम भी बताए हैं|
- हिन्दू परम्परा के अनुसार गुरु पूर्णिमा गुरु के प्रति सिर छुकाकर उनके प्रति आभार व्यक्त करने का दिन है|
- गुरु पूर्णिमा के दिन महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्म हुआ था|
- मान्यता है कि उन्होंने चारों वेदों को लिपिबद्ध किया था, इस कारण उनका एक नाम वेद व्यास भी है| उनके सम्मान में गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है|
- वे संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे और उन्होंने चारों वेदों की भी रचना की थी। इस कारण उनका एक नाम वेद व्यास भी है। उन्हें आदिगुरु कहा जाता है और उनके सम्मान में गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा नाम से भी जाना जाता है।
- भक्तिकाल के संत घीसादास का भी जन्म इसी दिन हुआ था वे कबीरदास के शिष्य थे।
- शास्त्रों में गु का अर्थ बताया गया है- अंधकार या मूल अज्ञान और रु का का अर्थ किया गया है- उसका निरोधक।
- गुरु पूर्णिमा के त्योहार के दिन लाखों श्रद्धालु ब्रज में स्थित गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हैं|
- ऐसा कहा जाता है कि इस दिन बंगाली साधु सिर मुंडाकर गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हैं, ब्रज में इसे मुड़िया पूनों नाम से जाना जाता है|
- सनातनी हिंदू परंपरा में गुरु का विशेष महत्व है|
- इस दिन से चार महीने तक परिव्राजक साधु-संत एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा बहाते हैं। ये चार महीने मौसम की दृष्टि से सर्वश्रेष्ठ होते हैं।
- सिख धर्म की एक प्रचलित कहावत निम्न है:...
- ‘गुरु गोविंद दोउ खड़े काके लागू पांव,
- "गुरु को पारस जानिए,
शिष्य और गुरु जगत में,
केवल दो ही वर्ण"
- राम कृष्ण सबसे बड़ा उनहूँ तो गुरु कीन्ह।
- गुरु महिमा पर कबीरदास जी कहते हैं...
गुरु बिन मिलै न मोष|
गुरु बिन लखै न सत्य को,
गुरु बिन मैटैं न दोष||
अर्थात- "हे प्राणीयों" गुरु के बिना ज्ञान को प्राप्त करना असम्भव हैं, और जब तक गुरु की कृपा शिष्य पर नहीं होती तब तक इंसान अज्ञान रूपी अंधकारो में खोया रहता हैं|
संसार के मोह-माया में बंधा रहता हैं|
क्योकि गुरु के बिना सत्य-असत्य, ज्ञान-अज्ञान, उचित-अनुचित, जैसी चीजों का उसे ज्ञान नहीं हो पाता और मोक्ष की कभी उसे प्राप्ति नहीं होती|
इसी लिए किसी सच्चे गुर के शरण जाओ और उनके चरणों को स्पर्श करो क्युकी गुरु ही है जो हमें सत्य का मार्ग दिखाते हैं|
"शांति का पढ़ाया पाठ, अज्ञानता का मिटाया अंधकार|
गुरु ने सिखाया हमें, नफरत पर विजय हैं प्यार ||"
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