एक देश-एक कर-एक बाजार-जीएसटी का संक्षिप्त परिचय (Brief Introduction of GST)
News Analysis Point (NAP/1) : एक देश-एक कर-एक बाजार-जीएसटी का संक्षिप्त परिचय (Brief Introduction of GST)
एक देश-एक कर-एक बाजार :गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) |
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जीएसटी लागू होने के बाद किसी भी सामान को खरीदने के लिए केवल एक ही टैक्स देना होगा, पूरे भारत में केवल एक ही कीमत होगी| रात 11 बजे के बाद कार्यक्रम का आगाज होगा और ठीक 12 बजते ही जीएसटी को लागू कर दिया जाएगा।बेंजामिन फ्रैंकलिन ने लिखा था कि "इस दुनिया में मृत्यु और करों के अलावां कुछ भी निश्चित नहीं हैं|"
- पेट्रोल,डीजल,एलपीजी गैस और शराब को जीएसटी से बाहर रखा गया हैं|
कुछ जीएसटी से जुड़े शब्द :-
- रिवर्स चार्ज:- रिवर्स चार्ज का मतलब है कि टैक्स चुकाने की जिम्मेदारी सामान और सर्विसेज लेने वालों पर होगी, इसमें सामान और सेवा देने वालों पर टैक्स देने की जिम्मेदारी नहीं होगी|
- कंपोजिशन स्कीम:- इस स्कीम के तहत सामान की कीमत पर नहीं, सालाना टर्नओवर के आधार पर टैक्स लगेगा| इसका फायदा उन्हें मिलेगा, जिनका सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक है|
- इनपुट टैक्स क्रेडिट:- इस बात का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है कि क्योंकि सामान भेजने और लेने वालों के आंकड़े एक हों| अगर होलसेलर ने 100 आइटम भेजे, लेकिन रिटेलर ने 90 दिखाए तो 90 आइटम्स पर ही छूट मिल पाएगी|
जीएसटी का संक्षिप्त परिचय (Brief Introduction of GST)
- वी पी सिंह ने फरवरी 1986 में मोडिफाइड वैट (MODVAT) इंट्रोड्यूस किया था| जो काफी कुछ जीएसटी जैसा था, इसने देश के लिए एकमात्र टैक्स सिस्टम की नींव रख दी थी|
- GST की नींव आज से 16 वर्ष पहले अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में रखी गई थी।
- साल 2004 में जब तत्कालीन वित्त मंत्रालय के सलाहकार विजय एल केलकर की अध्यक्षता वाली टास्क फोर्स ने कहा कि देश की मौजूदा टैक्स सिस्टम में कई खामियां हैं| उन्होंने ही देश हित में एक व्यापक जीएसटी का सुझाव दिया था, हालांकि उन्होंने राज्यों के लिए न्यूनतम 7% और केन्द्र के लिए न्यूनतम 5% दर का सुझाव दिया था|
- प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर में सुधारों का सुझाव देने के लिए नियुक्त राजा चेलिया कमेटी द्वारा अपनी रिपोर्ट पेश करने के बाद पी वी नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री रहे मनमोहन सिंह ने राज्य स्तर पर वैल्यू एडेड टैक्स के बारे में शुरुआती चर्चा शुरू की थी|
- 2007 में यूपीए की सरकार के दौरान वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने बजट में 2010 से GST लागू करने का प्रस्ताव दिया था।
- 2009 में नए वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने जीएसटी के बेसिक स्ट्रक्चर की घोषणा की और इसे 1 अप्रैल 2010 से लागू करने के सरकार के लक्ष्य को दोहराया|
- मार्च 2011 में मनमोहन सरकार ने जीएसटी लागू करने के लिए लोक सभा में संविधान संशोधन विधेयक पेश किया| विपक्षी दलों खासकर बीजेपी ने इसका जमकर विरोध किया| जिसके बाद इस विधेयक को पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा की अध्यक्षता वाली संसद की स्थायी समिति के पास भेज दिया गया|
- अक्टूबर में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने और उनके वित्त मंत्री ने इसका व्यापक विरोध किया. गुजरात के तत्कालीन वित्त मंत्री सौरभ पटेल ने कहा था कि अगर मनमोहन सरकार अध्यादेश लाकर जीएसटी लागू करती है तो गुजरात को हर साल 14 हजार करोड़ रुपए का नुकसान होगा|
कुछ तथ्य विश्व इतिहास से (Some Fact From World History) -
- सर्वप्रथम 1954, फ्रांस ने जीएसटी को अपनाया|
- कुछ देशों में जीएसटी का दोहरा माडल अपनाया गया, जैसे- कनाडा, ब्राजील, भारत...
- विश्व के लगभग 140 देशों में जीएसटी, जहां-जहां टैक्स लागू हुआ, वहां-वहां महंगाई बढ़ी और महंगाई के फलस्वरूप इसे लागू करनेवाला सत्तारूढ़ दल चुनावों में महंगाई के मुद्दे पर चुनाव हार गया।
- अभी हाल ही में मलेशिया(2015) ने जीएसटी लागू किया|
कैसे काम करेगा GST?:-
GST लागू होने के बाद वस्तुओं एवं सेवाओं पर केवल तीन तरह के टैक्स वसूले जाएंगे|
- सीजीएसटी(सेंट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स), जो केंद्र सरकार वसूलेगी
- एसजीएसटी(स्टेट गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स), जो राज्य सरकार अपने यहां होने वाले कारोबार पर वसूलेगी|
- आईजीएसटी(इंटीग्रेटेड गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स), जो डो राज्यों के बीच में होगा उस पर वसूला जाएगा|
- जीएसटी, अंतिम बिंदु पर अंतिम उपभोक्ता पर लगने वाला टैक्स हैं|
- जीएसटी, बिक्री पर नहीं बल्कि सप्लाई पर लगेगा|
- सभी प्रकार के एक्सपोर्ट "शुन्यकर की श्रेणी " में आयेंगे|(अभी भी शून्य हैं)
- GSTR-1 (मासिक बिक्री रिकॉर्ड), GSTR-2 (मासिक खरीद रिकॉर्ड), GSTR-3 (मासिक कर रिकॉर्ड) और GSTR-9 (वार्षिकी रिटर्न रिकॉर्ड) के फार्म भरने होंगे|
1 जुलाई के बाद ये टैक्स होंगे खत्म-
- GST लागू होते ही सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स, एडिशनल कस्टम ड्यूटी, स्पेशल एडिशनल ड्यूटी ऑफ कस्टम, वैल्यू एडेड टैक्स/सेल्स टैक्स, सेंट्रल सेल्स टैक्स, एंटरटेनमेंट टैक्स, ऑक्ट्रॉय एंड एंट्री टैक्स, परचेज टैक्स, लग्जरी टैक्स नहीं वसूले जाएंगे यानी ये खत्म हो जाएंगे|
- भारत दोहरे जीएसटी मॉडल को अपनाएगा, जिसमें टैक्सेशन की निगरानी केंद्र और राज्य सरकारों दोनों की तरफ से की जाएगी|
जीएसटी के विषय में .....
Q.1-GSTN क्या है?A- गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स नेटवर्क एक नॉन प्रॉफिट गैर सरकारी कंपनी है, जो कि टैक्सपेयर्स और दूसरे स्टेकहोल्डर्स समेत केंद्र सरकार, राज्य सरकारों को साझा IT इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराएगी|
Q.2-GSTN में किसकी कितनी हिस्सेदारी होगी?
A- GSTN में केंद्र सरकार की 24.5%, राज्य सरकारों और राज्य के वित्त मंत्रियों की विशेषाधिकार प्राप्त कमेटी की 24.5% फीसदी हिस्सेदारी है| इसके अलावा HDFC, HDFC बैंक, ICICI बैंक,एनएसई स्ट्रैटेजिक इनवेस्टमेंट के पास 10-10 फीसदी और LIC फाउसिंग फाइनेंस के पास 11 फीसदी हिस्सा है|
BASED FAQs ON GST-
1. क्या है जीएसटी?- वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) एकीकृत कर प्रणाली है। इसमें सभी अप्रत्यक्ष कर को मिला दिया गया है।
- जीएसटी पूरे भारत में एक साथ पहली जुलाई (1-7-2017) से लागू हो जाएगा|
- नहीं। केवल 20 लाख रुपये से अधिक का कारोबार करने वाले व्यक्ति या संस्थाएं ही जीएसटी चुकाएंगी।
- नहीं। इसके तहत कर की चार श्रेणी है। इसमें 5 फीसदी,12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी है।
- इसमें सेवा कर भी शामिल है। इसलिए एसी रेस्त्रां में खाने, ट्रेन-हवाई यात्रा और अन्य सेवाओं पर उपभोक्ता को भी जीएसटी चुकाना होगा। लेकिन इसे संबंधित सेवा प्रदाता वसूलेंगे और जमा करेंगे।
- नहीं। जीएसटी में बिक्री कर, उत्पाद शुल्क, और मूल्यवर्द्धित कर (वैट) सबको मिल दिया गया है। इसलिए इन्हें अलग से चुकाने की जरूरत नहीं होगी।
- हां। अब राज्यों में प्रवेश कर (चुंगी) खत्म हो जाएगा। इसे भी जीएसटी में मिला दिया गया है।
- एक कर होने से कर के ऊपर कर नहीं चुकाना पड़ेगा। इससे वस्तु एवं सेवाएं सस्ती होंगी।
- जीएसटी के तहत खाने-पीने के ज्यादातर सामान पर कोई कर नहीं है। जबकि कुछ वस्तुओं पर सबसे निचली दर पांच फीसदी की श्रेणी में रखा गया है।
- दूध को जीएसटी से बाहर रखा गया है। जबकि घी पर जीएसटी लगेगा|
- दाम घटेंगे। वर्तमान में निर्माणाधीन मकान पर 4.5 फीसदी का सेवा कर लगता है जो जीएसटी में बढ़कर 12 फीसदी हो जाएगा। इसके बावजूद मकान के दाम घटेंगे क्योंकि अभी निर्माण सामग्री पर उत्पाद शल्क, वैट और चुंगी कर है। लेकिन वतर्मान समय में इनका कोई इनपुट क्रेडिट (रिफंड) नहीं मिलता है। जबकि जीएसटी में पूरा क्रेडिट मिलेगा और बिल्डर इन सब चीजों पर जो कर चुकाएगा वह उसे वापस मिल जाएगा।
- इस पर पांच फीसदी जीएसटी लगेगा। पहले इसपर 12 फीसदी जीएसटी लगाने का प्रस्ताव था जिसे बाद में घटा दिया गया।
- आयकर का जीएसटी से सीधे कोई संबंध नहीं है। लेकिन जीएसटी की वजह से कर वसूली बढ़ेगी तो भविष्य में इससे आयकर की दरों में राहत की उम्मीद कर सकते हैं।
- जीएसटी कानून के तहत एक महीने में की गई सभी प्रकार की बिक्री या कारोबार के लिए रिटर्न अगले महीने की 10 तारीख तक भरनी है।
- एक्सेल शीट में कंपनियों को रसीद संख्या, खरीदार का जीएसटीआईएन, बेचे गये सामान या सेवाएं, वस्तुओं का मूल्य या बिक्री की गई सेवाएं, कर प्रभाव तथा भुगतान किए गये कर जैसे लेन-देन का ब्योरा देना होगा।
- खरीदार बिल मांगता है तो उसे देना पड़ेगा। नहीं तो 200 रुपए से कम के सभी लेन-देन के बदले पूरे दिन में एक बिल बना सकते हैं। इनके खरीदार आम ग्राहक यानी अनरजिस्टर्ड होने चाहिए।
- नहीं। जीएसटी करदाता इसका डिजाइन तैयार करने के लिए स्वतंत्र हैं। हालांकि, बिल बनाने के नियम के मुताबिक कुछ जरूरी जानकारियां उस पर होनी चाहिए।
- नहीं। केवल जीएसटी रिटर्न के लिए महीने में एक बार इंटरनेट की जरूरत होगी। हर रोज कंप्यूटर पर ब्योरा दर्ज करने की भी जरूरत नहीं है।
- पंजीकृत कारोबारी को किसी वस्तु एवं सेवा के लिए अग्रिम (एडवांस) भुगतान मिलता है तो उसके बदले उसे रिसीट वाउचर बनाना पड़ेगा। बाद में वस्तु एवं सेवा की आपूर्ति नहीं हुई तो पैसे लौटाते वक्त रिफंड वाउचर बनेगा।
- कर से छूट वाली वस्तुएं एवं सेवाओं के लिए जो बिल बनेगा उसे बिल ऑफ सप्लाई कहा जाएगा। पंजीकृत व्यक्ति बिल की जगह इसे जारी करेगा। इसमें भी आम ग्राहक (अनरजिस्टर्ड ) व्यक्ति को 200 रुपए से कम की आपूर्ति के लिए बिल जरूरी नहीं है।
- आपूर्तिकर्ता ने जिस कीमत का कर का बिल बनाया और बाद में पता चला कि कीमत कम है। तब वह क्रेडिट नोट जारी करेगा। इसी तरह यदि बाद में पता चलता है कि कीमत ज्यादा है तो डेबिट नोट जारी होगा। इसी तरह खरीदार ने सामान लौटाया या सामान की मात्रा कम निकली तब भी आपूर्तिकर्ता क्रेडिट नोट जारी करेगा।
- नहीं। जिनका सालाना कारोबार 1.5 करोड़ रुपए तक है उन्हें बिल पर एचएसएन कोड लिखने की जरूरत नहीं है।
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